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ट्रेनें शुरू होने के बावजूद पैदल चलने को मजबूर हैं देशभर के प्रवासी मजदूर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 09 May 2020 08:14 AM IST
साइकिल पर घर की ओर जाते प्रवासी मजदूर (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ के पास ट्रेन के लिए पंजीकरण कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं, कुछ और देर तक इंतजार नहीं कर सकते हैं। अन्य मामलों में कुछ राज्यों ने अभी प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन संचालित करने की अनुमति नहीं दी है। मजदूरों के पास मौजूद पैसे खत्म हो गए हैं। इसलिए वे जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहते हैं।
एक मजदूर मोहम्मद इमरान ने कहा कि वह बुधवार को अपनी गर्भवती पत्नी, बच्चों और माता-पिता के साथ राजस्थान के अजमेर से उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद के लिए निकले हैं। वह लगभग 600 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं क्योंकि न तो बसें और न ही ट्रेनें उपलब्ध हैं।
अजमेर-जयपुर राजमार्ग पर शुक्रवार को अपने परिवार के साथ पैदल चलते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि मुझे जाने के लिए कुछ मिल जाए तो अच्छा होगा वरना हमें पैदल चलना पड़ेगा। भूखा मरने से अच्छा है कि हम अपने घर जाएं।’ बहुत से लोग गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगातार पैदल और साइकिल के जरिए घर वापस जा रहे हैं।
कुछ मजदूरों का कहना है कि उन्होंने पैदल चलना इसलिए शुरू किया क्योंकि वह विशेष ट्रेनों में अपना पंजीकरण नहीं करवा पाए, उनके पास पहचान पत्र वाले दस्तावेज नहीं हैं। झारखंड के मजदूर सूरज भान सिंह जो गुजरात के सूरत में हैं उन्होंने कहा, ‘मैं अपना पंजीकरण नहीं करवा पाया क्योंकि मेरे पास आधार कार्ड नहीं है।’
उत्तर प्रदेश के मजदूर राज सिंह ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार की हेल्पलाइन पर इसलिए पंजीकरण नहीं करवा पाए क्योंकि वह हमेशा व्यस्त रहती है। वे पंजाब के लुधियाना में हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं एक हफ्ते से संपर्क नहीं कर पा रहा हूं।’ अन्य मजदूर नीरव कुमार कई अन्य श्रमिकों के साथ राजस्थान के जोधपुर से साइकिल के जरिए उत्तर प्रदेश जा रहे हैं। उनके पास पंचर मरम्मत के उपकरण भी हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ के पास ट्रेन के लिए पंजीकरण कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं, कुछ और देर तक इंतजार नहीं कर सकते हैं। अन्य मामलों में कुछ राज्यों ने अभी प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन संचालित करने की अनुमति नहीं दी है। मजदूरों के पास मौजूद पैसे खत्म हो गए हैं। इसलिए वे जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहते हैं।
एक मजदूर मोहम्मद इमरान ने कहा कि वह बुधवार को अपनी गर्भवती पत्नी, बच्चों और माता-पिता के साथ राजस्थान के अजमेर से उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद के लिए निकले हैं। वह लगभग 600 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं क्योंकि न तो बसें और न ही ट्रेनें उपलब्ध हैं।
अजमेर-जयपुर राजमार्ग पर शुक्रवार को अपने परिवार के साथ पैदल चलते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि मुझे जाने के लिए कुछ मिल जाए तो अच्छा होगा वरना हमें पैदल चलना पड़ेगा। भूखा मरने से अच्छा है कि हम अपने घर जाएं।’ बहुत से लोग गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगातार पैदल और साइकिल के जरिए घर वापस जा रहे हैं।
कुछ मजदूरों का कहना है कि उन्होंने पैदल चलना इसलिए शुरू किया क्योंकि वह विशेष ट्रेनों में अपना पंजीकरण नहीं करवा पाए, उनके पास पहचान पत्र वाले दस्तावेज नहीं हैं। झारखंड के मजदूर सूरज भान सिंह जो गुजरात के सूरत में हैं उन्होंने कहा, ‘मैं अपना पंजीकरण नहीं करवा पाया क्योंकि मेरे पास आधार कार्ड नहीं है।’
उत्तर प्रदेश के मजदूर राज सिंह ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार की हेल्पलाइन पर इसलिए पंजीकरण नहीं करवा पाए क्योंकि वह हमेशा व्यस्त रहती है। वे पंजाब के लुधियाना में हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं एक हफ्ते से संपर्क नहीं कर पा रहा हूं।’ अन्य मजदूर नीरव कुमार कई अन्य श्रमिकों के साथ राजस्थान के जोधपुर से साइकिल के जरिए उत्तर प्रदेश जा रहे हैं। उनके पास पंचर मरम्मत के उपकरण भी हैं।
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