स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि भारत में जब संक्रमण दर तीन फीसदी से भी कम है तो भी रोजाना 40 हजार से अधिक मामले मिल रहे हैं। दूसरी लहर में एक दिन में चार लाख तक पीक गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तीसरी लहर किस हद तक फैल सकती है? लोगों को सचेत रहना बहुत जरूरी है।
ब्रिटेन, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, रूस सहित कई देशों में आ चुकी है तीसरी लहर
लव अग्रवाल ने कहा, ब्रिटेन में यूरो कप 2020 का आयोजन होने के बाद तेजी से संक्रमण के मामले बढ़े हैं। वहां तीसरी लहर में रोजाना 27 हजार से ज्यादा मामले मिल रहे हैं। इसी तरह रूस में भी यूरो कप 2020 के बाद से तीसरी लहर आ चुकी है, जहां एक दिन में 23 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। तीसरी लहर के चलते ही पड़ोसी देश बांग्लादेश में राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने की तैयारी की जा रही है। वहां दूसरी लहर में हर रोज सात हजार संक्रमित मिल रहे थे, लेकिन अब हर दिन नौ हजार से ज्यादा मामले मिल रहे हैं। इंडोनेशिया, अमेरिका सहित और भी कई देशों में ऐसे हालात अब दिखने लगे हैं।
मसूरी का वीडियो दुर्भाग्यपूर्ण
सोशल मीडिया पर वायरल उत्तराखंड के मसूरी में लोग खुलेआम नियमों की परवाह किए बगैर भीड़ में घूम रहे हैं। इस वीडियो पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि यह स्थिति काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। स्थानीय प्रशासन और व्यापारी वर्ग को इसकी चिंता करनी चाहिए। सबकुछ बंद करने से अच्छा है कि कोविड नियमों के साथ जिंदगी आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि देश के बाकी जिलों खासतौर पर पर्यटन स्थलों को भी सख्ती से काम लेना चाहिए।
17 राज्यों के 66 जिलों में फैल रहा कोरोना
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दूसरी लहर से काफी जिले बाहर आ चुके हैं लेकिन कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। 17 राज्यों के 66 जिलों में कोरोना फैल रहा है। इन जिलों में संक्त्रस्मण दर 10 फीसदी से अधिक है और पूरे देश तक महामारी को ले जाने के लिए इतने जिले काफी हैं। इसलिए न सिर्फ इन प्रभावित जिलों में सख्ती की आवश्यकता है बल्कि दूसरे राज्य और जिला प्रशासन को भी सतर्क होना पड़ेगा।
लव अग्रवाल ने कहा कि 14 जून को डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा पहचाना गया लैम्ब्डा वेरिएंट, कोरोना वायरस का सातवां वेरिएंट था और 25 देशों में इसका पता चला है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में इसका कोई मामला सामने नहीं आया है और आईएनएसएसीओजी इस पर नजर रख रहा है। पेरू में, 80 फीसदी मामले इसी स्वरूप के थे। यह दक्षिण अमेरिकी देशों और ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में भी मिला है। सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हर प्रभाव की निगरानी की जाएगी।’
वहीं, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि लैम्ब्डा स्वरूप पर ध्यान देने की जरूरत है और इसलिए इसका पता लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक हम जानते हैं कि इसने हमारे देश में प्रवेश नहीं किया है, अपने देश में यह नहीं मिला है। हमारी निगरानी प्रणाली आईएनएसएसीओजी बहुत प्रभावी है और अगर यह स्वरूप देश में प्रवेश करता है तो वह इसका पता लगा लेगी…।’ डॉ. पॉल ने कहा, ‘ हमें इन प्रकार के स्वरूपों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।’
कप्पा वेरिएंट के बारे में पॉल ने कहा कि यह फरवरी और मार्च में भी देश में मौजूद था और इसकी तीव्रता बहुत कम थी तथा डेल्टा स्वरूप ने बड़े पैमाने पर इसका स्थान ले लिया है। उन्होंने कहा, ‘कप्पा वेरिएंट देश में फरवरी-मार्च में भी मौजूद था, डेल्टा वेरिएंट कप्पा जैसा है। डेल्टा वेरिएंट के सामने आने पर यह दब गया था और हमारे देश में कुछ समय के लिए यह वेरिएंट था। डेल्टा एक संबंधित स्वरूप है और तेजी से फैल सकता है और यह दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।’
शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के कप्पा स्वरूप के दो मामलों का पता चला है।
