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झटका: केंद्रीय बैंक ने बढ़ाई फीस, कल से दूसरे बैंक के ATM से पैसा निकालना पड़ेगा महंगा
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: डिंपल अलावाधी
Updated Sat, 31 Jul 2021 12:45 PM IST
सार
इंटरचेंज शुल्क दूसरे बैंक के एटीएम से एक सीमा के बाद निकासी करने पर लगाया जाता है।
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इंटरचेंज शुल्क बढ़ाने की छूट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक अगस्त 2021 से बैंकों को वित्तीय लेनदेन के लिए प्रति लेनदेन इंटरचेंज शुल्क 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये और सभी केंद्रों में गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए यह शुल्क पांच रुपये से बढ़ाकर छह रुपये करने की अनुमति दी है। आइए जानते हैं यह इंटरचेंज शुल्क आखिर है क्या और इससे आप पर क्या असर पड़ेगा।
क्या है इंटरचेंज शुल्क?
अगर किसी एक बैंक का ग्राहक किसी अन्य बैंक के एटीएम से अपने कार्ड का इस्तेमाल कर पैसे निकालता है, तो ऐसी स्थिति में जिस बैंक के एटीएम से पैसे निकाले जाते हैं, वह मर्चेंट बैंक हो जाता है। ऐसे में आपके बैंक को मर्चेंट बैंक को एक निश्चित शुल्क का भुगतान करना होता है, जिसे एटीएम इंटरचेंज शुल्क कहा जाता है। इंटरचेंज शुल्क दूसरे बैंक के एटीएम से एक सीमा के बाद निकासी करने पर लगाया जाता है।
इसलिए बढ़ाया गया शुल्क
आरबीआई ने कहा है कि एटीएम लगाने और उसके मेंटनेंस के खर्च में बढ़ोतरी की वजह से शुल्क बढ़ाया गया है। एटीएम ऑपरेटर की मांग थी कि शुल्क बढ़ाया जाए। लेकिन बैंक इसके लिए तैयार नहीं था। केंद्रीय बैंक ने जून 2019 में एटीएम चार्ज और फीस की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिशों पर चर्चा करने के बाद एटीएम ट्रांजेक्शन फीस में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया। इससे पहले एटीएम के इंटरचेंज फीस स्ट्रक्चर में अगस्त 2012 को बदलाव किया गया था। इसके साथ ही कोरोना काल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ने से एटीएम ट्रांजेक्शन में कमी आई है। इस हिसाब से एटीएम लगाने की लागत बैंकों को भारी पड़ रही है।
मासिक सीमा से अधिक लेन-देन पर भी ज्यादा शुल्क
मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को मुफ्त मासिक सीमा से ज्यादा बार एटीएम से लेन-देन करने वाले ग्राहकों से ज्यादा शुल्क लेने की भी इजाजत दे दी है। एटीएम इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को एक जनवरी 2022 से 21 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन शुल्क चुकाना पड़ेगा। अभी मुफ्त सीमा से ज्यादा बार लेन-देन करने पर 20 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन शुल्क लिया जाता है।
विस्तार
इंटरचेंज शुल्क बढ़ाने की छूट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक अगस्त 2021 से बैंकों को वित्तीय लेनदेन के लिए प्रति लेनदेन इंटरचेंज शुल्क 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये और सभी केंद्रों में गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए यह शुल्क पांच रुपये से बढ़ाकर छह रुपये करने की अनुमति दी है। आइए जानते हैं यह इंटरचेंज शुल्क आखिर है क्या और इससे आप पर क्या असर पड़ेगा।
क्या है इंटरचेंज शुल्क?
अगर किसी एक बैंक का ग्राहक किसी अन्य बैंक के एटीएम से अपने कार्ड का इस्तेमाल कर पैसे निकालता है, तो ऐसी स्थिति में जिस बैंक के एटीएम से पैसे निकाले जाते हैं, वह मर्चेंट बैंक हो जाता है। ऐसे में आपके बैंक को मर्चेंट बैंक को एक निश्चित शुल्क का भुगतान करना होता है, जिसे एटीएम इंटरचेंज शुल्क कहा जाता है। इंटरचेंज शुल्क दूसरे बैंक के एटीएम से एक सीमा के बाद निकासी करने पर लगाया जाता है।
इसलिए बढ़ाया गया शुल्क
आरबीआई ने कहा है कि एटीएम लगाने और उसके मेंटनेंस के खर्च में बढ़ोतरी की वजह से शुल्क बढ़ाया गया है। एटीएम ऑपरेटर की मांग थी कि शुल्क बढ़ाया जाए। लेकिन बैंक इसके लिए तैयार नहीं था। केंद्रीय बैंक ने जून 2019 में एटीएम चार्ज और फीस की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिशों पर चर्चा करने के बाद एटीएम ट्रांजेक्शन फीस में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया। इससे पहले एटीएम के इंटरचेंज फीस स्ट्रक्चर में अगस्त 2012 को बदलाव किया गया था। इसके साथ ही कोरोना काल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ने से एटीएम ट्रांजेक्शन में कमी आई है। इस हिसाब से एटीएम लगाने की लागत बैंकों को भारी पड़ रही है।
मासिक सीमा से अधिक लेन-देन पर भी ज्यादा शुल्क
मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को मुफ्त मासिक सीमा से ज्यादा बार एटीएम से लेन-देन करने वाले ग्राहकों से ज्यादा शुल्क लेने की भी इजाजत दे दी है। एटीएम इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को एक जनवरी 2022 से 21 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन शुल्क चुकाना पड़ेगा। अभी मुफ्त सीमा से ज्यादा बार लेन-देन करने पर 20 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन शुल्क लिया जाता है।