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स्थिति स्पष्ट: वित्त सचिव ने कहा- भारत में लीगल टेंडर नहीं होगी क्रिप्टोकरेंसी
वित्त सचिव के अनुसार, संसद में क्रिप्टो बिल पेश करने से पहले काफी अध्ययन किया जा रहा है। बावजूद इसके मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि क्रिप्टोकरेंसी किसी भी तरह से लीगल टेंडर नहीं होगी। देश में सोना भी लीगल टेंडर नहीं है न ही चांदी या शराब को लीगल टेंडर माना गया है।
इससे ज्यादा मैं अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं। फिलहाल बिल का मसौदा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि नए बिल में प्रतिबंधित जैसे शब्द को हटा दिया गया है, लेकिन इसका मकसद अब भी इस्तेमाल को बैन करना ही है।
दुनिया के अन्य देशों में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति
अमेरिका
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अलग-अलग राज्यों के अपने मत हैं। न्यूयॉर्क में 2016 से बिटलाइसेंस के जरिये क्रिप्टोकरेंसी खरीदना, बेचना या जमा करना वैध है। अभी पूर्ण मान्यता नहीं मिली है, लेकिन बैंकों में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल के लिए गाइडलाइन बनाने पर मंथन चल रहा है।
चीन
शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी का स्वागत किया, लेकिन जून 2021 में इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। यहां तक कि खरीद-फरोख्त या ट्रेडिंग करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी और चीन में काम करने वाले विदेशी एक्सचेंजों पर भी बैन लगा दिया। इस कदम से 40 फीसदी क्रिप्टोकरेंसी डूब गई। चीन युआन की डिजिटल करेंसी बनाई, जिसे बढ़ावा दे रहा है।
ब्रिटेन
यहां क्रिप्टोकरेंसी के लिए अलग कानून नहीं बना है, जबकि वित्तीय आचार प्राधिकरण (एफसीए) क्रिप्टो में कारोबार और विनिमय का लाइसेंस जारी करता है। क्रिप्टो के फ्यूचर और ऑप्शन श्रेणी ट्रेडिंग करने वालों के लिए एफसीए ने कुछ नियम बनाए हैं। यहां अन्य करेंसी की तरह क्रिप्टो पर भी टैक्स वसूला जाता है, जो कंपनी कर नियमों के तहत आता है। इसके अलावा मुनाफे या घाटे को पूंजीगत लाभ कर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
यूरोपीय संघ
अधिकतर यूरोपीय देश क्रिप्टो को लेकर सहज रुख अपना रहे हैं, लेकिन इसे पूरी तरह मान्यता देने से पहले पर्याप्त ढांचा विकसित करना चाहते हैं। सितंबर, 2020 में यूरोपीय संघ ने क्रिप्टो के नियमन को लेकर कुछ कानून बनाए, जिसके तहत इसे शेयर, म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय विकल्पों के रूप में परिभाषित किया गया।