वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: सुभाष कुमार
Updated Fri, 15 Oct 2021 10:30 PM IST
सार
व्हाइट हाउस में आयोजित ‘काउंटर रैनसमवेयर इनीशिएटिव’ में भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक ले. जनरल (रिटायर) राजेश पंत ने कहा कि तेजी से बढ़ते ‘डिजिटलीकरण’ और ‘क्रिप्टोकरेंसी’ ने साइबर क्षेत्र को और अधिक संवेदनशील बना दिया है।
अमेरिकी नेतृत्व में रैनसमवेयर रोधी पहल पर पहली वैश्विक बैठक आयोजित।
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
अमेरिकी नेतृत्व में रैनसमवेयर रोधी पहल पर अब तक की पहली वैश्विक बैठक में भारत ने कहा कि ऐसे हमले सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती हैं। ‘रैनसमवेयर’ एक तरह का सॉफ्टवेयर है, जिसके जरिये वसूली करने के लिए लोग, पीड़ितों के कंप्यूटर के संचालन को ‘ब्लॉक’ कर देते हैं।
व्हाइट हाउस में आयोजित ‘काउंटर रैनसमवेयर इनीशिएटिव’ में भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक ले. जनरल (रिटायर) राजेश पंत ने कहा कि तेजी से बढ़ते ‘डिजिटलीकरण’ और ‘क्रिप्टोकरेंसी’ ने साइबर क्षेत्र को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। उन्होंने कहा, रैनसमवेयर, साइबर खतरे का एक विकसित रूप है जबकि अपराधी अधिक परिष्कृत व चतुर होते जा रहे हैं। वैश्विक गतिशीलता ने भी इस डिजिटल स्वरूप को और खतरे में डाल दिया है। पंतने कहा, कोविड-19 महामारी ने भी इसे और बढ़ावा दिया है और डिजिटलीकरण को लेकर जल्दबाजी ने भी सूचना प्रौद्योगिकी को संवेदनशील बनाया है। इसके लिए जिम्मेदार एक और पहलू ‘क्रिप्टोकरेंसी’ की बढ़ती लोकप्रियता है, जिसके लेनदेन का पता लगाना भी मुश्किल है।
भारत ने निभाई अहम भूमिका
रैनसमवेयर रोधी पहल का नेतृत्व कर रहे अमेरिका का मानना है कि आईटी महाशक्ति के रूप में पहचाने जाने वाले भारत ने इस चुनौती से निपटने को लिए हुई चर्चा का नेतृत्व करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब तक इस तरह की पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक में भारत सहित 30 देश शामिल हुए। चीन व रूस ने व्हाइट हाउस की मेजबानी में आयोजित दो दिनी डिजिटल बैठक में भाग नहीं लिया।
हमले अभी और बढ़ेंगे
भारत की तरफ से बोलते हुए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक राजेश पंत ने कहा कि इस साल के अंत तक, रैनसमवेयर के हर 11 सेकंड में एक कंपनी पर हमला करने और 20 अरब डॉलर तक का नुकसान पहुंचाने की आशंका है। पंत ने कहा, इन बढ़ते खतरों को देखते हुए, हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे संगठन, विशेषकर देश की महत्वपूर्ण अवसंरचनाएं सुरक्षित रहें।
