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Junior Hockey World Cup: भारत को हराकर जर्मनी आठ साल बाद फाइनल में, अर्जेंटीना से होगा खिताबी भिड़ंत

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स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, भुवनेश्वर
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Fri, 03 Dec 2021 11:44 PM IST

सार

2016 की चैंपियन भारतीय टीम तीसरे स्थान के लिए उसी फ्रांस से खेलेगी जिससे उसे शुरुआत मुकाबले में 4-5 से हार मिली थी। 

जूनियर हॉकी विश्व कप
– फोटो : सोशल मीडिया

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भारतीय हॉकी टीम का लगातार दूसरी और कुल तीसरी बार जूनियर हॉकी विश्व कप का खिताब जीतने का सपना शुक्रवार को जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में 2-4 की हार के साथ टूट गया। आठ बार फाइनल में पहुंची छह बार की चैंपियन जर्मनी का रविवार को खिताब के लिए सामना 2005 के विजेता अर्जेंटीना से होगा। वहीं 2016 की चैंपियन भारतीय टीम तीसरे स्थान के लिए उसी फ्रांस से खेलेगी जिससे उसे शुरुआत मुकाबले में 4-5 से हार मिली थी। 

जर्मनी ने 10 मिनट में दागे 4 गोल
जर्मनी ने दस मिनट में चारों गोल दागे। उसके लिए इरिक क्लेनलेन (15वें मिनट), आरोन फ्लैटेन (21वें मिनट), कप्तान हेंस मूलर (24वें) और क्रिस्टोफर कुटर (25वें मिनट) ने गोल किए। भारत की ओर से उत्तम सिंह (25वें मिनट) और बॉबी सिंह धामी (60वें मिनट) ने एक-एक गोल किया। जर्मनी इससे पहले 2013 में दिल्ली में हुए विश्व कप में फाइनल में पहुंची थी और विजेता बनी थी। लखनऊ में 2016 में उसने कांसा जीता था। 

भारतीय डिफेंस की कमजोरी आई सामने
भारतीय टीम ने क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम के खिलाफ शानदार रक्षण दिखाया था लेकिन जर्मनी के खिलाफ रक्षापंक्ति रंग में नहीं दिखी। मध्य पंक्ति और अग्रिम पंक्ति के बीच भी किसी तरह का तालमेल नहीं दिखा। उत्तम ने हालांकि बीच-बीच में अच्छा खेल दिखाया। जर्मन टीम ने शुरू से ही अच्छा खेल दिखाया। 

अर्जेंटीना ने किया फ्रांस को शूटआउट
अर्जेंटीना ने फ्रांस को पेनाल्टी शूटआउट में 3-1 से हराकर 16 साल में पहली जबकि कुल तीसरी बार फाइनल का टिकट कटाया। अर्जेंटीना इससे पहले 2001 और 2005 में खिताबी मुकाबले में पहुंचा था। फ्रांस की यह टूर्नामेंट में पहली हार है। दोनों टीमों ने सेमीफाइनल में शानदार खेल दिखाया लेकिन 2005 के चैंपियन अर्जेंटीना ने शूटआउट में अपने धैर्य और कौशल का अच्छा नमूना पेश किया। 

आपस में भिड़ गए थे खिलाड़ी
नियमित समय में कोई भी टीम गोल नहीं कर पाई। पेनाल्टी शूटआउट में अर्जेंटीना के लिए लुसियो मेंडेज, बॉतिस्ता कापुरो और फ्रेंको एगोस्टिनी ने गोल किए। फ्रांस के लिए सिर्फ कप्तान टिमोथी क्लेमेंट ही गोल कर पाए। लुकास मोंटेकोट के फ्रांस के चौथे प्रयास में चूकने के बाद खिलाड़ी आपस में भिड़ गए थे लेकिन दोनों टीमों के अधिकारियों और मैदानी अंपायरों ने तुरंत ही स्थिति को संभाल दिया। 
 

विस्तार

भारतीय हॉकी टीम का लगातार दूसरी और कुल तीसरी बार जूनियर हॉकी विश्व कप का खिताब जीतने का सपना शुक्रवार को जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में 2-4 की हार के साथ टूट गया। आठ बार फाइनल में पहुंची छह बार की चैंपियन जर्मनी का रविवार को खिताब के लिए सामना 2005 के विजेता अर्जेंटीना से होगा। वहीं 2016 की चैंपियन भारतीय टीम तीसरे स्थान के लिए उसी फ्रांस से खेलेगी जिससे उसे शुरुआत मुकाबले में 4-5 से हार मिली थी। 

जर्मनी ने 10 मिनट में दागे 4 गोल

जर्मनी ने दस मिनट में चारों गोल दागे। उसके लिए इरिक क्लेनलेन (15वें मिनट), आरोन फ्लैटेन (21वें मिनट), कप्तान हेंस मूलर (24वें) और क्रिस्टोफर कुटर (25वें मिनट) ने गोल किए। भारत की ओर से उत्तम सिंह (25वें मिनट) और बॉबी सिंह धामी (60वें मिनट) ने एक-एक गोल किया। जर्मनी इससे पहले 2013 में दिल्ली में हुए विश्व कप में फाइनल में पहुंची थी और विजेता बनी थी। लखनऊ में 2016 में उसने कांसा जीता था। 

भारतीय डिफेंस की कमजोरी आई सामने

भारतीय टीम ने क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम के खिलाफ शानदार रक्षण दिखाया था लेकिन जर्मनी के खिलाफ रक्षापंक्ति रंग में नहीं दिखी। मध्य पंक्ति और अग्रिम पंक्ति के बीच भी किसी तरह का तालमेल नहीं दिखा। उत्तम ने हालांकि बीच-बीच में अच्छा खेल दिखाया। जर्मन टीम ने शुरू से ही अच्छा खेल दिखाया। 

अर्जेंटीना ने किया फ्रांस को शूटआउट

अर्जेंटीना ने फ्रांस को पेनाल्टी शूटआउट में 3-1 से हराकर 16 साल में पहली जबकि कुल तीसरी बार फाइनल का टिकट कटाया। अर्जेंटीना इससे पहले 2001 और 2005 में खिताबी मुकाबले में पहुंचा था। फ्रांस की यह टूर्नामेंट में पहली हार है। दोनों टीमों ने सेमीफाइनल में शानदार खेल दिखाया लेकिन 2005 के चैंपियन अर्जेंटीना ने शूटआउट में अपने धैर्य और कौशल का अच्छा नमूना पेश किया। 

आपस में भिड़ गए थे खिलाड़ी

नियमित समय में कोई भी टीम गोल नहीं कर पाई। पेनाल्टी शूटआउट में अर्जेंटीना के लिए लुसियो मेंडेज, बॉतिस्ता कापुरो और फ्रेंको एगोस्टिनी ने गोल किए। फ्रांस के लिए सिर्फ कप्तान टिमोथी क्लेमेंट ही गोल कर पाए। लुकास मोंटेकोट के फ्रांस के चौथे प्रयास में चूकने के बाद खिलाड़ी आपस में भिड़ गए थे लेकिन दोनों टीमों के अधिकारियों और मैदानी अंपायरों ने तुरंत ही स्थिति को संभाल दिया। 

 

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