एजेंसी, येरूशलम।
Published by: Amit Mandal
Updated Tue, 15 Jun 2021 12:21 AM IST
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्राइली पीएम नफ्ताली बेनेट को देश के 13वें पीएम के तौर पर शपथ लेने की बधाई देते हुए कहा कि वे उनसे मिलने और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के उत्सुक हैं। उन्होंने कहा, हम अगले साल दोनों देशों में राजनयिक रिश्तों के 30 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। पूर्व पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की विदाई पर मोदी ने कहा, भारत-इस्राइल साझेदारी पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। उधर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बधाई संदेश के जवाब में इस्राइली विदेश मंत्री ने कहा कि मैं भारत के साथ रणनीतिक रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए काम करने को उत्सुक हूं और जल्द ही इस्राइल में आपका स्वागत करने की उम्मीद करता हूं। बता दें कि यैर लैपिड नई गठबंधन सरकार में सबसे प्रभावशाली नेता हैं और 2023 में वे ही देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
मोदी ने नेतन्याहू को भी याद किया
पीएम मोदी ने नए इस्राइली पीएम को बधाई देते वक्त सत्ता छोड़ने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी याद किया। मोदी ने ‘सफल’ कार्यकाल की समाप्ति पर नेतन्याहू की सराहना की। विशेषज्ञों का कहना है कि नेतन्याहू की जगह पर नफ्ताली बेनेट के प्रधानमंत्री बनने से भारत-इस्राइल की अटूट ‘दोस्ती’ पर कोई असर नहीं पडे़गा।
सत्ता बदलने का भारत से रिश्तों पर असर नहीं
इस्राइल में नई सरकार के सत्ता संभालने का असर भारत के साथ उसके रिश्तों पर नहीं पड़ेगा। पश्चिम एशियाई मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा ने कहा कि भारत से बनाए गए रिश्तों से इस्राइल को काफी फायदा है और भारत वैसे भी इस्राइल से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदता है। बेनेट के रक्षामंत्री रहते हुए दोनों देशों में कई रक्षा समझौते हुए थे। इसके अलावा दोनों देशों के बीच पानी और ऊर्जा क्षेत्र में भी कई साझा कार्यक्रम चल रहे हैं। उधर, भारत फलस्तीन मसले पर भी तटस्थ है और इस मामले में वह इस्राइल का रणनीतिक साथी नहीं बनेगा। लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे।
राम पार्टी के मंसूर अब्बास की अहम भूमिका
हाल ही में दंगे फसाद के दौर से गुजरे इस्राइल में देश की अरब नागरिकों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली राम पार्टी के गठबंधन में शामिल होने की बहुत कम संभावना थी लेकिन वह अतिराष्ट्रवादी बेनेट नफ्ताली के साथ नई सरकार में अहम भूमिका में है। पार्टी के नेता मंसूर अब्बास पहली बार अरब नेता की भागीदारी निभाते हुए सत्ता में हैं और उनकी राम पार्टी सत्ता के बाहर से समर्थन नहीं कर रही बल्कि उसका हिस्सा है।