सार
आबिद दूसरे देशों में फंसे लोगों से संपर्क करने, उनके कागज़ और दस्तावेज़ पूरे करने, सरकार, विदेश मंत्रालय और दूतावास से संपर्क करने और उसके बातचीत से जुड़े सारे काम करते हैं। उनका मक़सद होता है लोगों को जल्द से जल्द वापस भारत पहुंचाना।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर के रहने वाले आबिद पिछले 13 सालों से भोपाल में रहकर विदेश में फंसे लोगों को निकालने का काम कर रहे हैं।
– फोटो : Amar Ujala/Social Media
भारत से हर साल लाखों की संख्या में लोग काम के सिलसिले में दक्षिण एशियाई और खाड़ी देशों में रोजगार ढूंढने जाते हैं। हालांकि, कई बार कुछ ऐसी परिस्थितियां खड़ी हो जाती हैं कि कुछ लोग इन जगहों पर फंस कर रह जाते हैं। कभी फर्जी एजेंट्स के झांसे में आकर तो कभी वहां काम करने वाले क्रूर मालिकों के चंगुल में। इस स्थिति में कई बार संज्ञान मिलने पर भारतीय विदेश मंत्रालय आगे आकर लोगों की मदद भी करता है। लेकिन हर बार मामले भारत सरकार के सामने नहीं पहुंच पाते और कई लोग न्याय का इंतजार करते हुए इन्हीं देशों में फंसे रह जाते हैं। पिछले पांच सालों से ऐसे ही कुछ लोगों को निकालने का काम कर रहे हैं आबिद हुसैन।
पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से मध्य प्रदेश के भोपाल में रह रहे आबिद शायद असल जिंदगी के ‘बजरंगी भाईजान’ है। कम से कम आबिद को जानने वाले तो उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं। दरअसल, उन्होंने अब तक पाकिस्तान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, कुवैत, ओमान, बहरीन, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका और अन्य कई देशों में फंसे नागिरकों को निकालने में अहम भूमिका निभाई है। इतने देशों के नाम जुबान पर होने के बावजूद आबिद हुसैन को ठीक से यह नहीं याद है कि उन्होंने अब तक कितने लोगों के देश लौटाने में मदद की है। अमर उजाला के सवाल पर आबिद हंसते हुए इस आंकड़े को सैकड़ों में कहते हैं, पर वे असल संख्या का अंदाजा लगाने में हिचकते हुए कहते हैं- “यह तो ईश्वर का काम है, इन अच्छे कामों को करने के बाद कौन याद रखता है। इसलिए हम भी वापस लाए गए लोगों का कोई रिकॉर्ड या डिटेल नहीं रखते। जो कुछ भी है, वो बस ट्विटर पर है।”
आबिद का कहना है कि उनकी ये मदद किसी हिंदीपट्टी के राज्य या उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं रहती। बल्कि लगभग सभी राज्यों के लोगों को लौटाने में वे मदद कर चुके हैं। आबिद का कहना है कि उन्होंने इसी हफ्ते सऊदी अरब के जेद्दाह से केरल के दो लड़कों को निकाला। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई और राज्यों के निवासियों को भी विदेश से वापस लौटाने में मदद की है।
आबिद हुसैन ने जबसे दूसरे देशों में फंसे लोगों की मदद का काम शुरू किया, तबसे उन्हें लगातार लोगों की परेशानियों का अनुभव हुआ है। दरअसल, जो लोग विदेश में फंसते हैं, वे कम जानकारी और पढ़ाई-लिखाई होने की वजह से कभी फर्जी एजेंट्स के झांसे में तो कभी वहां काम करने वाले क्रूर मालिकों के चंगुल में आ जाते हैं। आलम तो यह है कि कई बार तो इन देशों में फंसे लोग पैसे न होने और बधुआ मजदूर बनाए जाने की वजह से जहां-तहां फंस जाते हैं और अपने परिवार से संपर्क तक नहीं कर पाते।
ऐसी स्थिति में आबिद परेशानी में फंसे हुए व्यक्ति से संपर्क करने, उनके कागज़ और दस्तावेज़ पूरे करने, सरकार, विदेश मंत्रालय और दूतावास से संपर्क करने और उसके बातचीत से जुड़े सारे काम करते हैं। उनका मक़सद होता है लोगों को जल्द से जल्द वापस भारत पहुंचाना और इस कार्य में उनको सफलता भी मिलती है।
आबिद बताते हैं कि विदेश मंत्रालय उनके प्रयासों में उनकी पूरी मदद करता है। यूं तो बड़े अधिकारी उन्हें नहीं जानते, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के कई क्षेत्रीय नेता उनके कामों को अच्छे से जानते हैं। यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी काम की वजह से उन्हें नाम से पहचानती थीं। आबिद कहते हैं कि एस जयशंकर साहब से उनका कभी कोई संपर्क नहीं हुआ, क्योंकि विदेश मंत्रालय की टीम ही उनकी पूरी मदद कर देती है और समस्याओं का निपटारा कर देती है।
अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद से फैले डर और वहां से लोगों को निकालने पर आबिद का कहना है कि फिलहाल भारत सरकार खुद ही सफलतापूर्वक निकासी कार्यक्रम चला रही है। आमतौर पर ऐसी स्थिति में विदेश मंत्रालय नियंत्रण अपने हाथ में रखता है और खुद ही लोगों को निकालने का काम पूरा करता है। लेकिन इसके बावजूद अगर कभी अफगानिस्तान में फंसे किसी भारतीय का फोन उन्हें आता है, तो वे मदद से बिल्कुल भी नहीं हिचकेंगे।
विस्तार
भारत से हर साल लाखों की संख्या में लोग काम के सिलसिले में दक्षिण एशियाई और खाड़ी देशों में रोजगार ढूंढने जाते हैं। हालांकि, कई बार कुछ ऐसी परिस्थितियां खड़ी हो जाती हैं कि कुछ लोग इन जगहों पर फंस कर रह जाते हैं। कभी फर्जी एजेंट्स के झांसे में आकर तो कभी वहां काम करने वाले क्रूर मालिकों के चंगुल में। इस स्थिति में कई बार संज्ञान मिलने पर भारतीय विदेश मंत्रालय आगे आकर लोगों की मदद भी करता है। लेकिन हर बार मामले भारत सरकार के सामने नहीं पहुंच पाते और कई लोग न्याय का इंतजार करते हुए इन्हीं देशों में फंसे रह जाते हैं। पिछले पांच सालों से ऐसे ही कुछ लोगों को निकालने का काम कर रहे हैं आबिद हुसैन।
पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से मध्य प्रदेश के भोपाल में रह रहे आबिद शायद असल जिंदगी के ‘बजरंगी भाईजान’ है। कम से कम आबिद को जानने वाले तो उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं। दरअसल, उन्होंने अब तक पाकिस्तान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, कुवैत, ओमान, बहरीन, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका और अन्य कई देशों में फंसे नागिरकों को निकालने में अहम भूमिका निभाई है। इतने देशों के नाम जुबान पर होने के बावजूद आबिद हुसैन को ठीक से यह नहीं याद है कि उन्होंने अब तक कितने लोगों के देश लौटाने में मदद की है। अमर उजाला के सवाल पर आबिद हंसते हुए इस आंकड़े को सैकड़ों में कहते हैं, पर वे असल संख्या का अंदाजा लगाने में हिचकते हुए कहते हैं- “यह तो ईश्वर का काम है, इन अच्छे कामों को करने के बाद कौन याद रखता है। इसलिए हम भी वापस लाए गए लोगों का कोई रिकॉर्ड या डिटेल नहीं रखते। जो कुछ भी है, वो बस ट्विटर पर है।”
देशभर से लोग करते हैं मदद की अपील, आबिद नहीं होने देते निराश
आबिद का कहना है कि उनकी ये मदद किसी हिंदीपट्टी के राज्य या उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं रहती। बल्कि लगभग सभी राज्यों के लोगों को लौटाने में वे मदद कर चुके हैं। आबिद का कहना है कि उन्होंने इसी हफ्ते सऊदी अरब के जेद्दाह से केरल के दो लड़कों को निकाला। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई और राज्यों के निवासियों को भी विदेश से वापस लौटाने में मदद की है।
मुसीबत में फंसे लोगों के दस्तावेज पूरे करने से लेकर दूतावास तक से संपर्क करते हैं
आबिद हुसैन ने जबसे दूसरे देशों में फंसे लोगों की मदद का काम शुरू किया, तबसे उन्हें लगातार लोगों की परेशानियों का अनुभव हुआ है। दरअसल, जो लोग विदेश में फंसते हैं, वे कम जानकारी और पढ़ाई-लिखाई होने की वजह से कभी फर्जी एजेंट्स के झांसे में तो कभी वहां काम करने वाले क्रूर मालिकों के चंगुल में आ जाते हैं। आलम तो यह है कि कई बार तो इन देशों में फंसे लोग पैसे न होने और बधुआ मजदूर बनाए जाने की वजह से जहां-तहां फंस जाते हैं और अपने परिवार से संपर्क तक नहीं कर पाते।
ऐसी स्थिति में आबिद परेशानी में फंसे हुए व्यक्ति से संपर्क करने, उनके कागज़ और दस्तावेज़ पूरे करने, सरकार, विदेश मंत्रालय और दूतावास से संपर्क करने और उसके बातचीत से जुड़े सारे काम करते हैं। उनका मक़सद होता है लोगों को जल्द से जल्द वापस भारत पहुंचाना और इस कार्य में उनको सफलता भी मिलती है।
सरकार भी देती है ध्यान, सुषमा स्वराज जी नाम से जानती थीं
आबिद बताते हैं कि विदेश मंत्रालय उनके प्रयासों में उनकी पूरी मदद करता है। यूं तो बड़े अधिकारी उन्हें नहीं जानते, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के कई क्षेत्रीय नेता उनके कामों को अच्छे से जानते हैं। यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी काम की वजह से उन्हें नाम से पहचानती थीं। आबिद कहते हैं कि एस जयशंकर साहब से उनका कभी कोई संपर्क नहीं हुआ, क्योंकि विदेश मंत्रालय की टीम ही उनकी पूरी मदद कर देती है और समस्याओं का निपटारा कर देती है।
अफगानिस्तान से सरकार ने ही चलाया निकासी कार्यक्रम, कोई मदद मांगेगा तो हाथ बढ़ाएंगे
अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद से फैले डर और वहां से लोगों को निकालने पर आबिद का कहना है कि फिलहाल भारत सरकार खुद ही सफलतापूर्वक निकासी कार्यक्रम चला रही है। आमतौर पर ऐसी स्थिति में विदेश मंत्रालय नियंत्रण अपने हाथ में रखता है और खुद ही लोगों को निकालने का काम पूरा करता है। लेकिन इसके बावजूद अगर कभी अफगानिस्तान में फंसे किसी भारतीय का फोन उन्हें आता है, तो वे मदद से बिल्कुल भी नहीं हिचकेंगे।
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