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बड़ी जिम्मेदारी: अब सरकारी लेनदेन भी संभालेगा RBL बैंक, आरबीआई ने दी मंजूरी

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पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: ‌डिंपल अलावाधी
Updated Thu, 12 Aug 2021 12:49 PM IST

सार

चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में आरबीएल बैंक को 459.47 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जबकि एक साल पहले 2020-21 की समान तिमाही में बैंक को 141 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। 

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आरबीएल बैंक को केंद्र और राज्य सरकारों के बैंकिंग लेनदेन के लिए एक एजेंसी बैंक के रूप में कार्य करने की अनुमति दी है। यानी आरबीएल बैंक अब सरकारी व्यवसाय से संबंधित लेनदेन की एक विस्तृत श्रृंखला को संभाल सकेगा। केंद्रीय बैंक ने आरबीएल बैंक को सरकार के लिए बैंकिंग लेनदेन के लिए एक एजेंसी बैंक के रूप में सूचीबद्ध किया है।

इन सभी कार्यों के लिए सक्षम होगा आरबीएल बैंक 
इतना ही नहीं, आरबीएल बैंक अब सब्सिडी राशि का वितरण, पेंशन का भुगतान, इनकम टैक्स, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, माल एवं सेवा कर (जीएसटी), स्टांप शुल्क, पंजीकरण शुल्क, राज्य उत्पाद शुल्क (वैट) और पेशेवर कर सहित केंद्रीय और राज्य कर एकत्र करने का व्यवसाय करने में भी सक्षम होगा।

दरअसल केंद्रीय बैंक के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, शेड्यूल्ड निजी क्षेत्र के बैंकों को एजेंसी बैंकों के रूप में सरकार से संबंधित व्यावसायिक लेनदेन करने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। इस संदर्भ में आरबीएल बैंक ने कहा है कि उसे केंद्रीय बैंक द्वारा यह मान्यता मिली है और अब वह सरकारी विभागों और उद्यमों को सर्वश्रेष्ठ तकनीक आधारित मंच और डिजिटल उत्पादों की पेशकश करने का अवसर देगा।

आरबीएल बैंक को जून तिमाही में इतना रहा घाटा
मालूम हो कि चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में आरबीएल बैंक को 459.47 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जबकि एक साल पहले 2020-21 की समान तिमाही में बैंक को 141 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। दरअसल भविष्य में कर्ज फंसने की आशंका को देखते हुए बैंक ने प्रावधान बढ़ाए थे, जिससे बैंक को घाटा हुआ है। इस दौरान कुल 1,342 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज यानी एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में 97 फीसदी खुदरा क्षेत्र से है। 30 जून को समाप्त तिमाही में बैंक का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात बढ़कर 4.99 फीसदी हो गया गया। मार्च तिमाही में यह 4.34 फीसदी था। वहीं एक साल पहले की समान तिमाही में यह 3.45 फीसदी था।

विस्तार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आरबीएल बैंक को केंद्र और राज्य सरकारों के बैंकिंग लेनदेन के लिए एक एजेंसी बैंक के रूप में कार्य करने की अनुमति दी है। यानी आरबीएल बैंक अब सरकारी व्यवसाय से संबंधित लेनदेन की एक विस्तृत श्रृंखला को संभाल सकेगा। केंद्रीय बैंक ने आरबीएल बैंक को सरकार के लिए बैंकिंग लेनदेन के लिए एक एजेंसी बैंक के रूप में सूचीबद्ध किया है।

इन सभी कार्यों के लिए सक्षम होगा आरबीएल बैंक 

इतना ही नहीं, आरबीएल बैंक अब सब्सिडी राशि का वितरण, पेंशन का भुगतान, इनकम टैक्स, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, माल एवं सेवा कर (जीएसटी), स्टांप शुल्क, पंजीकरण शुल्क, राज्य उत्पाद शुल्क (वैट) और पेशेवर कर सहित केंद्रीय और राज्य कर एकत्र करने का व्यवसाय करने में भी सक्षम होगा।

दरअसल केंद्रीय बैंक के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, शेड्यूल्ड निजी क्षेत्र के बैंकों को एजेंसी बैंकों के रूप में सरकार से संबंधित व्यावसायिक लेनदेन करने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। इस संदर्भ में आरबीएल बैंक ने कहा है कि उसे केंद्रीय बैंक द्वारा यह मान्यता मिली है और अब वह सरकारी विभागों और उद्यमों को सर्वश्रेष्ठ तकनीक आधारित मंच और डिजिटल उत्पादों की पेशकश करने का अवसर देगा।

आरबीएल बैंक को जून तिमाही में इतना रहा घाटा

मालूम हो कि चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में आरबीएल बैंक को 459.47 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जबकि एक साल पहले 2020-21 की समान तिमाही में बैंक को 141 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। दरअसल भविष्य में कर्ज फंसने की आशंका को देखते हुए बैंक ने प्रावधान बढ़ाए थे, जिससे बैंक को घाटा हुआ है। इस दौरान कुल 1,342 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज यानी एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में 97 फीसदी खुदरा क्षेत्र से है। 30 जून को समाप्त तिमाही में बैंक का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात बढ़कर 4.99 फीसदी हो गया गया। मार्च तिमाही में यह 4.34 फीसदी था। वहीं एक साल पहले की समान तिमाही में यह 3.45 फीसदी था।

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