न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस, वाशिंगटन
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 13 Jul 2021 08:11 AM IST
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एक पानी की बोतल के आकार के उपकरण स्पायरोनोज से सांस में मौजूद उन रासायनिक तत्वों की पड़ताल की गई जो कोरोना वायरस होने का संकेत दे सकें। जिनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई उन्हें ही कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति मिली।
छोड़ी गई सांस में सैकड़ों गैसें होती हैं शामिल, नए उपकरण तेजी से जांच करते हैं और इनसे दर्द भी नहीं होता
स्पायरोनोज को आज विश्व के कई देशों में कोविड-19 की जांच के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। सिंगापुर के स्वास्थ्य विभाग ने भी अपने देश की दो कंपनियों ब्रीदोनिक्स और सिल्वर फैक्ट्री टेक्नोलॉजी के बनाए ऐसे ही उपकरणों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है।
ओहायो विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं ने अमेरिका में आपात उपयोग के लिए सांस की जांच करने वाले अपने उपकरण को अनुमति प्रदान करने के लिए एफडीए के पास आवेदन किया है।
कोविड-19 की इस तरह पहचान
विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 मरीजों की सांस में मेथेनॉल का स्तर नीचे पाया जाता है। यह संकेत है कि वायरस ने उसके पेट के सिस्टम को प्रभावित किया है। यह मरीज में कोरोना की पुष्टि कर सकता है। इंग्लैंड के लॉगबोरो विश्वविद्यालय के केमिस्ट पॉल थॉमस दावा करते हैं कि आज सांस से कोई रोग की पुष्टि संभव है इसमें इस्तेमाल हो रहे नए उपकरण तेजी से जांच करते हैं और इनसे दर्द भी नहीं होता।
बाधाएं भी मौजूद
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, सांस से संक्रमण या बीमारी की पुष्टि कई वजहों से मुश्किल है। अगर व्यक्ति ने कुछ ऐसा खाया है जो उसकी सांस में निकल रहे रसायनों में बदलाव कर दे, तो बीमारी छिपी रह सकती है। धूम्रपान और शराब सेवन करने वालों में भी इस विधि से जांच मुश्किल है। इस तकनीक को और विकसित होने के लिए और अध्ययन की जरूरत है।
