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स्मॉग’ से निपटने की तैयारी: वायु गुणवत्ता आयोग ने राज्यों से मांगी रिपोर्ट, ऑनलाइन निगरानी की कवायद शुरू
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 03 Oct 2021 05:14 AM IST
सार
केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने खासतौर पर निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल को रोकने के उपायों की जानकारी मांगी है। यह धूल हवा की नमी सोखकर घने कोहरा बनाती है, जो वाहनों व फैक्टरियों आदि के धुएं से मिलकर स्मॉग तैयार करते हैं।
धुंध (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला
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आयोग ने खासतौर पर निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल को रोकने के उपायों की जानकारी मांगी है। यह धूल हवा की नमी सोखकर घने कोहरा बनाती है, जो वाहनों व फैक्टरियों आदि के धुएं से मिलकर स्मॉग तैयार करते हैं। आयोग ने साथ ही राज्यों को निर्माण और ध्वंस से जुड़े स्थलों पर पीएम 2.5 (धूल के महीन कण) और पीएम 10 (धूल के मोटे कण) का स्तर लगातार मापने के लिए विश्वसनीय और कम लागत वाले सेंसर अनिवार्य रूप से लगवाने की सलाह दी है।
500 वर्गमीटर से ज्यादा बड़ी जगह पर चल रहे निर्माण या विध्वंस का वेब पोर्टल पर पंजीकृत कराने का भी निर्देश दिया गया है। इन गतिविधियों की सतत निगरानी के लिए वेब पोर्टल में रिमोट कनेक्टिविटी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का प्रावधान करने को भी कहा गया है। इन सेंसरों के लाइव डैशबोर्ड का डाटा रोजाना ऑनलाइन अपलोड कराने के लिए उन्हें राज्य की तरफ से विकसित ऑनलाइन वेब पोर्टल से जोड़ने को कहा गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) समेत प्रदूषण की निगरानी करने वाली सभी सरकारी एजेंसियां और संबंधित प्रशासनिक विभागों की गतिविधियों को भी इस वेब पोर्टल से जोड़कर निगरानी का हिस्सा बनाने को कहा गया है। बता दें कि दिल्ली और उससे सटे राज्यों में मौसमी बदलाव के साथ ही वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ने से रोकने की जिम्मेदारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के कंधों पर है।
विस्तार
आयोग ने खासतौर पर निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल को रोकने के उपायों की जानकारी मांगी है। यह धूल हवा की नमी सोखकर घने कोहरा बनाती है, जो वाहनों व फैक्टरियों आदि के धुएं से मिलकर स्मॉग तैयार करते हैं। आयोग ने साथ ही राज्यों को निर्माण और ध्वंस से जुड़े स्थलों पर पीएम 2.5 (धूल के महीन कण) और पीएम 10 (धूल के मोटे कण) का स्तर लगातार मापने के लिए विश्वसनीय और कम लागत वाले सेंसर अनिवार्य रूप से लगवाने की सलाह दी है।
500 वर्गमीटर से ज्यादा बड़ी जगह पर चल रहे निर्माण या विध्वंस का वेब पोर्टल पर पंजीकृत कराने का भी निर्देश दिया गया है। इन गतिविधियों की सतत निगरानी के लिए वेब पोर्टल में रिमोट कनेक्टिविटी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का प्रावधान करने को भी कहा गया है। इन सेंसरों के लाइव डैशबोर्ड का डाटा रोजाना ऑनलाइन अपलोड कराने के लिए उन्हें राज्य की तरफ से विकसित ऑनलाइन वेब पोर्टल से जोड़ने को कहा गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) समेत प्रदूषण की निगरानी करने वाली सभी सरकारी एजेंसियां और संबंधित प्रशासनिक विभागों की गतिविधियों को भी इस वेब पोर्टल से जोड़कर निगरानी का हिस्सा बनाने को कहा गया है। बता दें कि दिल्ली और उससे सटे राज्यों में मौसमी बदलाव के साथ ही वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ने से रोकने की जिम्मेदारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के कंधों पर है।