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खास बातचीत: भाजपा ने बलात्कार के आरोपी को मैदान में उतारा, अच्छा उम्मीदवार होता तो चुनाव ही नहीं लड़ता
सार
मनोहर परिकर के निधन के बाद कसोस के टिकट पर चुनाव जीते मोनसेरेट भाजपा में शामिल हो गए थे। मोनसेरेट की पत्नी जेनिफर तलेगांव विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, जबकि उनके बेटे पणजी के महापौर हैं।
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मनोहर परिकर के निधन के बाद कसोस के टिकट पर चुनाव जीते मोनसेरेट भाजपा में शामिल हो गए थे। मोनसेरेट की पत्नी जेनिफर तलेगांव विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, जबकि उनके बेटे पणजी के महापौर हैं।
लड़ाई के विकल्प की नहीं थी
राज्य में 14 फरवरी को मतदान होना है। भाजपा से पणजी के अलावा किसी अन्य सीट से उतारे जाने के सवाल पर उत्पल परिकर ने कहा, लड़ाई सीट के विकल्प के लिए नहीं थी। 2019 में मैंने पार्टी के फैसले का सम्मान किया, लेकिन कांग्रेस से भाजपा में ऐसे लोगों को शामिल कर लिया गया, जिनके खिलाफ ऐसे गंभीर आरोप है कि सार्वजनिक तौर पर बात करना भी उचित नहीं है। असल में परिफर का इशारा भाजपा की तरफ से मैदान में उतरे पूर्व कांग्रेसी अतनासियो मोनसेरेट की और था, जिनके खिलाफ 2016 में बलात्कार का मामला दर्ज हुआ था।
पिता ने इस क्षेत्र को खून-पसीने से सींचा
उत्पन ने कहा, इस निर्वाचन क्षेत्र को पिता ने खून-पसीने से सींचा है, इसे यूँ ही किसी बलात्कारी के लिए नहीं छोड़ सकता मनोहर परिकर से पहले पणजी में कभी भी भाजपा को मौका नहीं मिला था।
1989 के में तो भाजपा को महज दो विधानसभा चुनाव में तो भाजपा फीसदी वोट मिले थे 1994 में मनोहर परिकर ने पणजी से चुनाव लड़ा और उसके बाद लगातार यहां से जीत दर्ज की 2014 में रक्षामंत्री के तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद यह सीट भाजपा के सिद्धार्थ कुंकालिकर को सौंपी गई, लेकिन, 2017 चुनाव में खंडित जनादेश के बाद उन्हें फिर से राज्य की राजनीति में आना पड़ा।
निर्दलीय रहना ही करेंगे पसंद
राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने के मुद्दे पर उत्पन ने कहा कि अगर ये निर्दलीय के तौर पर जीतते हैं, तो निर्दलीय ही रहना पसंद करेंगे।
विस्तार
मनोहर परिकर के निधन के बाद कसोस के टिकट पर चुनाव जीते मोनसेरेट भाजपा में शामिल हो गए थे। मोनसेरेट की पत्नी जेनिफर तलेगांव विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, जबकि उनके बेटे पणजी के महापौर हैं।
लड़ाई के विकल्प की नहीं थी
राज्य में 14 फरवरी को मतदान होना है। भाजपा से पणजी के अलावा किसी अन्य सीट से उतारे जाने के सवाल पर उत्पल परिकर ने कहा, लड़ाई सीट के विकल्प के लिए नहीं थी। 2019 में मैंने पार्टी के फैसले का सम्मान किया, लेकिन कांग्रेस से भाजपा में ऐसे लोगों को शामिल कर लिया गया, जिनके खिलाफ ऐसे गंभीर आरोप है कि सार्वजनिक तौर पर बात करना भी उचित नहीं है। असल में परिफर का इशारा भाजपा की तरफ से मैदान में उतरे पूर्व कांग्रेसी अतनासियो मोनसेरेट की और था, जिनके खिलाफ 2016 में बलात्कार का मामला दर्ज हुआ था।
पिता ने इस क्षेत्र को खून-पसीने से सींचा
उत्पन ने कहा, इस निर्वाचन क्षेत्र को पिता ने खून-पसीने से सींचा है, इसे यूँ ही किसी बलात्कारी के लिए नहीं छोड़ सकता मनोहर परिकर से पहले पणजी में कभी भी भाजपा को मौका नहीं मिला था।
1989 के में तो भाजपा को महज दो विधानसभा चुनाव में तो भाजपा फीसदी वोट मिले थे 1994 में मनोहर परिकर ने पणजी से चुनाव लड़ा और उसके बाद लगातार यहां से जीत दर्ज की 2014 में रक्षामंत्री के तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद यह सीट भाजपा के सिद्धार्थ कुंकालिकर को सौंपी गई, लेकिन, 2017 चुनाव में खंडित जनादेश के बाद उन्हें फिर से राज्य की राजनीति में आना पड़ा।
निर्दलीय रहना ही करेंगे पसंद
राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने के मुद्दे पर उत्पन ने कहा कि अगर ये निर्दलीय के तौर पर जीतते हैं, तो निर्दलीय ही रहना पसंद करेंगे।