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जेल नियमावली के तहत सक्षम प्राधिकारी उपराज्यपाल हैं। यादव ने अदालत में आठ हफ्ते के पेरोल के लिए याचिका इस आधार पर दायर की है कि जेल में उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा है क्योंकि पूर्व में वह तपेदिक का मरीज रह चुका है।
न्यायमूर्ति ए के चावला की अदालत ने कहा, “यह अदालत का विचार है कि प्रथम दृष्टया इस मामले पर सक्षम प्राधिकारी को विचार करने की जरूरत है।” इसके बाद दोषी के वकील ने सुझाव दिया कि याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर देखा जाए और समयबद्ध तरीके से इसका निस्तारण हो।
दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे अतिरिक्त स्थायी वकील (आपराधिक मामले) राजेश महाजन ने अदालत को आश्वस्त किया कि गुण-दोष के आधार पर प्रतिवेदन पर विचार किया जाएगा और तीन हफ्ते के भीतर इसका निस्तारण किया जाएगा।
इसके बाद, अदालत ने सक्षम प्राधिकारी को इस याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर देखने और एक मई से 15 दिन के भीतर इसका निस्तारण करने का निर्देश दिया।
इसने कहा, “लिए गए निर्णय की सूचना याचिकाकर्ता को दी जाए।’’ अदालत ने कहा कि रिट याचिका निस्तारित की जाती है। सरकार ने अदालत को बताया था कि जेल में दोषी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का कोई जोखिम नहीं है। इसके अलावा उसने यह भी कहा कि जेल के रिकॉर्ड दिखाते हैं कि दोषी की चिकित्सीय स्थिति स्थिर है और वह टीबी से ग्रसित नहीं है।
सरकार ने यह भी कहा कि जेल नियमों के तहत आठ हफ्ते का ‘आपात’ पेरोल सजा में माफी के बराबर होता है। उच्च न्यायालय ने फरवरी 2015 में यादव को जेल भेजते वक्त कहा था कि 25 साल की असल सजा पूरी करने तक उसे किसी तरह की माफी नहीं मिलेगी।