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मनिका को क्लीन चिट: खेल महासंघ की कार्यशैली से नाखुश अदालत ने कहा- खिलाड़ियों का न हो उत्पीड़न

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स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Mon, 15 Nov 2021 11:17 PM IST

सार

खेल संस्था के खिलाफ जांच का खेल मंत्रालय को निर्देश देने वाली न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार निजी कोच की मांग करके खिलाड़ी ने कोई गलती नहीं की।

मनिका बत्रा
– फोटो : सोशल मीडिया

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि खिलाड़ियों का अनावश्यक रूप से उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। उच्च न्यायालय ने भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) को देश की स्टार टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को क्लीन चिट देने को कहा जिन्होंने राष्ट्रीय खेल संस्था के खिलाफ शिकायत दायर की थी।

खेल संस्था के खिलाफ जांच का खेल मंत्रालय को निर्देश देने वाली न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार निजी कोच की मांग करके खिलाड़ी ने कोई गलती नहीं की। अदालत मनिका की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि टीटीएफआई गैर पारदर्शी तरीके से चयन कर रहा है और कुछ खिलाड़ियों को निशाना बना रहा है जिसमें वह भी शामिल हैं।

एशियाई टेस्ट टेबल चैंपियनशिप के लिए भारतीय दल से बाहर की गई मनिका ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप राय ने उनकी एक प्रशिक्षु के खिलाफ ओलंपिक क्वालिफायर मुकाबला ‘गंवाने’ के लिए उन पर ‘दबाव’ बनाया था।

निजी कोच मांगना गलती नहीं
अदालत ने टीटीएफआई के वकील से कहा- महासंघ जिस तरह काम कर रहा है उससे मैं खुश नहीं हूं। आप बिना किसी कारण के एक व्यक्ति के खिलाफ जांच कराने का प्रयास कर रहे हो। क्या आपका महासंघ कोई रुख अपनाने का इच्छुक है। क्या वह (महासंघ) उसे जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने का इच्छुक है। मैंने जांच रिपोर्ट देखी है। विचार समाधान तलाशने का है… वह खेले और मैचों पर ध्यान लगा सके। अदालत ने कहा- निष्कर्ष (केंद्र की रिपोर्ट में) है कि उसके निजी कोच मांगने में कोई गलती नहीं थी। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि याचिकाकर्ता पर दोष मढ़ना उचित नहीं होगा।

खिलाड़ी को न काटने पड़े अदालत के चक्कर 
वकील को महासंघ से निर्देश लेने का समय देते हुए न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा- इस समय खिलाड़ी को नुकसान नहीं होना चाहिए। देश खिलाड़ियों को अदालत के चक्कर काटते हुए देखने की स्थिति में नहीं है… मैं चाहती हूं कि आप उसे क्लीनचिट दें, कहें कि जांच की जरूरत नहीं है। (कहें कि) उसकी ओर से कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया। 

 

विस्तार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि खिलाड़ियों का अनावश्यक रूप से उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। उच्च न्यायालय ने भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) को देश की स्टार टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को क्लीन चिट देने को कहा जिन्होंने राष्ट्रीय खेल संस्था के खिलाफ शिकायत दायर की थी।

खेल संस्था के खिलाफ जांच का खेल मंत्रालय को निर्देश देने वाली न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार निजी कोच की मांग करके खिलाड़ी ने कोई गलती नहीं की। अदालत मनिका की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि टीटीएफआई गैर पारदर्शी तरीके से चयन कर रहा है और कुछ खिलाड़ियों को निशाना बना रहा है जिसमें वह भी शामिल हैं।

एशियाई टेस्ट टेबल चैंपियनशिप के लिए भारतीय दल से बाहर की गई मनिका ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप राय ने उनकी एक प्रशिक्षु के खिलाफ ओलंपिक क्वालिफायर मुकाबला ‘गंवाने’ के लिए उन पर ‘दबाव’ बनाया था।

निजी कोच मांगना गलती नहीं

अदालत ने टीटीएफआई के वकील से कहा- महासंघ जिस तरह काम कर रहा है उससे मैं खुश नहीं हूं। आप बिना किसी कारण के एक व्यक्ति के खिलाफ जांच कराने का प्रयास कर रहे हो। क्या आपका महासंघ कोई रुख अपनाने का इच्छुक है। क्या वह (महासंघ) उसे जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने का इच्छुक है। मैंने जांच रिपोर्ट देखी है। विचार समाधान तलाशने का है… वह खेले और मैचों पर ध्यान लगा सके। अदालत ने कहा- निष्कर्ष (केंद्र की रिपोर्ट में) है कि उसके निजी कोच मांगने में कोई गलती नहीं थी। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि याचिकाकर्ता पर दोष मढ़ना उचित नहीं होगा।

खिलाड़ी को न काटने पड़े अदालत के चक्कर 

वकील को महासंघ से निर्देश लेने का समय देते हुए न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा- इस समय खिलाड़ी को नुकसान नहीं होना चाहिए। देश खिलाड़ियों को अदालत के चक्कर काटते हुए देखने की स्थिति में नहीं है… मैं चाहती हूं कि आप उसे क्लीनचिट दें, कहें कि जांच की जरूरत नहीं है। (कहें कि) उसकी ओर से कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया। 

 

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