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पिछले 13 साल में काफी कुछ सीखा, अब मेंटर की भूमिका का लुत्फ उठा रही हूं: वंदना कटारिया

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स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला
Updated Thu, 07 May 2020 08:17 PM IST

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भारतीय महिला हॉकी टीम की स्ट्राइकर वंदना कटारिया का मानना है कि पिछले 13 साल एक खिलाड़ी के रूप में उन्होंने काफी विकास किया है और अभी वह उस टीम में मेंटर की भूमिका का लुत्फ उठा रही हैं, जिसमें काफी युवा खिलाड़ी हैं। 

भारत की सीनियर टीम में 2007 में पदार्पण करने वाली वंदना ने कहा, ‘जब मैंने 15 साल की उम्र में शुरू किया था तो हमेशा काफी निडर होकर खेलती थी। मैं अपने कौशल का इस्तेमाल करने का प्रयास करती थी, जितना अधिक संभव को गेंद को अपने पास रखने का प्रयास करती थी और फिर गोल करने का प्रयास करती थी, लेकिन समय के साथ मैंने महसूस किया कि आप इस तरह नहीं खेल सकते, विशेषकर तब जब खेल में इतना बदलाव आया हो। मुझे भी बदलाव लाना था।’

उन्होंने कहा, ‘अब अनुभव के साथ और टीम में इतने सारे युवा खिलाड़ियों के आने से मैं कुछ हद तक उन्हें मेंटर करने का पूरा लुत्फ उठा रही हूं। मुझे पता है कि मेरे पास अनुभव है जो युवा खिलाड़ियों के लिए मददगार हो सकता है और मैं मैदान पर उनके सामने आने वाले विभिन्न हालात और ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए इसे लेकर उनसे बात करती रहती हूं।’

वंदना ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मैं चाहती हूं कि जैसा मैंने कहा वे बिलकुल वैसा ही करें, लेकिन मेरी अनुभव का इस्तेमाल करने का प्रयास करें और सोचें कि वे क्या फैसले कर सकते हैं।’ कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के कारण ट्रेनिंग गतिविधियां बंद हैं और ऐसे में वंदना ने कहा कि उनका ध्यान शारीरिक फिटनेस और विरोधियों का विश्लेषण करने पर है।

उन्होंने कहा, ‘बेशक हम सभी के लिए सबसे महत्वपूर्ण मैदान पर हॉकी खेलना है लेकिन इस समय ने हमें अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देने का मौका दिया है जो टीम को सफल बना सकते हैं। हम मैदान पर नहीं उतर पाए हैं लेकिन हमारा दिमाग हमेशा मैदान पर रहता है।’

भारतीय महिला हॉकी टीम की स्ट्राइकर वंदना कटारिया का मानना है कि पिछले 13 साल एक खिलाड़ी के रूप में उन्होंने काफी विकास किया है और अभी वह उस टीम में मेंटर की भूमिका का लुत्फ उठा रही हैं, जिसमें काफी युवा खिलाड़ी हैं। 

भारत की सीनियर टीम में 2007 में पदार्पण करने वाली वंदना ने कहा, ‘जब मैंने 15 साल की उम्र में शुरू किया था तो हमेशा काफी निडर होकर खेलती थी। मैं अपने कौशल का इस्तेमाल करने का प्रयास करती थी, जितना अधिक संभव को गेंद को अपने पास रखने का प्रयास करती थी और फिर गोल करने का प्रयास करती थी, लेकिन समय के साथ मैंने महसूस किया कि आप इस तरह नहीं खेल सकते, विशेषकर तब जब खेल में इतना बदलाव आया हो। मुझे भी बदलाव लाना था।’

उन्होंने कहा, ‘अब अनुभव के साथ और टीम में इतने सारे युवा खिलाड़ियों के आने से मैं कुछ हद तक उन्हें मेंटर करने का पूरा लुत्फ उठा रही हूं। मुझे पता है कि मेरे पास अनुभव है जो युवा खिलाड़ियों के लिए मददगार हो सकता है और मैं मैदान पर उनके सामने आने वाले विभिन्न हालात और ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए इसे लेकर उनसे बात करती रहती हूं।’

वंदना ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मैं चाहती हूं कि जैसा मैंने कहा वे बिलकुल वैसा ही करें, लेकिन मेरी अनुभव का इस्तेमाल करने का प्रयास करें और सोचें कि वे क्या फैसले कर सकते हैं।’ कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के कारण ट्रेनिंग गतिविधियां बंद हैं और ऐसे में वंदना ने कहा कि उनका ध्यान शारीरिक फिटनेस और विरोधियों का विश्लेषण करने पर है।

उन्होंने कहा, ‘बेशक हम सभी के लिए सबसे महत्वपूर्ण मैदान पर हॉकी खेलना है लेकिन इस समय ने हमें अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देने का मौका दिया है जो टीम को सफल बना सकते हैं। हम मैदान पर नहीं उतर पाए हैं लेकिन हमारा दिमाग हमेशा मैदान पर रहता है।’

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