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कोरोना संकटः दफ्तरों में साथ काम करने की संस्कृति नहीं होगी खत्म, पर बदलनी होगी रणनीति 

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लॉकडाउन के कारण लगभग सबकुछ बंद है। हालांकि देश में कोरोना के चलते साथ काम करने की संस्कृति खत्म नहीं होगी। ये थोड़े समय के लिए होगा, हालांकि उचित स्थान की मांग बढ़ेगी लेकिन इसके कुछ अहम कारण होंगे। को-वर्किंग स्पेस प्रोवाइडर (एक स्थान पर चलने वाली कई कंपनियां) को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। इंटीरियर और डिजाइनिंग पर ध्यान देना होगा जिससे आने वाले समय में भी उनकी मांग बनी रहे।

को-वर्किंग कंपनी 315 वर्क एवेन्यू के चेयरमैन मानस मलहोत्रा का कहना है कि कई कंपनियों में लोग वर्क फ्रॉम होम के तहत काम कर रहे हैं। आगे भी करें जब तक वायरस को लेकर हालात ठीक नहीं हो जाते। पिछले कुछ वर्षों में एक साथ एक स्थान पर कई कंपनियों के काम करने का चलन बढ़ा है।

लेकिन इस हालात के बीच कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा तभी लोग खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। अगर ऐसा संभव हो पाता है तभी को-वर्किग स्थानों की मांग आने वाले समय में भी बढ़ेगी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद कंपनियों का पूरा ध्यान बिजनेस को आगे बढ़ाने के साथ खर्च में कटौती पर होगा लेकिन काम करने के स्थान को लेकर वे हर हाल में सतर्कता बरतेंगी।  

आने वाले समय में बुरा दौर

को-वर्किंग क्षेत्र में आने वाले समय में बुरा दौर आ सकता है लेकिन इस क्षेत्र में सबसे तेजी के साथ सुधार होगा। महामारी का प्रकोप जैसे-जैसे कम होगा। को-वर्किंग दफ्तर सस्ते होते हैं और पूरी आजादी होती है कि आप कितने समय के लिए उस स्थान को ले रहे हैं। कुछ शहरों में महीने, दिन  या घंटों के लिए भी काम करने का स्थान मिलता है। पुणे और गुरुग्राम में इसका चलन अधिक है।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अहम

आईटी कंपनी इनफोसिस के पूर्व प्रमुख वित्त अधिकारी टीपी मोहनदास पाई का कहना है कि ऐसी कंपनियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन का ध्यान रखना अहम होगा। अगर वे ऐसा कर पाती हैं तो उनकी मांग बढ़ेगी। हालांकि ऐसे स्थानों पर भीड़ अधिक होती है जिसके कारण परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में कंपनियों के साथ वहां काम करने वाले लोगों को भी इसपर ध्यान देना होगा।

करने होंगे कई तरह के बदलाव  

कोरोना के कारण छह फुट की दूरी का पालन करना होगा। नए तरह के एसी लगाने पर विचार करना होगा जिससे पूरी बिल्डिंग में हवा की गुणवत्ता मानक के अनुसार बनी रहे और हवा से फैलने वाली बीमारियां न फैल सकें। एक से दूसरे ऑफिस में संक्रमण का फैलाव न हो इसके लिए भी जरूरी बंदोबस्त करना होगा। 

लॉकडाउन के कारण लगभग सबकुछ बंद है। हालांकि देश में कोरोना के चलते साथ काम करने की संस्कृति खत्म नहीं होगी। ये थोड़े समय के लिए होगा, हालांकि उचित स्थान की मांग बढ़ेगी लेकिन इसके कुछ अहम कारण होंगे। को-वर्किंग स्पेस प्रोवाइडर (एक स्थान पर चलने वाली कई कंपनियां) को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। इंटीरियर और डिजाइनिंग पर ध्यान देना होगा जिससे आने वाले समय में भी उनकी मांग बनी रहे।

को-वर्किंग कंपनी 315 वर्क एवेन्यू के चेयरमैन मानस मलहोत्रा का कहना है कि कई कंपनियों में लोग वर्क फ्रॉम होम के तहत काम कर रहे हैं। आगे भी करें जब तक वायरस को लेकर हालात ठीक नहीं हो जाते। पिछले कुछ वर्षों में एक साथ एक स्थान पर कई कंपनियों के काम करने का चलन बढ़ा है।

लेकिन इस हालात के बीच कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा तभी लोग खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। अगर ऐसा संभव हो पाता है तभी को-वर्किग स्थानों की मांग आने वाले समय में भी बढ़ेगी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद कंपनियों का पूरा ध्यान बिजनेस को आगे बढ़ाने के साथ खर्च में कटौती पर होगा लेकिन काम करने के स्थान को लेकर वे हर हाल में सतर्कता बरतेंगी।  

आने वाले समय में बुरा दौर

को-वर्किंग क्षेत्र में आने वाले समय में बुरा दौर आ सकता है लेकिन इस क्षेत्र में सबसे तेजी के साथ सुधार होगा। महामारी का प्रकोप जैसे-जैसे कम होगा। को-वर्किंग दफ्तर सस्ते होते हैं और पूरी आजादी होती है कि आप कितने समय के लिए उस स्थान को ले रहे हैं। कुछ शहरों में महीने, दिन  या घंटों के लिए भी काम करने का स्थान मिलता है। पुणे और गुरुग्राम में इसका चलन अधिक है।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अहम

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