Desh

किसान की अधिग्रहित जमीन के मुआवजे से नहीं काट सकते विकास शुल्क : सुप्रीम कोर्ट

ख़बर सुनें

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि किसानों को भू अधिग्रहण कानून के तहत दिए मुआवजे से केवल वैधानिक कटौती ही की जा सकती है। राज्य सरकार या उसके विभाग किसी अन्य मद में कोई कटौती नहीं कर सकते।

शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ सरकारी कंपनी टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट के 2018 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, सरकार यह नहीं कह सकती कि उसकी अपनी नीति है और इस प्रकार मुआवजा कम किया जाएगा। खासतौर पर जब मुआवजे की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट कर चुका हो।

इससे पहले टीएचडीसीएल की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा था कि कंपनी ने भू अधिग्रहण के लिए मुआवजा दिया था और विकसित जमीन पाने वालों से विकास शुल्क लेना चाहती है। इसके दायरे में 4500 परिवार आते हैं।

इस पर चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की मौजूदगी वाली पीठ ने पूछा कि आपने किस नियम के तहत मुआवजे में से कटौती की है? आप इस बात को लेकर बहस नहीं कर सकते कि इसे लेकर कोई नीति है। यह असांविधानिक है। कोई राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण के बदले में दिए मुआवजे से कटौती कैसे कर सकती है?

पीठ ने याचिका खारिज करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा, महज इसलिए कि आप अपने तर्कों में बेहद मजबूत हैं, हम सरकार (सरकारी कंपनी) को एक और मौका नहीं दे सकते। स्पेशल लीव पिटीशन खारिज की जाती है। साथ ही यदि इस मामले से जुड़ी कोई याचिका लंबित है तो वह भी रद्द की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि किसानों को भू अधिग्रहण कानून के तहत दिए मुआवजे से केवल वैधानिक कटौती ही की जा सकती है। राज्य सरकार या उसके विभाग किसी अन्य मद में कोई कटौती नहीं कर सकते।

शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ सरकारी कंपनी टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट के 2018 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, सरकार यह नहीं कह सकती कि उसकी अपनी नीति है और इस प्रकार मुआवजा कम किया जाएगा। खासतौर पर जब मुआवजे की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट कर चुका हो।

इससे पहले टीएचडीसीएल की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा था कि कंपनी ने भू अधिग्रहण के लिए मुआवजा दिया था और विकसित जमीन पाने वालों से विकास शुल्क लेना चाहती है। इसके दायरे में 4500 परिवार आते हैं।

इस पर चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की मौजूदगी वाली पीठ ने पूछा कि आपने किस नियम के तहत मुआवजे में से कटौती की है? आप इस बात को लेकर बहस नहीं कर सकते कि इसे लेकर कोई नीति है। यह असांविधानिक है। कोई राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण के बदले में दिए मुआवजे से कटौती कैसे कर सकती है?

पीठ ने याचिका खारिज करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा, महज इसलिए कि आप अपने तर्कों में बेहद मजबूत हैं, हम सरकार (सरकारी कंपनी) को एक और मौका नहीं दे सकते। स्पेशल लीव पिटीशन खारिज की जाती है। साथ ही यदि इस मामले से जुड़ी कोई याचिका लंबित है तो वह भी रद्द की जाती है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

18
Desh

भाजपा ने दिया अपने मंत्रियों, नेताओं को कोविड-19 टीका लगवाने का सुझाव  

16
Desh

गांधी-नेहरू परिवार से भयभीत है भाजपा, उसे राहुल गांधी का भी है खौफ: भूपेश बघेल

16
Entertainment

मिलिंद सोमन और अंकिता कोंवर के रिश्ते को सात साल पूरे, अभिनेता ने रोमांटिक तस्वीर के साथ लिखी ये बात

15
Desh

पीएम मोदी ने ली कोरोना वैक्सीन की पहली डोज, एम्स में आज सुबह लगवाया टीका

15
videsh

अमेरिकी युद्धपोतों के सामने चीन ने दागीं सैकड़ों मिसाइलें

14
videsh

महिलाओं से गलत बर्ताव पर न्यूयॉर्क गवर्नर ने माफी मांगी, कहा- 'मेरे व्यवहार का गलत अर्थ निकालकर उसे छेड़खानी समझा गया'

14
Desh

महाराष्ट्रः फिर सतह पर आया मुंडे परिवार का झगड़ा

14
Desh

वैक्सीन से चुनावी संदेश: बंगाली वेशभूषा और असमिया गमछा में दिखे पीएम मोदी, पुडुचेरी की नर्स ने लगाया टीका

14
Desh

एंटीगुआ और बारबुडा ने रद्द की मेहुल की नागरिकता! वकील ने कहा- चौकसी अभी भी वहीं के नागरिक

To Top
%d bloggers like this: