एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 27 Aug 2021 01:49 AM IST
क्वाड देश (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
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इस युद्धाभ्यास में युद्धपोतों, विमानों एवं हेलीकॉप्टरों के जरिये विभिन्न जटिल अभ्यास किए जाएंगे। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, मालाबार-21 में सतह रोधी, वायु रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्धाभ्यास, सैन्य रणनीतिक अभ्यास तथा सामरिक अभ्यास समेत कई जटिल अभ्यास होंगे।
इस नौसैन्य अभ्यास में भाग लेने वाली नौसेनाओं को एक-दूसरे की विशेषज्ञता व अनुभवों से लाभ लेने का मौका मिलेगा। अमेरिका के सातवें बेड़े के मुताबिक, यह अभ्यास हिंद-प्रशांत में नियम आधारित समुद्री व्यवस्था बनाए रखने के लिए समान विचारधारा वाले देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा। 25वें मलाबार अभ्यास में भारतीय नौसेना के आईएनएस ‘शिवालिक’ और पनडुब्बी रोधी आईएनएस ‘कदमट’ तथा ‘पी8आई’ गश्ती विमान भाग ले रहे हैं।
समुद्री कौशल निखारने का मौका
अमेरिका ने अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए प्रशांत बेड़े का मिसाइल विध्वंसक यूएसएस बेरी, टास्क फोर्स 72 का टोही विमान और यूएसएनएस रैपाहनॉक समेत अन्य पोत एवं विमान तैनात किए हैं। अमेरिकी 7वें बेड़े ने कहा कि अभ्यास का पहला चरण हिंद-प्रशांत की चार नौसेनाओं के लिए संयुक्त समुद्री अभियान, पनडुब्बी रोधी जंगी अभियान, हवाई जंगी अभियान, गोलीबारी करने समेत अन्य में अपने कौशल को मजबूत करने का मौका होगा। अमेरिका के सातवें बेड़े के कमांडर कैप्टन चेस सार्जेंट ने कहा, मालाबार-21 युद्ध और समुद्री कौशल को निखारने के लिए बहुराष्ट्रीय परीक्षण का मौका देता है।
चीन देखता है संदेह की दृष्टि से
अमेरिकी सातवें बेड़े के कमांडर ने मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने वालों की संख्या में वृद्धि की संभावना का भी संकेत दिया। इसके लिए चारों देशों के नेताओं की सहमति जरूरी है। भारत के आमंत्रण के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल मलाबार अभ्यास में हिस्सा लिया था। चीन वार्षिक मलाबार अभ्यास को संदेह की दृष्टि से देखता रहा है क्योंकि उसे लगता है कि युद्धाभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करने का प्रयास है। मलाबार अभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था।