जब भी आप स्मार्टफोन खरीदने जाते होंगे तो बहुत सारी चीजों पर ध्यान देते होंगे। जैसे बैटरी बैकअप कितना है, कैमरा कितने मेगापिक्सल का है। इसके अलावा दो और चीजें हैं, जिसपर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है और वो हैं रैम (RAM) और इंटरनल मेमोरी। आज के समय में लोग ज्यादा से ज्यादा रैम और मेमोरी वाले मोबाइल फोन खरीदना पसंद कर रहे हैं और वो इसलिए कि वे सभी जरूरी डाटा, अधिक से अधिक तस्वीरें और वीडियोज को फोन में ही रखना चाहते हैं। आजकल वर्चुअल रैम वाले स्मार्टफोन भी बाजार में आने लगे हैं और काफी पॉपुलर भी हो रहे हैं। अब सवाल उठता है कि ये वर्चुअल रैम क्या होता है? रैम का काम तो आप जानते ही होंगे कि यह फोन की परफॉरमेंस और स्पीड बढ़ाता है, लेकिन वर्चुअल रैम का क्या? आइए जानते हैं इसके इस्तेमाल और फायदों के बारे में…
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काम की बात: स्मार्टफोन में वर्चुअल रैम का क्या मतलब होता है? जानिए इसके इस्तेमाल और फायदे
दरअसल, वर्चुअल रैम इंटरनल स्टोरेज के एक हिस्से को रैम के काम के लिए अलग करके रखता है यानी रिजर्व करके रखता है। जब भी आपको अपने फोन में मौजूद रैम के अतिरिक्त और अधिक रैम की जरूरत पड़ती है तो उस समय आपका फोन वर्चुअल रैम यानी रिजर्व रैम का उपयोग करता है।
सबसे खास बात ये है कि वर्चुअल रैम मैनुअल नहीं होते हैं, यानी आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती है। जब भी आप एक साथ कई सारे एप्स पर काम करेंगे तो जरूरत पड़ने पर आपका फोन खुद-ब-खुद वर्चुअल रैम का इस्तेमाल करना शुरू कर देगा।
हालांकि जानकार कहते हैं कि वर्चुअल रैम फिजिकल रैम जैसा परफॉरमेंस नहीं दे पाते हैं। इनकी स्पीड थोड़ी कम होती है। फिजिकल रैम वाले स्मार्टफोन की परफॉरमेंस ज्यादा अच्छी रहती है। हां, लेकिन इतना तो जरूर है कि जरूरत पड़ने पर वर्चुअल रैम बहुत काम आते हैं। तो आप जब भी अपने लिए स्मार्टफोन खरीदने जाएं तो एक बार अच्छी तरह सोच लें कि आपके लिए वर्चुअल रैम वाला मोबाइल फोन अच्छा होगा या फिजिकल रैम वाला।