देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फ्यूचर-रिलायंस रिटेल डील मामले में अमेजन के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने फिलहाल रिलायंस-फ्यूचर रिटेल डील पर रोक लगा दी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिलायंस, फ्यूचर ग्रुप की रिटेल संपत्ति खरीदने के सौदे पर आगे नहीं बढ़ सकता है।
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने इस पर गौर किया और फैसला दिया कि किसी विदेशी कंपनी के आपात निर्णायक (ईए) का फैसला भारतीय मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम के तहत लागू करने योग्य है बावजूद इसके कि ईए शब्द का प्रयोग यहां मध्यस्थता कानूनों में नहीं किया गया है। पीठ ने कहा, ‘ईए का आदेश धारा 17 (1) के तहत आने वाला आदेश है और इसे मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 17 (2) के तहत लागू करने योग्य है।’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्यूचर रिटेल की बिक्री को रोकने के लिए सिंगापुर आर्बिट्रेटर के फैसले को लागू किया जा सकता है। फ्यूचर रिटेल का रिलायंस रिटेल के साथ 3.4 अरब डॉलर (24,713 करोड़ रुपये) की डील आर्बिट्रेटर के फैसले को लागू करने के योग्य है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) और रिलायंस के बीच 24,731 करोड़ रुपये का सौदा रद्द होने की कगार पर आ गया है। गेंद अब पूरी तरह सिंगापुर मध्यस्थता अदालत के पाले में है, जो पहले ही अमेजन के पक्ष में फैसला दे चुका है। अगर सौदा रद्द होता है, तो एफआरएल के 50 हजार कर्मचारियों के साथ छह हजार छोटे-मझोले दुकानदारों का भविष्य भी संकट में घिर जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एफआरएल ने कहा, कानून में अभी कई विकल्प हैं। हम फैसले पर अंगुली नहीं उठा रहे लेकिन हितधारकों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। शीर्ष अदालत ने सिर्फ दो मुद्दों पर ही फैसला सुना दिया, जबकि मुख्य विवाद अभी बाकी है। हम आदेश की कॉपी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। डील बचाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। अभी हमें मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के फैसले का भी इंतजार है। इससे पहले एफआरएल ने कहा था कि अगर सौदा रद्द होता है, तो कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया के तहत ले जाना होगा। इससे 50 हजार कर्मचारियों और 6 हजार से ज्यादा छोटे-मझोले दुकानदारों पर असर पड़ेगा।
अमेजन ने क्यो दायर की थी याचिका?
अगस्त 2020 में रिलायंस और फ्यूचर रिटेल के बीच सौदा हुआ था। इस सौदे के खिलाफ अमेजन सिंगापुर की आर्बिट्रेशन कोर्ट पहुंची थी। 25 अक्तूबर 2020 को सिंगापुर की कोर्ट ने भी इस डील पर रोक लगा दी थी। हालांकि सिंगापुर कोर्ट ने भी अभी तक कोई आखिरी फैसला नहीं दिया है।
वहां की अदालत जल्द ही इस पर फैसला दे सकती है, क्योंकि अक्तूबर में डील पर रोक लगाने के बाद कोर्ट ने कहा था कि वो 90 दिनों में कोई फैसला देगी। चूंकि ये रोक सिंगापुर की कोर्ट ने लगाई थी, इसलिए रिलायंस और फ्यूचर इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं थे। यही वजह थी कि सिंगापुर की कोर्ट का आदेश लागू करवाने के लिए अमेजन को दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करनी पड़ी थी।
अमेजन को क्या है परेशानी?
अगस्त 2019 में अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके लिए अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप को 1,431 करोड़ रुपये चुकाए थे। फ्यूचर कूपन्स के पास फ्यूचर रिटेल में करीब 10 फीसदी की हिस्सेदारी थी। यानी एक तरह से अमेजन ने फ्यूचर रिटेल में पैसा लगाने की शुरुआत की थी।
अमेजन और फ्यूचर कूपन्स के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें तय हुआ कि अमेजन तीन से 10 साल बाद फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी। साथ ही ये भी तय हुआ कि फ्यूचर रिटेल अपनी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज को नहीं बेचेगी। लेकिन फिर कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया और फ्यूचर रिटेल की हालत खराब हो गई। किशोर बियानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि लॉकडाउन के बाद सारे स्टोर बंद हो गए और अगले तीन-चार महीनों में ही कंपनी को 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा। आखिरकार इस कंपनी को बेचने का फैसला लिया गया।
अगस्त 2020 में रिलायंस ने 24,713 करोड़ रुपये में फ्यूचर रिटेल खरीदने की घोषणा कर दी। इस डील पर बात कुछ आगे बढ़ती, उससे पहले ही अमेजन ने डील रोकने के लिए सिंगापुर की कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सिंगापुर की कोर्ट ने डील पर रोक लगा दी। अमेजन का कहना था कि फ्यूचर रिटेल ने उससे बिना पूछे रिलायंस के साथ डील की, जो समझौते का उल्लंघन है।
भारत के एंटीट्रस्ट रेगुलेटर ने लगाया था अमेजन पर आरोप
बता दें कि हाल ही में भारत के एंटीट्रस्ट रेगुलेटर ने अमेरिकी कंपनी पर आरोप लगाया था कि जब कंपनी ने फ्यूचर ग्रुप में 2019 के निवेश के लिए मंजूरी मांगी थी, तो उसने तथ्यों को छिपाया। साथ ही गलत जानकारी देने का आरोप भी लगाया है।
कब क्या हुआ?
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अगस्त 2019: अमेजन ने 1431 करोड़ रुपए में फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी। फ्यूचर कूपन्स के पास फ्यूचर रिटेल में 10 फीसदी हिस्सेदारी है।
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अगस्त 2020: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फ्यूचर रिटेल को 24,713 करोड़ रुपये में खरीदने की घोषणा की।
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अक्तूबर 2020: सिंगापुर की कोर्ट ने रिलायंस और फ्यूचर के बीच हुई डील पर रोक लगा दी।
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दिसंबर 2020: दिल्ली हाईकोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की उस याचिका को खारिज किया जिसमें उसने रिलायंस-फ्यूचर डील में अमेजन का दखल रोकने की मांग की थी।
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जनवरी 2021: सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने रिलायंस-फ्यूचर रिटेल डील को मंजूरी दी।
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फरवरी 2021: दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस-फ्यूचर रिटेल सौदे पर रोक लगा दी।
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फरवरी 2021: अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की तरफ से फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।
सेबी-सीसीआई से मिल गई थी अनुमति
रिलायंस और फ्यूचर की ओर से भारतीय खुदरा क्षेत्र की सबसे बड़ी डील लगभग पूरी होने वाली थी। सिंगापुर मध्यस्थता ट्रिब्यूनल की रोक के बावजूद इस सौदे को बाजार नियामक सेबी और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने हरी झंडी दिखा दी थी। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण यानी एनसीएलटी से भी डील पर आगे बढ़ने और विलय की अनुमति मिल चुकी थी। तभी अमेजन ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जहां एकल पीठ ने उसके पक्ष में तो डबल बेंच ने खिलाफ फैसला सुनाया। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने सभी को चौंकाते हुए डील पर रोक लगा दी।
10 फीसदी टूटे एफआरएल के शेयर
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही बाजार में निवेशकों ने एफआरएल और रिलायंस के शेयरों में बिकवाली शुरू कर दी। कारोबार के दौरान फ्यूचर समूह के शेयर 16 फीसदी तक गिर गए और लोअर सर्किट लगाना पड़ा। फ्यूचर रिटेल में 9.94 फीसदी, फ्यूचर कंज्यूमर में 16.12 फीसदी, फ्यूचर सप्लाई में 9.99 फीसदी, इंटरप्राइजेज में 9.98 फीसदी और लाइफस्टाइल फैशन में 9.94 फीसदी गिरावट रही। रिलायंस के शेयर भी 2.53 फीसदी गिरकर 2,079.20 पर आ गए।