अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। 
                                  Published by: Jeet Kumar
                                  Updated Mon, 17 May 2021 03:49 AM IST
                                 
                                
                                
                                
                                  
                                    कोरोना महामारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को हर गांव में आशा कार्यकर्ताओं को खांसी-बुखार वाले रोगियों की पहचान और निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।
                                    
                                    उप स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 30-30 बिस्तरों की क्षमता वाले कोविड विशेष अस्पताल बनाए जाएं, जहां संक्रमितों को इलाज दिया जाए। संक्रमित मामलों में सामुदायिक स्वास्थ्य अफसर को फोन पर मरीजों को देखने के निर्देश दिए गए हैं। एएनएम को रैपिड एंटीजन टेस्ट का प्रशिक्षण देने को भी कहा गया है।
                                    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अब धीरे-धीरे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में भी कोरोना का फैलाव देखा जा रहा है, ऐसे में क्वारंटीन केंद्र और आइसोलेशन कक्ष बनाए जाएं।
                                    देश में ज्यादातर कोरोना के मामले बिना लक्षण वाले हैं, इसलिए इन मरीजों की पहचान होने पर इन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाएगी। जिनके यहां ऐसी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है उन्हें सरकारी केंद्र में रखा जाएगा।
                                    होम आइसोलेशन में भेजे जाने वाले मरीजों को मिलेगी मुफ्त दवा किट
                                    जिन रोगियों को होम आइसोलेशन में भेजा जाएगा उन्हें सरकार की ओर से एक किट निशुल्क दी जाएगी। इस किट में 500 एमजी की पैरासिटामॉल, विटामिन और आइवरमेक्टिन की गोलियां होंगी। एक फोन नंबर भी दिया जाना चाहिए, जिस पर स्थिति बिगड़ने या सुधरने या फिर ठीक होने के संबंध में जानकारी ली जा सके। 
                                  दिशा-निर्देशों की अहम बातें:::
                                  निगरानी और जांच
                                  
                                    - आशा द्वारा नियमित रूप से इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी / गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण के लिए सक्रिय निगरानी हो।
- पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित संक्रमितों या ऑक्सीजन स्तर घटने के मामले को बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को भेजें।
- जुकाम-बुखार और सांस से संबंधित संक्रमण के लिए हर उपकेंद्र पर ओपीडी की व्यवस्था हो और दिन में इसका समय तय हो।
- संदिग्धों की पहचान होने के बाद उनकी स्वास्थ्य केंद्रों पर रैपिड एंटीजन जांच हो या फिर उनके सैंपल नजदीकी कोविड सेंटरों में भेजे जाएं।
- स्वास्थ्य अधिकारियों और एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्ट की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र पर इसकी किट हो।
- स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच के बाद मरीज को तब तक आइसोलेट होने की सलाह दी जाए, जब तक उनकी टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ जाती।
- बिना लक्षण वाले, मगर संक्रमित के संपर्क में आए लोगों को क्वारंटीन करें। ऐसे लोगों की फौरन जांच हो।
- संक्रमण के फैलाव और मामलों की संख्या के आधार पर संक्रमितों के संपर्क में आने वालों की पहचान हो।
होम आइसोलेशन में ऑक्सीजन स्तर की निगरानी
                                  
                                    - 80-85 फीसदी संक्रमण के मामले बिना लक्षणों वाले या बेहद कम लक्षणों वाले हैं। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। इन्हें घरों या कोविड केयर सुविधा में आइसोलेट किया जाए।
- कोरोना मरीज के ऑक्सीजन स्तर की जांच बेहद जरूरी है। हर गांव में पर्याप्त मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर हो।
- हर बार इस्तेमाल के बाद थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर को सैनिटाइजर में भीगे कपड़े से सैनिटाइज करें।
- अग्रिम मोर्चे के कर्मी, स्वयंसेवी और शिक्षक क्वारंटीन और होम आइसोलेशन में गए मरीजों के बारे में लगातार जानकारी के लिए दौरा करें।
- सांस लेने में तकलीफ, 94 फीसदी से नीचे ऑक्सीजन का स्तर आने पर, सीने में लगातार दबाव या दर्द होने पर, दिमागी भ्रम या भूलने की स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
- ऑक्सीजन स्तर 94 फीसदी से कम आने पर मरीज को तुरंत ऐसे स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाए, जहां ऑक्सीजन बेड की सुविधा हो।
 
                                
                                  विस्तार
                                  
                                    कोरोना महामारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को हर गांव में आशा कार्यकर्ताओं को खांसी-बुखार वाले रोगियों की पहचान और निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।
                                    
                                    उप स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 30-30 बिस्तरों की क्षमता वाले कोविड विशेष अस्पताल बनाए जाएं, जहां संक्रमितों को इलाज दिया जाए। संक्रमित मामलों में सामुदायिक स्वास्थ्य अफसर को फोन पर मरीजों को देखने के निर्देश दिए गए हैं। एएनएम को रैपिड एंटीजन टेस्ट का प्रशिक्षण देने को भी कहा गया है।
                                    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अब धीरे-धीरे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में भी कोरोना का फैलाव देखा जा रहा है, ऐसे में क्वारंटीन केंद्र और आइसोलेशन कक्ष बनाए जाएं।
                                    देश में ज्यादातर कोरोना के मामले बिना लक्षण वाले हैं, इसलिए इन मरीजों की पहचान होने पर इन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाएगी। जिनके यहां ऐसी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है उन्हें सरकारी केंद्र में रखा जाएगा।
                                    होम आइसोलेशन में भेजे जाने वाले मरीजों को मिलेगी मुफ्त दवा किट
                                    
                                    जिन रोगियों को होम आइसोलेशन में भेजा जाएगा उन्हें सरकार की ओर से एक किट निशुल्क दी जाएगी। इस किट में 500 एमजी की पैरासिटामॉल, विटामिन और आइवरमेक्टिन की गोलियां होंगी। एक फोन नंबर भी दिया जाना चाहिए, जिस पर स्थिति बिगड़ने या सुधरने या फिर ठीक होने के संबंध में जानकारी ली जा सके। 
                                  दिशा-निर्देशों की अहम बातें:::
                                  निगरानी और जांच
                                  
                                    - आशा द्वारा नियमित रूप से इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी / गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण के लिए सक्रिय निगरानी हो।
- पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित संक्रमितों या ऑक्सीजन स्तर घटने के मामले को बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को भेजें।
- जुकाम-बुखार और सांस से संबंधित संक्रमण के लिए हर उपकेंद्र पर ओपीडी की व्यवस्था हो और दिन में इसका समय तय हो।
- संदिग्धों की पहचान होने के बाद उनकी स्वास्थ्य केंद्रों पर रैपिड एंटीजन जांच हो या फिर उनके सैंपल नजदीकी कोविड सेंटरों में भेजे जाएं।
- स्वास्थ्य अधिकारियों और एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्ट की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र पर इसकी किट हो।
- स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच के बाद मरीज को तब तक आइसोलेट होने की सलाह दी जाए, जब तक उनकी टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ जाती।
- बिना लक्षण वाले, मगर संक्रमित के संपर्क में आए लोगों को क्वारंटीन करें। ऐसे लोगों की फौरन जांच हो।
- संक्रमण के फैलाव और मामलों की संख्या के आधार पर संक्रमितों के संपर्क में आने वालों की पहचान हो।
                                  होम आइसोलेशन में ऑक्सीजन स्तर की निगरानी
                                  
                                    - 80-85 फीसदी संक्रमण के मामले बिना लक्षणों वाले या बेहद कम लक्षणों वाले हैं। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। इन्हें घरों या कोविड केयर सुविधा में आइसोलेट किया जाए।
- कोरोना मरीज के ऑक्सीजन स्तर की जांच बेहद जरूरी है। हर गांव में पर्याप्त मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर हो।
- हर बार इस्तेमाल के बाद थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर को सैनिटाइजर में भीगे कपड़े से सैनिटाइज करें।
- अग्रिम मोर्चे के कर्मी, स्वयंसेवी और शिक्षक क्वारंटीन और होम आइसोलेशन में गए मरीजों के बारे में लगातार जानकारी के लिए दौरा करें।
- सांस लेने में तकलीफ, 94 फीसदी से नीचे ऑक्सीजन का स्तर आने पर, सीने में लगातार दबाव या दर्द होने पर, दिमागी भ्रम या भूलने की स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
- ऑक्सीजन स्तर 94 फीसदी से कम आने पर मरीज को तुरंत ऐसे स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाए, जहां ऑक्सीजन बेड की सुविधा हो।
 
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