बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 27 Aug 2021 04:14 AM IST
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
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क्रिसिल ने बृहस्पतिवार को 4,700 कंपनियों पर सर्वे के बाद जारी एक रिपोर्ट में कहा कि अधिकतर कंपनियों को कारोबार में सुधार का पूरा भरोसा है। लिहाजा वे कर्ज पुनर्गठन का विकल्प नहीं चुनेंगी। आरबीआई के तय मानकों को पूरा करने वाली कंपनियों में मुश्किल से एक फीसदी ही कर्ज पुनर्गठन अपनाएंगी।
क्रिसिल के मुख्य रेटिंग अधिकारी सुबोध राय ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और कॉरपोरेट जगत इन झटकों से जल्द उबर गया है। पुनर्गठन 2.0 के तहत आरबीआई ने 25 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली एमएसएमई और छोटी कंपनियों को कर्ज पुनर्गठन की सुविधा दी थी। बाद में टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दी।
कम रेटिंग वाली कंपनियां ही शामिल
क्रिसिल के अनुसार, आरबीआई के टर्नओवर की सीमा बढ़ाने के बाद मध्यम आकार वाली 66 फीसदी कंपनियां कर्ज पुनर्गठन के दायरे में आ गईं। बावजूद इसके सिर्फ उन्हीं कंपनियों ने विकल्प का चुनाव किया, जिनकी रेटिंग बी या उससे भी कम है। कर्ज पुनर्गठन कराने वाली 95 फीसदी कंपनियों का क्रेडिट रेटिंग खराब रहा।
इसमें ज्यादातर हॉस्पिटैलिटी, एजुकेशन, टेक्सटाइल, निर्माण और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। हालांकि, महामारी की तीसरी लहर का जोखिम अभी बना हुआ है। अगर आर्थिक गतिविधियां दोबारा प्रभावित होती हैं, तो और कंपनियां भी कर्ज पुनर्गठन 2.0 में शामिल हो सकती हैं।