Desh
काबुल से वापसी: उम्मीद ही नहीं थी कि जिंदा बचेंगे, पति का हो गया था एयरपोर्ट पर अपहरण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Fri, 27 Aug 2021 10:57 AM IST
सार
गुजरात के रहने वाले शिवांग दवे पिछले 15 साल से काबुल में थे। तालिबान का कब्जा होने के बाद उनके सामने कत्लेआम हो रहा था। दंपति का कहना है कि हमें उम्मीद नहीं थी कि हम जिंदा लौट पाएंगे।
तालिबान के डर से अफगान नागरिकों में लगी है देश छोड़ने की होड़।
– फोटो : US Air Force
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
वह आगे कहते हैं कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद हमें यह नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है। हमारे पास पैसे नहीं थे। न कोई नौकरी बची थी, ऐसे में सिर्फ एक ही डर था कि आने वाला पल हमारे लिए क्या लेकर आएगा।
गुजरात के प्रसिद्ध कवि के पोते हैं शिवांग
शिवांग, गुजरात के प्रसिद्ध कवि हरिंद्र दवे के बड़े बेटे रोहितभाई दवे के पुत्र हैं। रविवार को भारत पहुंचने के बाद भावनगर स्थिति अपने घर पहुंच चुके हैं। वह बताते हैं कि हमारी आंखो के सामने बहुत कुछ हो रहा था। तालिबान के आने के बाद सड़कें बंद कर दी गई थीं, कई जगह पर जाम लग चुका था। ऐसे में हमें नहीं पता था कि हम काबुल एयरपोर्ट तक कैसे पहुंचेंगे।
काबुल एयरपोर्ट पहुंचने पर पति का हुआ अपहरण
शिवांग की पत्नी बताती हैं कि हम जैसे-तैसे काबुल पहुंचे थे कि मेरे पति को तालिबानियों ने पकड़ लिया। मैं बहुत डर गई थी। उम्मीद ही नहीं बची थी कि हम जिंदा बचेंगे और भारत वापस जा पाएंगे।
भारत पहुंचने के बाद ली राहत की सांस
शिवांग बताते हैं कि उनसे 40-50 मीटर की दूरी पर तालिबानी लोगों को मार रहे थे। हमने भी उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन सौभाग्यवश भारतीय और अमेरिकन दूतावासों ने हमारी मदद की और हमें बाहर निकाला। जबतक विमान भारत में उतर नहीं गया तबतक हमारी सांसे अटकी ही रहीं।
अब तक 800 लोग पहुंचे भारत
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है। जानकारी के मुताबिक अबतक अफगानिस्तान से 800 लोगों को सुरक्षित भारत लाया गया है।
विस्तार
वह आगे कहते हैं कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद हमें यह नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है। हमारे पास पैसे नहीं थे। न कोई नौकरी बची थी, ऐसे में सिर्फ एक ही डर था कि आने वाला पल हमारे लिए क्या लेकर आएगा।
गुजरात के प्रसिद्ध कवि के पोते हैं शिवांग
शिवांग, गुजरात के प्रसिद्ध कवि हरिंद्र दवे के बड़े बेटे रोहितभाई दवे के पुत्र हैं। रविवार को भारत पहुंचने के बाद भावनगर स्थिति अपने घर पहुंच चुके हैं। वह बताते हैं कि हमारी आंखो के सामने बहुत कुछ हो रहा था। तालिबान के आने के बाद सड़कें बंद कर दी गई थीं, कई जगह पर जाम लग चुका था। ऐसे में हमें नहीं पता था कि हम काबुल एयरपोर्ट तक कैसे पहुंचेंगे।
काबुल एयरपोर्ट पहुंचने पर पति का हुआ अपहरण
शिवांग की पत्नी बताती हैं कि हम जैसे-तैसे काबुल पहुंचे थे कि मेरे पति को तालिबानियों ने पकड़ लिया। मैं बहुत डर गई थी। उम्मीद ही नहीं बची थी कि हम जिंदा बचेंगे और भारत वापस जा पाएंगे।
भारत पहुंचने के बाद ली राहत की सांस
शिवांग बताते हैं कि उनसे 40-50 मीटर की दूरी पर तालिबानी लोगों को मार रहे थे। हमने भी उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन सौभाग्यवश भारतीय और अमेरिकन दूतावासों ने हमारी मदद की और हमें बाहर निकाला। जबतक विमान भारत में उतर नहीं गया तबतक हमारी सांसे अटकी ही रहीं।
अब तक 800 लोग पहुंचे भारत
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है। जानकारी के मुताबिक अबतक अफगानिस्तान से 800 लोगों को सुरक्षित भारत लाया गया है।