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केरल हाईकोर्ट: जांघों को गलत तरीके से छूना भी बलात्कार,कोर्ट ने दुष्कर्म की परिभाषा को दिया विस्तार

एजेंसी, कोच्चि।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 06 Aug 2021 03:00 AM IST

सार

पीठ ने कहा, अपराध कानून संशोधन विधेयक 2013 के तहत समय समय पर दुष्कर्म की परिभाषा बदलती है। इसके आधार पर अंतिम निष्कर्ष में तय किया गया है कि इस तरह की किसी भी हरकत को दुष्कर्म ही माना जाएगा।

केरल उच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई

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केरल हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की परिभाषा को विस्तार देते हुए कहा, लड़की या महिला की जांघों को गलत तरीके से छूना, कसकर पकड़ना और अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए जांघों पर हाथ फेरना भी बलात्कार ही है। अपने पड़ोस की 11 साल की बच्ची से कई बार दरिंदगी करने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक व्यक्ति की अपील पर केरल हाईकोर्ट ने यह अहम टिप्पणी की।

जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस जियाद रहमान की पीठ ने सोमवार को अपने इस ऐतिहासिक फैसले में कहा, अगर दुष्कर्म के इरादे से किसी बच्ची या महिला की जांघों को गलत तरीके से पकड़ा जाता है और संबंध नहीं भी बनाया जाता है, तो भी उस हरकत को अनुच्छेद 375 के तहत दुष्कर्म ही माना जाएगा।

महिलाओं के साथ उनकी मर्जी के बिना किया गया कैसा भी यौन व्यवहार बलात्कार की श्रेणी में ही आता है। याचिकाकर्ता ने निचली अदालत से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दलील दी थी कि जब संबंध ही नहीं बनाया गया तो उसे दुष्कर्म कैसे करार दिया गया।

विस्तार

केरल हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की परिभाषा को विस्तार देते हुए कहा, लड़की या महिला की जांघों को गलत तरीके से छूना, कसकर पकड़ना और अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए जांघों पर हाथ फेरना भी बलात्कार ही है। अपने पड़ोस की 11 साल की बच्ची से कई बार दरिंदगी करने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक व्यक्ति की अपील पर केरल हाईकोर्ट ने यह अहम टिप्पणी की।

जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस जियाद रहमान की पीठ ने सोमवार को अपने इस ऐतिहासिक फैसले में कहा, अगर दुष्कर्म के इरादे से किसी बच्ची या महिला की जांघों को गलत तरीके से पकड़ा जाता है और संबंध नहीं भी बनाया जाता है, तो भी उस हरकत को अनुच्छेद 375 के तहत दुष्कर्म ही माना जाएगा।

महिलाओं के साथ उनकी मर्जी के बिना किया गया कैसा भी यौन व्यवहार बलात्कार की श्रेणी में ही आता है। याचिकाकर्ता ने निचली अदालत से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दलील दी थी कि जब संबंध ही नहीं बनाया गया तो उसे दुष्कर्म कैसे करार दिया गया।

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