दास ने आरबीआई द्वारा तैयार की गई द्वि-वार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में लिखा, जो आर्थिक सुधार 2020-21 की दूसरी छमाही में शुरू हुआ था, उस पर दूसरी लहर के कारण इस वर्ष अप्रैल-मई में काफी प्रतिकूल असर पड़ा। हालांकि, जिस तेजी से संक्रमण की दर बढ़ी, उसमें उतनी ही तेजी से कमी भी आई और इसके साथ ही मई के आखिर और जून की शुरुआत से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आनी शुरू हुई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों के कुल फंसे कर्ज (एनपीए) मार्च 2021 में 7.5 फीसदी के स्तर पर ही बने रहे। यह स्थिति छह महीने पहले भी थी। हालांकि, मार्च, 2022 में एनपीए के 9.8 फीसदी तक पहुंचने के अनुमान हैं। दास ने कहा, वित्तीय संस्थानों के लेखा-जोखा और कामकाज पर उतना प्रतिकूल असर नहीं पड़ा, जितना की पहले आशंका जताई जा रही थी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि नियामक स्तर पर जो राहत दिए गए हैं, उसके प्रभाव सामने आने के बाद ही तस्वीर पूरी तरह से साफ होगी।
वित्तीय संस्थानों में पूंजी और नकदी का भंडार मजबूत, भविष्य के झटके सहने में सक्षम
दास ने कहा, वित्तीय संस्थानों में पूंजी और नकदी का भंडार पर्याप्त रूप से मजबूत बना हुआ है और भविष्य के किसी भी झटके को सहने में सक्षम है। उन्होंने कहा, वित्तीय प्रणाली सुधार की मदद के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन हमारी प्राथमिकता वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना और संरक्षित रखना है।
टीकाकरण से घरेलू वित्तीय बाजारों में आई तेजी
आरबीआई गवर्नर ने कहा, घरेलू वित्तीय बाजारों को महामारी के तेजी से कम होने और टीकाकरण अभियान में गति आने से भी बल मिला है। इससे यह उम्मीद बढ़ी है कि पाबंदियों में ढील के साथ अर्थव्यवस्था पटरी पर तेजी से लौटेगी।
पहली बार डाटा से छेड़छाड़ और साइबर हमले भी अर्थव्यवस्था के जोखिम के रूप में चिह्नित
दास ने पहली बार डाटा से छेड़छाड़ के बढ़ते मामलों और साइबर हमलों को अर्थव्यवस्था के एक जोखिम के रूप में चिह्नित किया। उन्होंने कहा, सुधार तो जारी हैं, मगर नए जोखिम भी पैदा हुए हैं। इसमें भविष्य में आने वाली महामारी की लहर की आशंका से शुरुआती चरण के सुधार के जोखिम, अंतरराष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं के बढ़ते दाम और महंगाई का दबाव, अनिश्चितता के बीच वैश्विक घटनाओं का असर और आंकड़ों में सेंध व साइबर हमले के बढ़ते मामले शामिल हैं।
माहौल बनाने में वित्तीय प्रणाली बन सकती है अगुवा
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ‘अर्थव्यवस्था में सुधार होने और फलने-फूलने के लिए माहौल बनाने में वित्तीय प्रणाली अग्रणी भूमिका निभा सकती है। मजबूत पूंजी स्थिति, बेहतर संचालन व्यवस्था और वित्तीय मध्यस्थता में दक्षता इसके लिए जरूरी बुनियाद हैं।’
मार्च तक 9.8 फीसदी पहुंच सकता है बैंकों का एनपीए
आरबीआई ने कहा कि बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2022 तक बढ़कर 9.8 फीसदी पर पहुंच सकता है। गंभीर दबाव की स्थिति में यह बढ़कर 11.22 फीसदी भी हो सकता है।केंद्रीय बैंक ने बृहस्पतिवार को जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा कि इस साल मार्च में सकल एनपीए 7.48 फीसदी के स्तर पर था। यह छह महीने पूर्व के ही स्तर पर ही रहा। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2021 में 9.54 फीसदी था, जिसके अगले साल मार्च तक 12.52 फीसदी पर पहुंचने की आशंका है।
इससे पहले जनवरी 2021 में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में आरबीआई ने सितंबर तक सकल एनपीए के 13.5 फीसदी पर पहुंचने की आशंका जताई गई थी। ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दबाव की स्थिति में भी कुल और व्यक्तिगत स्तर पर बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है।
