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ममता सरकार को झटका: कोलकाता हाईकोर्ट ने दिया सुवेंदु अधिकारी के करीबी को रिहा करने का आदेश

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पीटीआई, कोलकाता
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 05 Aug 2021 12:19 AM IST

सार

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस किसी भी तरह सिर्फ याचिकाकर्ता को कस्टडी में रखना चाहती है इसलिए उन पर एक के बाद एक केस लादे जा रहे हैं। 

कलकत्ता हाईकोर्ट
– फोटो : पीटीआई

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पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के भी टीएमसी और भाजपा के बीच लड़ाई खत्म नहीं हुई है। इस लड़ाई में भाजपा नेताओं से जुड़े लोग भी चपेट में आ रहे हैं। कुछ महीने पहले सुवेंदु अधिकारी के करीबी राखल बेरा को धोखाधड़ी केस में गिरफ्तार किया गया था। बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद राखल बेरा को रिहा करने का आदेश दिया है।

इससे पहले राखल बेरा को सोमवार को अदालत की एकल पीठ ने जमानत दे दी थी। लेकिन मंगलवार को उन्हें एक दूसरे मामले में गिरफ्तार बताया गया। हालांकि, जस्टिस राजशेखर मंथा ने पुलिस को उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना किसी अन्य मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया था।

सुवेंदु अधिकारी के करीबी राखल बेरा के वकील लोकनाथ चटर्जी ने कहा कि अदालत में जस्टिस तबब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस शुभाशीष दासगुप्ता की खण्ड पीठ ने बेरा को ईस्ट मिदनापुरा जिले की जेल से तुरंत रिहा करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।

ये है पूरा मामला
बता दें कि पुलिस ने इस मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि मणिकतला पुलिस स्टेशन में सुजीत डे नाम के व्यक्ति की शिकायत के आधार पर राखल बेरा को उनके आवास के बाहर से गिरफ्तार किया गया था। सुजीत डे ने बेरा और अन्य पर राज्य के सिंचाई और जलमार्ग विभाग में नौकरी का झांसा देकर लोगों को ठगने का आरोप लगाया था।

पुलिस को दिए अपने बयान में, शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपी राखल बेरा ने जुलाई 2019 से सितंबर 2019 के बीच कोलकाता के मानिकटोला रोड पर साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के एक फ्लैट के अंदर एक शिविर का आयोजन किया। 

शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने पश्चिम बंगाल सिंचाई और जलमार्ग विभाग के ग्रुप डी (फील्ड स्टाफ) में नौकरी देने का झांसा देकर जनता से ‘भारी मात्रा में धन इकट्ठा’ किया। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उससे 2 लाख रुपये लिए, लेकिन 2019 में आयोजित उक्त शिविर के दौरान वादा किए गए सरकारी नौकरी नहीं दी गई।

विस्तार

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के भी टीएमसी और भाजपा के बीच लड़ाई खत्म नहीं हुई है। इस लड़ाई में भाजपा नेताओं से जुड़े लोग भी चपेट में आ रहे हैं। कुछ महीने पहले सुवेंदु अधिकारी के करीबी राखल बेरा को धोखाधड़ी केस में गिरफ्तार किया गया था। बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद राखल बेरा को रिहा करने का आदेश दिया है।

इससे पहले राखल बेरा को सोमवार को अदालत की एकल पीठ ने जमानत दे दी थी। लेकिन मंगलवार को उन्हें एक दूसरे मामले में गिरफ्तार बताया गया। हालांकि, जस्टिस राजशेखर मंथा ने पुलिस को उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना किसी अन्य मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया था।

सुवेंदु अधिकारी के करीबी राखल बेरा के वकील लोकनाथ चटर्जी ने कहा कि अदालत में जस्टिस तबब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस शुभाशीष दासगुप्ता की खण्ड पीठ ने बेरा को ईस्ट मिदनापुरा जिले की जेल से तुरंत रिहा करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।

ये है पूरा मामला

बता दें कि पुलिस ने इस मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि मणिकतला पुलिस स्टेशन में सुजीत डे नाम के व्यक्ति की शिकायत के आधार पर राखल बेरा को उनके आवास के बाहर से गिरफ्तार किया गया था। सुजीत डे ने बेरा और अन्य पर राज्य के सिंचाई और जलमार्ग विभाग में नौकरी का झांसा देकर लोगों को ठगने का आरोप लगाया था।

पुलिस को दिए अपने बयान में, शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपी राखल बेरा ने जुलाई 2019 से सितंबर 2019 के बीच कोलकाता के मानिकटोला रोड पर साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के एक फ्लैट के अंदर एक शिविर का आयोजन किया। 

शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने पश्चिम बंगाल सिंचाई और जलमार्ग विभाग के ग्रुप डी (फील्ड स्टाफ) में नौकरी देने का झांसा देकर जनता से ‘भारी मात्रा में धन इकट्ठा’ किया। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उससे 2 लाख रुपये लिए, लेकिन 2019 में आयोजित उक्त शिविर के दौरान वादा किए गए सरकारी नौकरी नहीं दी गई।

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