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Summit of Democracy: अमेरिका के लोकतंत्र सम्मेलन को रूस-चीन ने किया खारिज, शीत युद्ध की मानसिकता करार दिया 

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: Amit Mandal
Updated Sat, 27 Nov 2021 10:32 PM IST

सार

रेडियो फ्री एशिया ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के हवाले से कहा कि हम अमेरिका द्वारा कथित लोकतंत्र सम्मेलन के लिए ताइवान को आमंत्रित किए जाने का विरोध करते हैं। 

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रूस और चीन ने अमेरिका के लोकतंत्र सम्मेलन के विचार को खारिज करते हुए इसे शीत युद्ध की मानसिकता करार दिया है। इन दोनों देशों का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में नई विभाजन रेखा खिंच जाएगी। चीन ने इस सम्मेलन के लिए ताइवान को आमंत्रण भेजे जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। अमेरिका ने गुरुवार को 9 व 10 दिसंबर को ऑनलाइन आयोजित होने वाले लोकतंत्र सम्मेलन के लिए 110 देशों की सूची जारी की थी। इसमें ताइवान का नाम देखकर चीन भड़का हुआ है। 

रूस और चीन को नहीं बुलाया
अमेरिका ने रूस और चीन को इस सम्मेलन के लिए आमंत्रित नहीं किया है। वॉशिंगटन की नेशनल इंटरेस्ट मैग्जीन में प्रकाशित संयुक्त लेख में रूस के राजदूत एनाटोली एंटोनोव व चीन के क्विन गैंग ने अमेरिका को निशाने पर लेते हुए कहा कि अमेरिका यह जताने के लिए लोकतंत्र सम्मेलन कर रहा है कि कौन इसमें हिस्सा ले सकता है और कौन नहीं। कौन लोकतांत्रिक देश है और कौन इस दर्जे के लिए अयोग्य है। यह शीत युद्ध की मानसिकता की पैदाइश है, जो दुनियाभर में वैचारिक मतभेद और टकराव को बढ़ावा देगा।

चीन ने किया ताइवान को बुलाने का विरोध
रेडियो फ्री एशिया ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के हवाले से कहा कि चीन दृढ़ता के साथ अमेरिका द्वारा कथित लोकतंत्र सम्मेलन के लिए ताइवान को आमंत्रित किए जाने का विरोध करता है। चीन ने अमेरिका से कहा है कि वह ताइवान की आजादी चाहने वाली ताकतों को मंच प्रदान करना बंद करे। 

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन सरकार की ओर से भारत को भी ‘समिट आफ डेमोक्रेसी’ कार्यक्रम का निमंत्रण मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं। बाइडन सरकार 9 से 10 दिसंबर को नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के नेताओं के लिए एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने को तैयार है।
 

विस्तार

रूस और चीन ने अमेरिका के लोकतंत्र सम्मेलन के विचार को खारिज करते हुए इसे शीत युद्ध की मानसिकता करार दिया है। इन दोनों देशों का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में नई विभाजन रेखा खिंच जाएगी। चीन ने इस सम्मेलन के लिए ताइवान को आमंत्रण भेजे जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। अमेरिका ने गुरुवार को 9 व 10 दिसंबर को ऑनलाइन आयोजित होने वाले लोकतंत्र सम्मेलन के लिए 110 देशों की सूची जारी की थी। इसमें ताइवान का नाम देखकर चीन भड़का हुआ है। 

रूस और चीन को नहीं बुलाया

अमेरिका ने रूस और चीन को इस सम्मेलन के लिए आमंत्रित नहीं किया है। वॉशिंगटन की नेशनल इंटरेस्ट मैग्जीन में प्रकाशित संयुक्त लेख में रूस के राजदूत एनाटोली एंटोनोव व चीन के क्विन गैंग ने अमेरिका को निशाने पर लेते हुए कहा कि अमेरिका यह जताने के लिए लोकतंत्र सम्मेलन कर रहा है कि कौन इसमें हिस्सा ले सकता है और कौन नहीं। कौन लोकतांत्रिक देश है और कौन इस दर्जे के लिए अयोग्य है। यह शीत युद्ध की मानसिकता की पैदाइश है, जो दुनियाभर में वैचारिक मतभेद और टकराव को बढ़ावा देगा।

चीन ने किया ताइवान को बुलाने का विरोध

रेडियो फ्री एशिया ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के हवाले से कहा कि चीन दृढ़ता के साथ अमेरिका द्वारा कथित लोकतंत्र सम्मेलन के लिए ताइवान को आमंत्रित किए जाने का विरोध करता है। चीन ने अमेरिका से कहा है कि वह ताइवान की आजादी चाहने वाली ताकतों को मंच प्रदान करना बंद करे। 

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन सरकार की ओर से भारत को भी ‘समिट आफ डेमोक्रेसी’ कार्यक्रम का निमंत्रण मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं। बाइडन सरकार 9 से 10 दिसंबर को नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के नेताओं के लिए एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने को तैयार है।

 

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