जो बाइडन के साथ कमला हैरिस (फाइल फोटो) – फोटो : Facebook
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चार दिनों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार आज तय हो गया कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा। डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन को इस चुनाव में जीत हासिल हुई है और वह देश के 46वें राष्ट्रपति होंगे। वहीं, भारतीय मूल की कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति चुनी गई हैं। अमेरिका में हुए चुनाव के नतीजों ने बाइडन को राजनीति का सरदार बना दिया है, तो वहीं इस जीत के साथ कमला असरदार साबित हुई हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जो बाइडन ने कैसी रणनीति बनाई कि उन्हें जीत हासिल हुई। कैसे बाइडन ने खुद को राष्ट्रपति पद के एक प्रभावशाली उम्मीदवार के रूप में पेश किया। आइए आपको बताते हैं कि किस प्रकार बाइडन और हैरिस ने इस चुनाव में जीत हासिल की।
चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को आक्रामक रूप से जनता के सामने पेश किया। ट्रंप कोरोना वायरस महामारी को लेकर अपनाई गई रणनीति को लेकर पहले से ही निशाने पर थे। ऐसे में जो बाइडन ने खुद को ट्रंप के एक बेहतर विकल्प के रूप में पेश किया। उन्होंने खुद को हर सभा में एक परिपक्व नेता के रूप में पेश किया।
ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान 2016 की रणनीति को बरकरार रखा। उन्होंने बेहद आक्रामक रुख अपनाया हुआ था। ट्रंप ने एक के बाद एक अजीबोगरीब बयान दिए। वहीं, बाइडन ने मंझे हुए राजनेता की तरह एक सतर्क रुख अपनाया। उन्होंने जनता के छोटे समूहों को संबोधित किया। बाइडन की रैलियों में लोग कार में बैठकर शामिल हुए। इस दौरान कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बाइडन मास्क पहने हुए दिखाई देते थे।
बाइडन के चुनाव प्रचार में एकता, सहानुभूति, करुणा और विशेषज्ञों के सम्मान पर आधारित थीम रखी गई। बाइडन ने अपने चुनाव प्रचार में ट्रंप की गलतियों और उससे जनता को हुए नुकसान से लोगों को अवगत कराया।
जो बाइडन ने हजारों कार्यकर्ताओं के संग मिलकर राजनीतिक समूहों का गठन किया और चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला। बाइडन ने चंदा इकट्ठा करने के मामले में भी ट्रंप को पछाड़ा। उदारपंथियों और संसद के एक सदन-कांग्रेस का चुनाव लड़ने वाले पार्टी उम्मीदवारों से बाइडेन को सात हजार करोड़ रुपए मिले।
बाइडन ने कोरोना वायरस को लेकर खास ध्यान दिया और अपने चुनाव अभियान को इसके इर्द-गिर्द बुना। उन्होंने अपनी रैलियों में सामाजिक दूरी और मास्क पहनने पर जोर दिया। जब देश में वायरस का प्रकोप बढ़ा, तो बाइडन ने अधिक चुनावी कार्यक्रम को आयोजित नहीं किया। बाइडेन ने अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ा डिजिटल अभियान छेड़ा।
कमला हैरिस ने अपने चुनावी अभियान में लिंगभेद-नस्लभेद को मुद्दा बनाया। अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में आंदोलन शुरू हुआ, इसका फायदा भी कमला को मिला। उन्होंने इस मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन को घेरा।
कमला ने 2011 में बैंकिंग सेक्टर में आए क्रैश के कारण बेघर हुए लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए मुहिम चलाई थी। अमेरिका में उनकी छवि एक उदारवादी महिला राजनेता के तौर पर है। कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के बाद लोगों ने उन्हें गरीबों के मसीहा के रूप में देखा।
बाइडन और हैरिस ने नतीजों से पहले ही अपनी स्थिति साफ कर दी थी कि वो किस मुद्दे पर काम करेंगे। उन्होंने कोरोना को नियंत्रित करने के लिए योजना को लागू करने पर जोर दिया। इसके अलावा बेरोजगारी को देखते हुए आर्थिक योजना को लागू करने की बात कही।
बाइडन ने 2006 में कहा था कि मेरा सपना है कि 2020 तक सबसे नजदीकी संबंध वाले दुनिया के दो देशों में अमेरिका और भारत का नाम हो।
ओबामा कार्यकाल के दौरान बाइडन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे। उस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का आधिकारिक तौर पर समर्थन किया।
कमला कश्मीर और और अनुच्छेद 370 को लेकर खुलकर बयान देती रही हैं। इसलिए माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर पर उनका रुख भारत के नरजरिए से उपयुक्त नहीं होगा। इसके अलावा पाकिस्तान और चीन के मुद्दे पर भी उनका रुख स्पष्ट नहीं है।
चार दिनों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार आज तय हो गया कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा। डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन को इस चुनाव में जीत हासिल हुई है और वह देश के 46वें राष्ट्रपति होंगे। वहीं, भारतीय मूल की कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति चुनी गई हैं। अमेरिका में हुए चुनाव के नतीजों ने बाइडन को राजनीति का सरदार बना दिया है, तो वहीं इस जीत के साथ कमला असरदार साबित हुई हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जो बाइडन ने कैसी रणनीति बनाई कि उन्हें जीत हासिल हुई। कैसे बाइडन ने खुद को राष्ट्रपति पद के एक प्रभावशाली उम्मीदवार के रूप में पेश किया। आइए आपको बताते हैं कि किस प्रकार बाइडन और हैरिस ने इस चुनाव में जीत हासिल की।
चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को आक्रामक रूप से जनता के सामने पेश किया। ट्रंप कोरोना वायरस महामारी को लेकर अपनाई गई रणनीति को लेकर पहले से ही निशाने पर थे। ऐसे में जो बाइडन ने खुद को ट्रंप के एक बेहतर विकल्प के रूप में पेश किया। उन्होंने खुद को हर सभा में एक परिपक्व नेता के रूप में पेश किया।
ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान 2016 की रणनीति को बरकरार रखा। उन्होंने बेहद आक्रामक रुख अपनाया हुआ था। ट्रंप ने एक के बाद एक अजीबोगरीब बयान दिए। वहीं, बाइडन ने मंझे हुए राजनेता की तरह एक सतर्क रुख अपनाया। उन्होंने जनता के छोटे समूहों को संबोधित किया। बाइडन की रैलियों में लोग कार में बैठकर शामिल हुए। इस दौरान कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बाइडन मास्क पहने हुए दिखाई देते थे।
बाइडन के चुनाव प्रचार में एकता, सहानुभूति, करुणा और विशेषज्ञों के सम्मान पर आधारित थीम रखी गई। बाइडन ने अपने चुनाव प्रचार में ट्रंप की गलतियों और उससे जनता को हुए नुकसान से लोगों को अवगत कराया।
जो बाइडन ने हजारों कार्यकर्ताओं के संग मिलकर राजनीतिक समूहों का गठन किया और चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला। बाइडन ने चंदा इकट्ठा करने के मामले में भी ट्रंप को पछाड़ा। उदारपंथियों और संसद के एक सदन-कांग्रेस का चुनाव लड़ने वाले पार्टी उम्मीदवारों से बाइडेन को सात हजार करोड़ रुपए मिले।
बाइडन ने कोरोना वायरस को लेकर खास ध्यान दिया और अपने चुनाव अभियान को इसके इर्द-गिर्द बुना। उन्होंने अपनी रैलियों में सामाजिक दूरी और मास्क पहनने पर जोर दिया। जब देश में वायरस का प्रकोप बढ़ा, तो बाइडन ने अधिक चुनावी कार्यक्रम को आयोजित नहीं किया। बाइडेन ने अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ा डिजिटल अभियान छेड़ा।
कमला हैरिस ने अपने चुनावी अभियान में लिंगभेद-नस्लभेद को मुद्दा बनाया। अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में आंदोलन शुरू हुआ, इसका फायदा भी कमला को मिला। उन्होंने इस मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन को घेरा।
कमला ने 2011 में बैंकिंग सेक्टर में आए क्रैश के कारण बेघर हुए लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए मुहिम चलाई थी। अमेरिका में उनकी छवि एक उदारवादी महिला राजनेता के तौर पर है। कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के बाद लोगों ने उन्हें गरीबों के मसीहा के रूप में देखा।
बाइडन और हैरिस ने नतीजों से पहले ही अपनी स्थिति साफ कर दी थी कि वो किस मुद्दे पर काम करेंगे। उन्होंने कोरोना को नियंत्रित करने के लिए योजना को लागू करने पर जोर दिया। इसके अलावा बेरोजगारी को देखते हुए आर्थिक योजना को लागू करने की बात कही।
भारत के लिए बाइडन की जीत के क्या है मायने
बाइडन ने 2006 में कहा था कि मेरा सपना है कि 2020 तक सबसे नजदीकी संबंध वाले दुनिया के दो देशों में अमेरिका और भारत का नाम हो।
ओबामा कार्यकाल के दौरान बाइडन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे। उस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का आधिकारिक तौर पर समर्थन किया।
कमला कश्मीर और और अनुच्छेद 370 को लेकर खुलकर बयान देती रही हैं। इसलिए माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर पर उनका रुख भारत के नरजरिए से उपयुक्त नहीं होगा। इसके अलावा पाकिस्तान और चीन के मुद्दे पर भी उनका रुख स्पष्ट नहीं है।
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