पीटीआई, दिल्ली
Published by: Jeet Kumar
Updated Wed, 07 Jul 2021 06:06 AM IST
सार
याचिका में आग्रह किया गया कि महिला को अपनी पसंद के मुताबिक आध्यात्मिक जीवन के लिए उक्त व्यक्ति के साथ रहने दिया जाए।
सांकेतिक तस्वीर….
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
शीर्ष अदालत ने राहत देने से इंकार करते हुए अमेरिका के ब्रिटनी स्पीयर्स के मामलों का जिक्र किया जहां पॉप सिंगर अपने पिता की रूढ़िवादिता को समाप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं और कहा कि वहां बीमारी का इलाज भी व्यक्ति की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश राय की पीठ ने कहा कि भारत में परिवारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कोई भी सामान्य तौर पर स्वीकार नहीं करता कि बच्चे को किसी तरह की मानसिक समस्या है।
पीठ ने कहा कि वह उक्त व्यक्ति के पास इलाज के लिए गई और उन्होंने उसके साथ संबंध प्रगाढ़ करने शुरू कर दिए।बहरहाल वह अलग मुद्दा है, हम लड़की के हित को देख रहे हैं। इस मामले में हम नहीं चाहते कि वह याचिकाकर्ता के साथ जाए। यह बेहतर है कि वह अपने माता-पिता के साथ रहे। हम ‘गुरु जी’ और ‘स्वामी जी’ की स्थिति को जानते हैं।
42 वर्षीय ‘आध्यात्मिक गुरु’ कैलाश नटराजन के पहले की बातों का जिक्र करते हुए पीठ ने यह याचिका खारिज कर दी कि लड़की वयस्क है और उसे अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रहने के अधिकार की अनुमति दी जाए। नटराजन पोक्सो के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों का पहले से सामना कर रहा है। पीठ ने कहा कि लड़की की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है…।
नटराजन ने अपनी याचिका में कहा कि वह महिला का ‘आध्यात्मिक गुरु’ है, महिला वयस्क है जो ‘आध्यात्मिक जीवन’ के लिए उसके साथ रहना चाहती है लेकिन उसके माता-पिता उसकी इच्छाओं का विरोध कर रहे हैं।
