बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 29 Mar 2022 01:41 PM IST
सार
दिल्ली की विशेष अदालत ने भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की पूर्व निदेशक आरती सिंघल को 5,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में मंगलवार को जमानत दे दी है। उन्हें गिरफ्तारी के महज सात दिनों के भीतर जमानत मिल गई। अदालत ने उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है। इसके अलावा उन्हें दस लाख रुपये का मुचलका भी भरना पड़ा है।
दिल्ली की विशेष अदालत ने भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की पूर्व निदेशक आरती सिंघल को 5,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में मंगलवार को जमानत दे दी है। गौरतलब है कि आरती को एसएफआईओ ने 21 मार्च, 2022 को गिरफ्तार किया था और 22 मार्च को द्वारका की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था।
धोखाधड़ी में भूमिका के पर्याप्त साक्ष्य नहीं
इस मामले की जांच गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा की जा रही है। केस की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश सुमित दास ने सोमवार को आदेश पारित करते हुए कहा था कि एसएफआईओ द्वारा आरती सिंघल की कोई स्वतंत्र भूमिका रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई है, सिवाय इसके कि उसने अपने पति के साथ संयुक्त रूप से चेक पर हस्ताक्षर किए हैं या बैंक को जारी करने के निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने यह भी देखा कि आरती सिंघल को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 437 और धारा 212 (6) के प्रावधानों के तहत महिला को विशेष दर्जा का लाभ दिया जाना चाहिए, जिसमें एक निष्क्रिय महिला निदेशक होने की उनकी भूमिका को ध्यान में रखा गया है। .
आरती सिंघल के वकील ने दीं ये दलीलें
मामले की सुनवाई के दौरान आरती सिंघल की ओर से अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने तर्क दिया कि वह एक गृहिणी व 61 वर्ष की वरिष्ठ नागरिक हैं और कंपनी के रोजमर्रा के कामों में उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। अग्रवाल ने कहा कि आरती सिंघल सिर्फ कंपनी द्वारा नियुक्त किए गए पेशेवरों की सलाह के बाद दस्तावेजों और चेक पर हस्ताक्षर करने के काम करती थीं। उन्हें कंपनी से जु़ड़े मामलों की पूरी जानकारी तक नहीं थी। इन दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने शर्तों के आधार पर आरती सिंघल को जमानत दे दी।
कोर्ट ने इन शर्तों के साथ दी जमानत
अदालत ने महिलाओं को लाभकारी उपचार प्रदान करने वाले कंपनी अधिनियम की धारा 212(6) के लिए सक्षम प्रावधान को ध्यान में रखते हुए आरती सिंघल को 10,00,000 रुपये का निजी मुचलका जमा करने पर जमानत दे दी। इसके अलावा, कोर्ट ने आरती पर अगले 20 कार्य दिवसों के लिए दैनिक एसएफआईओ के कार्यालय में हाजिरी लगाने का आदेश सुनाया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 20 दिन के बाद अगले दो हफ्ते में उन्हें तीन बार कार्यालय में हाजिरी के लिए आना होगा और उसके अगले हफ्ते में दिन में दो बार आना होगा।
विस्तार
दिल्ली की विशेष अदालत ने भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की पूर्व निदेशक आरती सिंघल को 5,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में मंगलवार को जमानत दे दी है। गौरतलब है कि आरती को एसएफआईओ ने 21 मार्च, 2022 को गिरफ्तार किया था और 22 मार्च को द्वारका की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था।
धोखाधड़ी में भूमिका के पर्याप्त साक्ष्य नहीं
इस मामले की जांच गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा की जा रही है। केस की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश सुमित दास ने सोमवार को आदेश पारित करते हुए कहा था कि एसएफआईओ द्वारा आरती सिंघल की कोई स्वतंत्र भूमिका रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई है, सिवाय इसके कि उसने अपने पति के साथ संयुक्त रूप से चेक पर हस्ताक्षर किए हैं या बैंक को जारी करने के निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने यह भी देखा कि आरती सिंघल को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 437 और धारा 212 (6) के प्रावधानों के तहत महिला को विशेष दर्जा का लाभ दिया जाना चाहिए, जिसमें एक निष्क्रिय महिला निदेशक होने की उनकी भूमिका को ध्यान में रखा गया है। .
आरती सिंघल के वकील ने दीं ये दलीलें
मामले की सुनवाई के दौरान आरती सिंघल की ओर से अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने तर्क दिया कि वह एक गृहिणी व 61 वर्ष की वरिष्ठ नागरिक हैं और कंपनी के रोजमर्रा के कामों में उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। अग्रवाल ने कहा कि आरती सिंघल सिर्फ कंपनी द्वारा नियुक्त किए गए पेशेवरों की सलाह के बाद दस्तावेजों और चेक पर हस्ताक्षर करने के काम करती थीं। उन्हें कंपनी से जु़ड़े मामलों की पूरी जानकारी तक नहीं थी। इन दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने शर्तों के आधार पर आरती सिंघल को जमानत दे दी।
कोर्ट ने इन शर्तों के साथ दी जमानत
अदालत ने महिलाओं को लाभकारी उपचार प्रदान करने वाले कंपनी अधिनियम की धारा 212(6) के लिए सक्षम प्रावधान को ध्यान में रखते हुए आरती सिंघल को 10,00,000 रुपये का निजी मुचलका जमा करने पर जमानत दे दी। इसके अलावा, कोर्ट ने आरती पर अगले 20 कार्य दिवसों के लिए दैनिक एसएफआईओ के कार्यालय में हाजिरी लगाने का आदेश सुनाया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 20 दिन के बाद अगले दो हफ्ते में उन्हें तीन बार कार्यालय में हाजिरी के लिए आना होगा और उसके अगले हफ्ते में दिन में दो बार आना होगा।
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