वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 12 Oct 2021 09:51 PM IST
सार
15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान ने अमेरिकी फौज की मदद करने वाले दुभाषियों से बदला लेना शुरू कर दिया है।
काबुल में तालिबानी लड़ाके
– फोटो : पीटीआई (फाइल)
ख़बर सुनें
विस्तार
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन साल 2008 में सांसद रहते वक्त जब अमेरिकी सेना के हेलिकाप्टर में बैठे थे तब एक बर्फीले तूफान के कारण उन्हें वहीं घाटी में उतरना पड़ा था। यह घाटी सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील थी और तब एक अफगानिस्तानी दुभाषिए अमन खलीली ने सभी अमेरिकी सांसदों की सुरक्षित वापसी में मदद की। लेकिन अब उसी अमन खलीली को अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ना पड़ा है।
अमेरिकी सेना की मदद करने वाले अफगान नागरिकों के खिलाफ तालिबान कदम उठाने लगा है। इसी के चलते अमन खलीली भी वीजा से जुड़ी समस्याएं सुलझाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अब दो माह बाद वे अपने परिवार समेत अफगानिस्तान से निकलने में सफल हो पाए हैं। अब वह पाकिस्तान में अपनी नई यात्रा शुरू कर चुके हैं। उन्होंने तालिबान शासन में रहने के बजाय अपना देश सही समय पर छोड़ना उचित समझा।
