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संयुक्त राष्ट्र: तालिबान पर भारत के स्थायी राजदूत की खरी-खरी, अफगान मुद्दे पर शीर्ष अधिकारी ने भी उठाए सवाल

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Fri, 10 Sep 2021 11:10 PM IST

सार

अफगानिस्तान पर बृहस्पतिवार को सुरक्षा परिषद में हुई डिबेट में भारत ने स्पष्ट किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का संकल्प है कि अफगानिस्तान की सरजमीं किसी भी हाल में आतंक का ठिकाना नहीं बननी चाहिए। 

टीएस तिरुमूर्ति
– फोटो : social media

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अफगानिस्तान में खराब हालात को लेकर भारत भी चिंतित है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा है कि तालिबान ये सुनिश्ति करे कि उसकी जमीन आतंक के लिए इस्तेमाल नहीं होगी। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 1267 के तहत पाक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भी अफगान की जमीन का इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए न कर सकें।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने भी तालिबान पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में नवगठित सरकार yलिके कई चेहरे संयुक्त राष्ट्र की सूची में दर्ज हैं। इनमें उनके प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री भी शामिल हैं। ऐसे सुरक्षा परिषद को प्रतिबंध सूची को लेकर आगे के कदमों पर विचार करने की स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि आईएसआईएल-के अब भी सक्रिय है और वह और भी ज्यादा ताकतवर हो सकता है। 

भारत ने साफ किया रुख
अफगानिस्तान पर बृहस्पतिवार को सुरक्षा परिषद में हुई डिबेट में भारत ने स्पष्ट किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का संकल्प है कि अफगानिस्तान की सरजमीं किसी भी हाल में आतंक का ठिकाना नहीं बननी चाहिए। अफगानिस्तान आंतक की पौध तैयार करने, पनाह देने, दूसरे देशों पर हमला करने या आतंकियों को आर्थिक मदद पहुंचाने का जरिया किसी हाल में नहीं बनना चाहिए। 

त्रिमूर्ति ने कहा कि पिछले महीने काबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमले ये साबित करता है कि अफगानिस्तान में आतंकी घटनाओं का गंभीर खतरा है। ऐसे में तालिबान को हर हाल में अपने वादे और संकल्पों पर कायम रहना होगा।

अफगानी लोगों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता
त्रिमूर्ति ने कहा कि अफगानी लोगों के भविष्य को लेकर हर ओर अनिश्चितता का महौल है। महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को लेकर हर कोई चिंतित है। वैश्विक स्तर पर हर कोई इसके लिए एकजुट है लेकिन संयुक्त रूप से सहयोग की बदौलत ही इस कठिन समय को सरल बनाया जा सकता है। अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा का माहौल कायम करने पर अभी अधिक जोर देने का वक्त है।

तालिबान की सरकार से हर कोई निराश

  • सुरक्षा परिषद के कार्यक्रम में अफगानिस्तान के विशेष प्रतिनिधी देबोराह लॉयन्स ने कहा कि नए अफगानिस्तान को अभी समझना मुश्किल है। लाखों लोगों का जीवन इसपर निर्भर करता है कि तालिबान किस तरह से सरकार चलाता है। तालिबान ने जिस तरह की सरकार का एलान किया है उससे हर किसी को निराशा ही हाथ लगी है। ऐसे में बुहत बेहतर की उम्मीद करना जल्दबाजी या बेईमानी हो जाएगी।
  • इस बीच अफगानिस्तान के लिए यूएन के विशेष प्रतिनिधि और महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने कहा कि हम दो दिन पहले तालिबान द्वारा घोषित एक वास्तविक प्रशासन का सामना कर रहे हैं। इससे वह लोग सबसे ज्यादा निराश हैं, जिन्होंने बदलाव की उम्मीद की थी और समावेशिता आग्रह किया था। सूचीबद्ध नामों में कोई महिला नहीं है। कोई गैर-तालिबान सदस्य नहीं हैं और न ही अल्पसंख्यक समूहों के कोई नेता हैं।

विस्तार

अफगानिस्तान में खराब हालात को लेकर भारत भी चिंतित है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा है कि तालिबान ये सुनिश्ति करे कि उसकी जमीन आतंक के लिए इस्तेमाल नहीं होगी। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 1267 के तहत पाक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भी अफगान की जमीन का इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए न कर सकें।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने भी तालिबान पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में नवगठित सरकार yलिके कई चेहरे संयुक्त राष्ट्र की सूची में दर्ज हैं। इनमें उनके प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री भी शामिल हैं। ऐसे सुरक्षा परिषद को प्रतिबंध सूची को लेकर आगे के कदमों पर विचार करने की स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि आईएसआईएल-के अब भी सक्रिय है और वह और भी ज्यादा ताकतवर हो सकता है। 

भारत ने साफ किया रुख

अफगानिस्तान पर बृहस्पतिवार को सुरक्षा परिषद में हुई डिबेट में भारत ने स्पष्ट किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का संकल्प है कि अफगानिस्तान की सरजमीं किसी भी हाल में आतंक का ठिकाना नहीं बननी चाहिए। अफगानिस्तान आंतक की पौध तैयार करने, पनाह देने, दूसरे देशों पर हमला करने या आतंकियों को आर्थिक मदद पहुंचाने का जरिया किसी हाल में नहीं बनना चाहिए। 

त्रिमूर्ति ने कहा कि पिछले महीने काबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमले ये साबित करता है कि अफगानिस्तान में आतंकी घटनाओं का गंभीर खतरा है। ऐसे में तालिबान को हर हाल में अपने वादे और संकल्पों पर कायम रहना होगा।

अफगानी लोगों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता

त्रिमूर्ति ने कहा कि अफगानी लोगों के भविष्य को लेकर हर ओर अनिश्चितता का महौल है। महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को लेकर हर कोई चिंतित है। वैश्विक स्तर पर हर कोई इसके लिए एकजुट है लेकिन संयुक्त रूप से सहयोग की बदौलत ही इस कठिन समय को सरल बनाया जा सकता है। अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा का माहौल कायम करने पर अभी अधिक जोर देने का वक्त है।

तालिबान की सरकार से हर कोई निराश

  • सुरक्षा परिषद के कार्यक्रम में अफगानिस्तान के विशेष प्रतिनिधी देबोराह लॉयन्स ने कहा कि नए अफगानिस्तान को अभी समझना मुश्किल है। लाखों लोगों का जीवन इसपर निर्भर करता है कि तालिबान किस तरह से सरकार चलाता है। तालिबान ने जिस तरह की सरकार का एलान किया है उससे हर किसी को निराशा ही हाथ लगी है। ऐसे में बुहत बेहतर की उम्मीद करना जल्दबाजी या बेईमानी हो जाएगी।
  • इस बीच अफगानिस्तान के लिए यूएन के विशेष प्रतिनिधि और महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने कहा कि हम दो दिन पहले तालिबान द्वारा घोषित एक वास्तविक प्रशासन का सामना कर रहे हैं। इससे वह लोग सबसे ज्यादा निराश हैं, जिन्होंने बदलाव की उम्मीद की थी और समावेशिता आग्रह किया था। सूचीबद्ध नामों में कोई महिला नहीं है। कोई गैर-तालिबान सदस्य नहीं हैं और न ही अल्पसंख्यक समूहों के कोई नेता हैं।

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