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अध्ययन में खुलासा : दुनिया में सार्वजनिक परिवहन के स्थानों पर हजारों अज्ञात वायरस और बैक्टीरिया हैं मौजूद

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कोरोना वायरस के कहर से एक ओर जहां पूरी दुनिया प्रभावित है, वायरस पर नियंत्रण के लिए कई देशों ने लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के साथ-साथ मास्क लगाने जैसे उपायों पर जोर दिया है। वहीं दूसरी ओर एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, सार्वजनिक परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मेट्रो, बस, ट्रेन समेत अन्य साधनों में हजारों अज्ञात वायरस और बैक्टीरिया मौजूद हैं।

इस सप्ताह जर्नल सेल में प्रकाशित शोध ने दुनिया भर में 60 सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के माइक्रोबियल ढांचा को सूचीबद्ध किया है। ऐसे में जब आप सोच रहे हैं कि लॉकडाउन खुलने पर सार्वजनिक जगहों पर वापस जाना सुरक्षित है, तो नए शोध से पता चलता है कि दुनिया भर में हजारों रहस्यमय वायरस और बैक्टीरिया सार्वजनिक परिवहनों को प्रभावित कर रहे हैं।
 

वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि लगभग हर स्थान में बैक्टीरिया की 31 प्रजातियां मौजूद हैं-जिनमें शरीर की गंध और मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया भी शामिल हैं, जो ‘कोर अर्बन माइक्रोबायोम’ बनाते हैं। इसके अलावा, प्रत्येक शहर में एक अलग ‘माइक्रोबियल फिंगरप्रिंट’ शामिल था, जिसमें लगभग हर नमूने में दर्जनों रोगाणु शामिल थे।

वैज्ञानिकों द्वारा एकत्रित किए गए 4,000 नमूनों में से, उन्हें रोगाणुओं की 4,246 ज्ञात प्रजातियां मिलीं-जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत बैक्टीरिया थे। वैज्ञानिकों को लगभग 45 प्रतिशत रोगाणुओं का पता चला, जिसमें 11,000 वायरस और 700 बैक्टीरिया शामिल हैं, जो किसी भी ज्ञात प्रजाति से मेल नहीं खाते।

2015 से 2017 के बीच, छह महाद्वीपों के 900 से अधिक वैज्ञानिकों और स्वयंसेवकों ने मेट्रो और बस स्टॉप के बेंच, रेलिंग, टर्नस्टाइल और टिकट काउंटर जैसे जगहों से नमूने एकत्रित किए। इस प्रयास के परिणामस्वरूप ‘कोर अर्बन माइक्रोबायोम’ या बैक्टीरिया की 31 प्रजातियों की खोज हुई, जो अध्ययन में एकत्र किए गए 97 प्रतिशत नमूनों में सामान्य हैं। शोध में लगभग 11,000 वायरस और 700 से अधिक बैक्टीरिया की प्रजातियों की उपस्थिति का भी पता चला है जिनकी अभी तक पहचान नहीं की गई है।

यह अध्ययन रिसर्च कंसोर्टियम मेटाएसयूबी (Research Consortium MetaSUB) द्वारा प्रायोजित किया गया था। अध्ययन के दौरान न्यूयॉर्क, पेरिस, बाल्टीमोर, बोगोटा और सियोल सहित दुनिया भर के लगभग 60 शहरों में लगभग 900 वैज्ञानिकों और स्वयंसेवकों नमूने एकत्रित किए थे। 

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कोरोना वायरस के कहर से एक ओर जहां पूरी दुनिया प्रभावित है, वायरस पर नियंत्रण के लिए कई देशों ने लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के साथ-साथ मास्क लगाने जैसे उपायों पर जोर दिया है। वहीं दूसरी ओर एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, सार्वजनिक परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मेट्रो, बस, ट्रेन समेत अन्य साधनों में हजारों अज्ञात वायरस और बैक्टीरिया मौजूद हैं।

इस सप्ताह जर्नल सेल में प्रकाशित शोध ने दुनिया भर में 60 सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के माइक्रोबियल ढांचा को सूचीबद्ध किया है। ऐसे में जब आप सोच रहे हैं कि लॉकडाउन खुलने पर सार्वजनिक जगहों पर वापस जाना सुरक्षित है, तो नए शोध से पता चलता है कि दुनिया भर में हजारों रहस्यमय वायरस और बैक्टीरिया सार्वजनिक परिवहनों को प्रभावित कर रहे हैं।

 

वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि लगभग हर स्थान में बैक्टीरिया की 31 प्रजातियां मौजूद हैं-जिनमें शरीर की गंध और मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया भी शामिल हैं, जो ‘कोर अर्बन माइक्रोबायोम’ बनाते हैं। इसके अलावा, प्रत्येक शहर में एक अलग ‘माइक्रोबियल फिंगरप्रिंट’ शामिल था, जिसमें लगभग हर नमूने में दर्जनों रोगाणु शामिल थे।

वैज्ञानिकों द्वारा एकत्रित किए गए 4,000 नमूनों में से, उन्हें रोगाणुओं की 4,246 ज्ञात प्रजातियां मिलीं-जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत बैक्टीरिया थे। वैज्ञानिकों को लगभग 45 प्रतिशत रोगाणुओं का पता चला, जिसमें 11,000 वायरस और 700 बैक्टीरिया शामिल हैं, जो किसी भी ज्ञात प्रजाति से मेल नहीं खाते।

2015 से 2017 के बीच, छह महाद्वीपों के 900 से अधिक वैज्ञानिकों और स्वयंसेवकों ने मेट्रो और बस स्टॉप के बेंच, रेलिंग, टर्नस्टाइल और टिकट काउंटर जैसे जगहों से नमूने एकत्रित किए। इस प्रयास के परिणामस्वरूप ‘कोर अर्बन माइक्रोबायोम’ या बैक्टीरिया की 31 प्रजातियों की खोज हुई, जो अध्ययन में एकत्र किए गए 97 प्रतिशत नमूनों में सामान्य हैं। शोध में लगभग 11,000 वायरस और 700 से अधिक बैक्टीरिया की प्रजातियों की उपस्थिति का भी पता चला है जिनकी अभी तक पहचान नहीं की गई है।

यह अध्ययन रिसर्च कंसोर्टियम मेटाएसयूबी (Research Consortium MetaSUB) द्वारा प्रायोजित किया गया था। अध्ययन के दौरान न्यूयॉर्क, पेरिस, बाल्टीमोर, बोगोटा और सियोल सहित दुनिया भर के लगभग 60 शहरों में लगभग 900 वैज्ञानिकों और स्वयंसेवकों नमूने एकत्रित किए थे। 

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