वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Fri, 27 Aug 2021 09:59 AM IST
सार
वोलेसी जिरगा की सदस्य रंगिना कारगर फरयाब प्रांत का प्रतिनिधित्व करती थीं। वह 20 अगस्त को दुबई के रास्ते इस्तांबुल से दिल्ली पहुंची थीं। महिला सांसद का कहना है कि वह स्वास्थ्य कारणों से आई थीं न कि शरणार्थी बनकर।
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विस्तार
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि महिला सांसद ने इस बर्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत में अफगानी हिंदू आ सकते हैं, लेकिन वहां की सांसद की एंट्री नहीं है।
फरयाब प्रांत का करती हैं प्रतिनिधित्व
वोलेसी जिरगा की सदस्य रंगिना कारगर फरयाब प्रांत का प्रतिनिधित्व करती थीं। उनका कहना है कि वह भारत स्वास्थ्य कारणों से आई थीं न कि यहां पर शरण लेने। उन्होंने कहा कि मेरे पास अधिकारिक पासपोर्ट होने के बाद भी मुझे एयरपोर्ट से बाहर जाने नहीं दिया गया। जबकि, मैं कई बार इसी पासपोर्ट से भारत आई हूं। दावा है कि एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें सुबह छह बजे से रात दस बजे तक बिठाकर रखा और फिर दुबई के ही रास्ते वापस इस्तांबुल भेज दिया।
खाना दिया न पानी के लिए पूछा
रंगिना कारगर का कहना है कि वहां खाना दिया न ही पानी पूछा गया। जबकि, उन्हें बताया कि मैं संसद की सदस्य हूं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि सुरक्षा कारण हो, हालात बदल गए हों, लेकिन जब अफगानिस्तान में फिर से सरकार लौट आएगी तब वे क्या करेंगे।
विदेश मंत्रालय ने जताया खेद
विदेश मंत्रालय को महिला सांसद रंगिना कारगर के साथ हुए इस बर्ताव की जानकारी नहीं थी। जानकारी होने के बाद संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने घटना पर खेद जताया है। रंगिना कारगर का कहना है कि वापस भेजे जाने के बाद एक अधिकारी ने उनसे फोन पर बात की और खेद जताते हुए कहा कि जब कभी भी आप भारत आना चाहें आ सकती हैं। इसके लिए ऑनलाइन वीजा के लिए आवेदन करना होगा।