वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 29 Mar 2022 06:11 PM IST
सार
यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने फिलहाल रूस की ये मांग मानने से इनकार कर दिया है। ईयू भी रूस के अमित्र देशों की सूची में शामिल है। इस बीच विश्लेषकों का कहना है कि अगर 31 मार्च तक वे रुबल में भुगतान के लिए राजी नहीं हुए, तो रूस गैस की सप्लाई रोक सकता है…
यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया जल्द ही गंभीर ऊर्जा संकट में फंस सकती है। ये चेतावनी पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने दी है। एजेंसी के प्रमुख फतीह बिरोल ने ये बात इस आशंका को देखते हुए कही है कि इसी हफ्ते से रूस यूरोपीय देशों के लिए प्राकृतिक गैस की सप्लाई रोक सकता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले 23 मार्च को यह आदेश जारी किया था कि रूस अब ‘अमित्र देशों’ से तेल और गैस के बदले भुगतान सिर्फ रूसी मुद्रा रुबल में ही स्वीकार करेगा। दो दिन पहले रूस सरकार ने कहा कि 31 मार्च के बाद सिर्फ रुबल में भुगतान स्वीकार किया जाएगा।
जर्मनी ने हाथ खड़े किए
यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने फिलहाल रूस की ये मांग मानने से इनकार कर दिया है। ईयू भी रूस के अमित्र देशों की सूची में शामिल है। इस बीच विश्लेषकों का कहना है कि अगर 31 मार्च तक वे रुबल में भुगतान के लिए राजी नहीं हुए, तो रूस गैस की सप्लाई रोक सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन ने कुछ रोज पहले कहा था कि वे जल्द ही रूस से तेल खरीदना बंद कर देंगे। लेकिन इस सवाल पर यूरोपियन यूनियन में गहरे मतभेद खड़े हो गए हैँ। जर्मनी ने कहा है कि उसके पास रूसी प्राकृतिक गैस का कोई विकल्प नहीं है। जर्मनी के एक मंत्री ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर रूसी गैस सप्लाई में रुकावट आई, तो देश में हजारों घरों को गरम रखना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में लोगों को गरम कपड़ों से अपना बचाव करना पड़ सकता है।
ईयू में जरूरत के लगभग 40 फीसदी हिस्से की गैस रूस से आती है। इसका तुरंत कोई विकल्प ढूंढना ईयू के लिए संभव नहीं है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि ईयू को रुबल में भुगतान का कोई तरीका ढूंढना पड़ेगा।
यूरोपीय देशों के पास बचे हैं ये विकल्प
गैस कारोबार के जानकार लियो रॉवली ने वेबसाइट मल्टीपोलिरिस्टा.कॉम पर लिखे एक विश्लेषण में कहा है कि अगर गैस के बदले रूस डॉलर या यूरो लेना बंद कर देता है, तो भुगतान के लिए यूरोपीय देशों को चार में से किसी एक विकल्प को अपनाना होगा। उन्हें या तो अपना सोना बेच कर रुबल खरीदना होगा, या रूसी गैस के बदले वस्तुओं से कीमत चुकानी होगी, अथवा उन्हें विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में यूरो के बदले रुबल हासिल करना होगा, या फिर रूस के सेंट्रल बैंक से रुबल खरीदना होगा।
रूस की तरफ से सिर्फ रुबल के जरिए अमित्र देशों को गैस और तेल बेचने की घोषणा के बाद से रूस के विनिमय बाजार में रुबल की कीमत तेजी से चढ़ी है। सोमवार को यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंची, जब एक डॉलर 91 रुबल के बराबर हो गया। कुछ दिन पहले तक एक डॉलर की कीमत 150 रुबल के करीब पहुंच गई थी।
अर्थशास्त्री माइकल हडसन ने कहा है कि यूरोपीय देशों के सामने एक विकल्प यह है कि वे किसी ऐसे तीसरे देश के जरिए रूसी गैस की खरीदारी करें, जिसने अपनी मुद्रा और रुबल के बीच विनिमय का सिस्टम बना रखा है। ऐसे में वे उस देश को यूरो में भुगतान करेंगे, जबकि संबंधित देश अपनी मुद्रा में रूस को भुगतान कर देगा। भारत और चीन ऐसा कर सकने की स्थिति में हैं।
विस्तार
यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया जल्द ही गंभीर ऊर्जा संकट में फंस सकती है। ये चेतावनी पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने दी है। एजेंसी के प्रमुख फतीह बिरोल ने ये बात इस आशंका को देखते हुए कही है कि इसी हफ्ते से रूस यूरोपीय देशों के लिए प्राकृतिक गैस की सप्लाई रोक सकता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले 23 मार्च को यह आदेश जारी किया था कि रूस अब ‘अमित्र देशों’ से तेल और गैस के बदले भुगतान सिर्फ रूसी मुद्रा रुबल में ही स्वीकार करेगा। दो दिन पहले रूस सरकार ने कहा कि 31 मार्च के बाद सिर्फ रुबल में भुगतान स्वीकार किया जाएगा।
जर्मनी ने हाथ खड़े किए
यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने फिलहाल रूस की ये मांग मानने से इनकार कर दिया है। ईयू भी रूस के अमित्र देशों की सूची में शामिल है। इस बीच विश्लेषकों का कहना है कि अगर 31 मार्च तक वे रुबल में भुगतान के लिए राजी नहीं हुए, तो रूस गैस की सप्लाई रोक सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन ने कुछ रोज पहले कहा था कि वे जल्द ही रूस से तेल खरीदना बंद कर देंगे। लेकिन इस सवाल पर यूरोपियन यूनियन में गहरे मतभेद खड़े हो गए हैँ। जर्मनी ने कहा है कि उसके पास रूसी प्राकृतिक गैस का कोई विकल्प नहीं है। जर्मनी के एक मंत्री ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर रूसी गैस सप्लाई में रुकावट आई, तो देश में हजारों घरों को गरम रखना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में लोगों को गरम कपड़ों से अपना बचाव करना पड़ सकता है।
ईयू में जरूरत के लगभग 40 फीसदी हिस्से की गैस रूस से आती है। इसका तुरंत कोई विकल्प ढूंढना ईयू के लिए संभव नहीं है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि ईयू को रुबल में भुगतान का कोई तरीका ढूंढना पड़ेगा।
यूरोपीय देशों के पास बचे हैं ये विकल्प
गैस कारोबार के जानकार लियो रॉवली ने वेबसाइट मल्टीपोलिरिस्टा.कॉम पर लिखे एक विश्लेषण में कहा है कि अगर गैस के बदले रूस डॉलर या यूरो लेना बंद कर देता है, तो भुगतान के लिए यूरोपीय देशों को चार में से किसी एक विकल्प को अपनाना होगा। उन्हें या तो अपना सोना बेच कर रुबल खरीदना होगा, या रूसी गैस के बदले वस्तुओं से कीमत चुकानी होगी, अथवा उन्हें विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में यूरो के बदले रुबल हासिल करना होगा, या फिर रूस के सेंट्रल बैंक से रुबल खरीदना होगा।
रूस की तरफ से सिर्फ रुबल के जरिए अमित्र देशों को गैस और तेल बेचने की घोषणा के बाद से रूस के विनिमय बाजार में रुबल की कीमत तेजी से चढ़ी है। सोमवार को यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंची, जब एक डॉलर 91 रुबल के बराबर हो गया। कुछ दिन पहले तक एक डॉलर की कीमत 150 रुबल के करीब पहुंच गई थी।
अर्थशास्त्री माइकल हडसन ने कहा है कि यूरोपीय देशों के सामने एक विकल्प यह है कि वे किसी ऐसे तीसरे देश के जरिए रूसी गैस की खरीदारी करें, जिसने अपनी मुद्रा और रुबल के बीच विनिमय का सिस्टम बना रखा है। ऐसे में वे उस देश को यूरो में भुगतान करेंगे, जबकि संबंधित देश अपनी मुद्रा में रूस को भुगतान कर देगा। भारत और चीन ऐसा कर सकने की स्थिति में हैं।
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