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खारकीव का इतिहास: कभी यूक्रेनी संस्कृति का केंद्र रहा, दूसरे विश्वयुद्ध से भी नाता, जानें इस शहर के बारे में सबकुछ
सार
खारकीव शहर के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना साल 1654 में की गई थी। साल 1820 में यह शहर यूक्रेनियन राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र था।
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रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग अब और तेज और खतरनाक होती जा रही है। बताया जा रहा है कि रूस की सेना ने खारकीव शहर पर भारी हमला बोल दिया है। भारत ने भी बुधवार को नई एडवायजरी जारी कर खारकीव में फंसे भारतीयों को हर हाल में यूक्रेनी समयानुसार शाम छह बजे तक शहर छोड़ने को कहा था। हमले की आग में झुलस रहा खारकीव यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। पहले नंबर पर राजधानी कीव है। अमर उजाला आपको बता रहा है खारकीव शहर के इतिहास से जुड़े कुछ अहम तथ्य…
साल 1654 में हुई थी शहर की स्थापना
खारकीव शहर के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना साल 1654 में की गई थी। साल 1820 में यह शहर यूक्रेनियन राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बना था। इस शहर की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1920 से लेकर 1934 तक इसे ही सोवियत रिपब्लिक ऑफ यूक्रेन की राजधानी बनाया गया था। जानकार बताते हैं कि 1920 के समय में यह शहर यूक्रेनी संस्कृति का केंद्र माना जाता था। सोवियत नेताओं ने भी शुरुआत में इस शहर की संस्कृति को आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया था।
1932 में अकाल झेला
साल 1932 में यूक्रेन में आए महान अकाल के दौर में खारकीव पर भी भयानक असर हुआ था। बड़ी संख्या में लोगों की भूखमरी से मौते हुई। जानकार बताते हैं कि यह एक मानव निर्मित आपदा थी, जो कि सोवियत कृषि और पुनर्वितरण नीतियों के कारण पैदा हुई थी।
दूसरे विश्व युद्ध से भी नाता
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी इस शहर ने अहम भूमिका निभाई थी। यह शहर सोवियत संघ और जर्मन सेना के बीच युद्ध का केंद्र बना था। दिसंबर 1941 से लेकर जनवरी 1942 के बीच की इस शहर में नाजी जर्मनी ने बड़ी संख्या में यहूदियों का कत्लेआम किया था।
कुछ खासियतें यह भी
आज भी इस शहर में कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, शैक्षणिक, परिवहन और औद्योगिक केंद्र स्थापित हैं। कई संग्रहालय, थिएटर और पुस्तकालय के साथ, फ्रीडम स्क्वायर में डेरजप्रोम की इमारत इस शहर को एक अलग पहचान देती है। खारकीव ने साल 2012 में यूएफा यूरो कप की मेजबानी भी की थी। यह शहर हमेशा से ही संस्कृति, कला और संगीत के लिए मशहूर रहा है।
क्यों पुतिन के निशाने पर है शहर?
खारकीव में बड़ी संख्या में रूस समर्थक लोग रहते हैं। स्वतंत्र यूक्रेन के लिए होने वाले पहले विद्रोह को उस समय की सोवियत सेनाओं ने खारकीव में ही कुचला था। यह शहर रूस की सीमा से ज्यादा दूर भी नहीं है। रूसी सेना को खारकीव को कब्जे में लेना आसान लग रहा है, क्योंकि यह पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा है जहां बड़ी संख्या में रूस समर्थक लोग रहते हैं। ऐसे में रूसी सेना को यहां की जनता का भी साथ मिलने का भरोसा है। खारकीव में रूसी लोगों की काफी संख्या है और यह रूस की सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। खारकीव रूस की सीमा से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है। पहचान, बोली और रहन-सहन के मामले में शायद ही यूक्रेन का कोई और शहर रूस से इतना मेल खाता हो जितना कि खारकीव। शायद यही कारण है कि पुतिन इस शहर पर जल्द से जल्द कब्जा करना चाहते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच से भी नाता
साल 2014 में जब प्रदर्शनकारियों ने देश के रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से बाहर किया था, तब वह रूस से पहले खारकीव ही गए थे। यहां लंबे समय तक नई सरकार के विरोध में और यानुकोविच को वापस सत्ता में बहाल करने के लिए विरोध प्रदर्शन हुए थे। साल 2014 में रूस समर्थित अलगाववादियों ने यूक्रेन के पूर्वी डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया। इस दौरान खारकीव में बड़े स्तर पर आतंकी घटनाएं देखने को मिली थी। यूक्रेन की सरकार इन घटनाओं में रूस का हाथ बताती थी।
विस्तार
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग अब और तेज और खतरनाक होती जा रही है। बताया जा रहा है कि रूस की सेना ने खारकीव शहर पर भारी हमला बोल दिया है। भारत ने भी बुधवार को नई एडवायजरी जारी कर खारकीव में फंसे भारतीयों को हर हाल में यूक्रेनी समयानुसार शाम छह बजे तक शहर छोड़ने को कहा था। हमले की आग में झुलस रहा खारकीव यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। पहले नंबर पर राजधानी कीव है। अमर उजाला आपको बता रहा है खारकीव शहर के इतिहास से जुड़े कुछ अहम तथ्य…