Desh

Corona Alert: डॉ. अरोड़ा बोले- कोरोना संक्रमण को लेकर न तो डरिए और न ही घबराइए, सब नियंत्रण में हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना संक्रमण पर उच्चस्तरीय बैठक और तैयारी की समीक्षा कर रहे हैं। इससे ठीक पहले कोविड टास्क फोर्स से जुड़े डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा कि पिछले 24 घंटे में 1.75 लाख नए संक्रमित जरूर आए हैं, लेकिन किसी को घबराने, डरने, दहशत में आने की जरूरत नहीं है। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस बार ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू और अस्पताल के बिस्तरों की कोई कमी नहीं पड़ेगी। कोरोना की संक्रमण दर भले ही तेज है, लेकिन इसकी गंभीरता और घातकता पहले दोनों साल के मुकाबले बहुत कम रहने का अनुमान है।

क्या करोना के जाल में फंस गया है भारत?
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि ऐसे सवाल बेमानी हैं। पिछले साल तक देश की 80 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आ चुकी है। 80-85 फीसदी बच्चे इससे संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। 86,08,12,039 लोगों को टीके की पहली और 63,19,98,826 लोगों को दूसरी खुराक लग चुकी है। 2,29,49280 बच्चों (15-18 साल) को टीका लग चुका है। कहने का आशय है कि बड़े पैमाने पर लोगों में संक्रमण प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है। इसलिए कोरोना का संक्रमण न तो बहुत घातक होगा, न गंभीर। जानलेवा मामलों की संख्या डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले बहुत ही कम रहेगी। डॉ. अरोड़ा का कहना है कि जिसे टीका की दोनों डोज लग चुकी है, वह संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन आसानी से ठीक हो जा रहे हैं। इसलिए बहुत घबराने की आवश्यकता नहीं है।

सरकार और शीर्ष स्तर पर हर रोज हो रही है निगरानी, समीक्षा
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल से ही इसकी निगरानी और समीक्षा लगातार जारी है। इस समय भी हर रोज संक्रमण पर निगरानी की प्रक्रिया काफी तेज है। शीर्षस्थ नेतृत्व के स्तर पर भी काफी संवेदनशीलता बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि 981 ट्रेन का परिचालन रद्द कर दिया गया ताकि संक्रमण की रफ्तार को कम किया जा सके। दिल्ली में शुक्रवार रात दस बजे से वीकेंड कर्फ्यू को लागू करने से इसकी संक्रमण दर को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकेगा। यहां हमारी रणनीति है कि एक साथ पूरा देश इस संक्रमण की चपेट में न आ जाए। लोग संक्रमित होते रहें और ठीक होते रहें। इसका संक्रमण सर्दी जुकाम जैसा बन जाए। इसके साथ-साथ जीन सीक्वेसिंग बड़े पैमाने पर की जा रही है। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि दो साल में कोरोना ने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े विशेषज्ञों को बहुत कुछ सिखाया है। हम यथाशीघ्र आपातकालीन योजना पर काम करने के बेहतर तरीके अपनाने का अनुभव पा सके हैं। इन अनुभवों को पूरी तरह अपनाया जा रहा है।

जनता भी हुई जागरुक, अब सब अस्पताल नहीं आते
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि जनता ने भी काफी कुछ सीखा। पिछले साल 1.75 लाख संक्रमण का मामला आने तक अस्पतालों में बिस्तर भर गए थे। इस साल अभी 85 फीसदी अस्पताल के बिस्तर, गहन चिकित्सा कक्ष सब खाली हैं। अब लोग सीधे अस्पताल की तरफ नहीं भाग रहे हैं। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि केवल चार लक्षण वालों को अस्पताल की तरफ आना चाहिए। 
1. जिनका बुखार काफी तेज हो, न उतर रहा हो। 
2. आक्सीजन का लेवेल 90 के नीचे आ रहा हो। 
3. बात करते समय खांसी लगातार आ रही हो और बात न कर पा रहे हों।
4. सांस लेने में तकलीफ हो। 

उपरोक्त चार लक्षणों को छोड़कर किसी को अस्पताल आने की आवश्यकता नहीं है। घर पर ही बेहतर इलाज संभव है। लोगों को चाहिए वह मास्क पहनें, भीड़भाड़ से बचें, बार-बार हाथ धोएं, सावधानी बरतें। कोविड प्रोटोकॉल का पालन ही उसके संक्रमण से सबसे बड़ा बचाव है।

स्वास्थ्य सेवा में विकास को कोई नहीं रोक सकता
देश के जाने माने चिकित्सक, रणनीतिकार और चिकित्सा सेवा विशेषज्ञ का कहना है कि अब स्वास्थ्य सेवा में विकास को कोई नहीं रोक सकता। कोरोना ने इसे राजनीतिक एजेंडे में शामिल करा दिया है। पिछले कई दशक से यह सेक्टर इस एजेंडे से बाहर हो गया था। इसलिए आने वाले समय में स्वास्थ्य क्षेत्र में अवसर, विकास तथा संसाधनों की प्रचुरता जारी रहेगी। यह एक अच्छी बात है और इससे देश के लोगों को निरोगी रखने में मदद मिलेगी।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: