कोलकाता का परेड ब्रिगेड ग्राउंड
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दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पश्चिम बंगाल में प्रचार का अगला चरण शुरू करने वाले हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार की रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभाओं के कार्यक्रम भी आ चुके हैं। इसे देखते हुए तृणमूल के नेता कई रणनीतिक बदलाव की तैयारी में जुट गए हैं।
कुल मिलाकर भाजपा और तृणमूल के 15 मार्च से लेकर 2 मई तक का समय ‘करो या मरो’ जैसा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 मार्च को पुरुलिया, 20 को मिदनापुर (कंटाई), 21 को बांकुरा में जनसभा को संबोधित करेंगे। 24 मार्च को वह कांथी और इसके बाद 1 अप्रैल को मथुरापुर, उबरेलिया में पश्चिम बंगाल की जनता से ‘आमरा आसोल पोरिबर्तन चाही’ का आह्वान करेंगे। 16, 19 और 26 मार्च को गृहमंत्री शाह भी बंगाल में होंगे।
बंगाल के बजाय असम, पुडुचेरी, केरल, तमिलनाडु पर रहेगा कांग्रेस का फोकस
कांग्रेस पार्टी से मिली जानकारी के अनुसार, उसका मुख्य फोकस असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में है। इनमें भी केरल, असम और पुडुचेरी में कांग्रेस पूरी ताकत लगा रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव के अगले चरण में पार्टी को मजबूत बनाने जाएंगे। असम के प्रभारी भंवर जितेन्द्र सिंह ने असम कांग्रेस के सभी धड़ों के नेताओं को एक समीकरण में लाकर सफलता का रोड-मैप बनाया है।
महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, सांसद गौरव गोगोई समेत सभी की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। बराक घाटी से लेकर पूरे असम में कांग्रेस को सफलता मिलने की संभावना बढ़ी है। इसके सामानांतर कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर अभी खास जोर नहीं लगाया है। 20 मार्च के बाद कांग्रेस इस तरफ ध्यान देगी। अभी पश्चिम बंगाल का प्रचार अभियान लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी, वामदलों के सहयोग और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के सहयोग से चल रहा है।