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लॉकडाउन से लड़खड़ाया विमानन क्षेत्र, 25000 करोड़ रुपये का नुकसान, स्थिति सामान्य होने में लगेंगे दो साल

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बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 08 May 2020 08:56 AM IST

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कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लागू है। इस कारण विमान सेवाओं पर रोक लगी हुई है। केवल सरकार के आदेश पर कुछ आवश्यक कार्यों के लिए ही विमानों का परिचालन हो रहा है। इसमें विदेशों में फंसे भारतीयों को लाना शामिल है। 

वहीं, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि इस वित्त में विमानन क्षेत्र को करीब 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है। साथ ही कहा गया है कि विमानन क्षेत्र को पहले की तरह सामान्य हालात में पहुंचने में दो वर्ष का समय लग सकता है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना की सबसे ज्यादा मार विमान सेवा देने वाली कंपनियों पर पड़ी है। उन्हें इस वित्त में 17-18 हजार करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान उठाना होगा। हवाई अड्डा संचालकों को इस दौरान पांच हजार करोड़ रुपये की चपत लगने की आशंका है।

वहीं, हवाई अड्डों पर बने आउटलेट्स भी इस घाटे के चक्र में फंस गए हैं। उन्हें करीब 1700 से 1800 करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य विमानन केंद्रों जैसे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता में यात्रा पर रोक लंबे समय तक जारी रही तो नुकसान बहुत अधिक होगा।

राजमार्ग डेवलपर्स को भी 3700 करोड़ रुपये का नुकसान
क्रिसिल ने देश के राजमार्ग डेवलपर्स को लेकर भी रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि मार्च से जून के बीच तक राजमार्ग डेवलपर्स को 3700 करोड़ रुपये के टोल राजस्व का नुकसान होगा। दूसरी तरफ, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को 2200 करोड़ रुपये का घाटा होने की संभावना है। हालांकि, इस रिपोर्ट में इस क्षेत्र के लिए सुखद खबर भी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे ही महामारी का संकट खत्म होगा, वैसे ही इस क्षेत्र की तेजी से रिकवरी होगी। 

क्रिसिल के निदेशक जगननारायण पद्मनाभान ने कहा कि पिछले साल जब जेट एयरवेज बंद हुआ तो घरेलू विमानन क्षेत्र की ग्रोथ रेट घट गई और यह 2.5 फीसदी पर आ गई। अभी यह क्षेत्र उससे उबरने की कोशिश कर रही रहा था कि कोरोना संकट से एक बार फिर कारोबार ठप पड़ गया। कोरोना संकट से पहले तक उड़ानों में औसतन करीब 90 फीसदी सीटें भरी होती थीं। 

कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लागू है। इस कारण विमान सेवाओं पर रोक लगी हुई है। केवल सरकार के आदेश पर कुछ आवश्यक कार्यों के लिए ही विमानों का परिचालन हो रहा है। इसमें विदेशों में फंसे भारतीयों को लाना शामिल है। 

वहीं, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि इस वित्त में विमानन क्षेत्र को करीब 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है। साथ ही कहा गया है कि विमानन क्षेत्र को पहले की तरह सामान्य हालात में पहुंचने में दो वर्ष का समय लग सकता है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना की सबसे ज्यादा मार विमान सेवा देने वाली कंपनियों पर पड़ी है। उन्हें इस वित्त में 17-18 हजार करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान उठाना होगा। हवाई अड्डा संचालकों को इस दौरान पांच हजार करोड़ रुपये की चपत लगने की आशंका है।

वहीं, हवाई अड्डों पर बने आउटलेट्स भी इस घाटे के चक्र में फंस गए हैं। उन्हें करीब 1700 से 1800 करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य विमानन केंद्रों जैसे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता में यात्रा पर रोक लंबे समय तक जारी रही तो नुकसान बहुत अधिक होगा।

राजमार्ग डेवलपर्स को भी 3700 करोड़ रुपये का नुकसान
क्रिसिल ने देश के राजमार्ग डेवलपर्स को लेकर भी रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि मार्च से जून के बीच तक राजमार्ग डेवलपर्स को 3700 करोड़ रुपये के टोल राजस्व का नुकसान होगा। दूसरी तरफ, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को 2200 करोड़ रुपये का घाटा होने की संभावना है। हालांकि, इस रिपोर्ट में इस क्षेत्र के लिए सुखद खबर भी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे ही महामारी का संकट खत्म होगा, वैसे ही इस क्षेत्र की तेजी से रिकवरी होगी। 

क्रिसिल के निदेशक जगननारायण पद्मनाभान ने कहा कि पिछले साल जब जेट एयरवेज बंद हुआ तो घरेलू विमानन क्षेत्र की ग्रोथ रेट घट गई और यह 2.5 फीसदी पर आ गई। अभी यह क्षेत्र उससे उबरने की कोशिश कर रही रहा था कि कोरोना संकट से एक बार फिर कारोबार ठप पड़ गया। कोरोना संकट से पहले तक उड़ानों में औसतन करीब 90 फीसदी सीटें भरी होती थीं। 

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