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एसबीआई रिपोर्ट में दावा: 9.5 फीसदी से ऊपर रहेगी देश की आर्थिक वृद्धि दर, तेज रहेगी अर्थव्यवस्था की रफ्तार

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सार

एसबीआई ने रिपोर्ट में दावा किया कि आरबीआई के अनुमान से अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज रहेगी और दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 8.4 फीसदी रही।

भारतीय अर्थव्यवस्था
– फोटो : पीटीआई

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एसबीआई ने बुधवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर आरबीआई के अनुमान से ज्यादा होगी। इस दौरान आर्थिक वृद्धि दर 9.5 फीसदी से ऊपर रहेगी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने मंगलवार को जारी आंकड़ों में बताया कि 2021-22 की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.4 फीसदी रही, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में यह 20.1 फीसदी रही थी।

एसबीआई ने अपनी शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा, हमारा मानना है कि जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर अब आरबीआई के 9.5 फीसदी के अनुमान से ज्यादा होगी। ऐसा तीसरी और चौथी तिमाही के लिए केंद्रीय बैंक का अनुमान बिल्कुल सही मानते हुए है।

जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 10 फीसदी के करीब हो सकती है। इससे पहले आरबीआई ने अक्तूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए वास्तविक वृद्धि दर के अपने अनुमान को 9.5 फीसदी पर कायम रखा था। साथ ही वृद्धि दर दूसरी तिमाही में 7.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।

जीडीपी अब भी 3.2 लाख करोड़ पीछे
एसबीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अप्रैल-मई में पूर्ण लॉकडाउन और जून-सितंबर में आंशिक पाबंदियों की वजह से 2020-21 की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी को सालाना आधार पर 11.4 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी थी। इसके बाद 2021-22 में अर्थव्यवस्था सुधार की ओर बढ़ी, जिससे चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 8.2 लाख करोड़ रुपये की वास्तविक भरपाई हुई। इस तरह, जीडीपी के कोरोना पूर्व स्तर पर पहुंचने के लिए अब भी 3.2 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है।  

राज्यों के कर्ज पर आरबीआई ने जताई चिंता
आरबीआई ने राज्यों के बढ़ते कर्ज पर चिंता जताते हुए कहा कि जीडीपी के मुकाबले कर्ज का अनुपात मार्च, 2020 तक 31 फीसदी रहने का अनुमान है। यह 2022-23 तक हासिल किए जाने वाले 20 फीसदी के लक्ष्य से चिंताजनक रूप से अधिक है।

केंद्रीय बैंक अपने सालाना प्रकाशन में कहा कि महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के कारण राज्य सरकारों को कर्ज संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने की जरूरत है।

15वें वित्त आयोग ने आशंका जताई है कि 2022-23 में राज्यों का कर्ज 33.3 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच जाएगा। धीरे-धीरे इसमें कमी आएगी और 2025-26 तक यह 32.6 फीसदी पर आ जाएगा।

विस्तार

एसबीआई ने बुधवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर आरबीआई के अनुमान से ज्यादा होगी। इस दौरान आर्थिक वृद्धि दर 9.5 फीसदी से ऊपर रहेगी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने मंगलवार को जारी आंकड़ों में बताया कि 2021-22 की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.4 फीसदी रही, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में यह 20.1 फीसदी रही थी।

एसबीआई ने अपनी शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा, हमारा मानना है कि जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर अब आरबीआई के 9.5 फीसदी के अनुमान से ज्यादा होगी। ऐसा तीसरी और चौथी तिमाही के लिए केंद्रीय बैंक का अनुमान बिल्कुल सही मानते हुए है।

जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 10 फीसदी के करीब हो सकती है। इससे पहले आरबीआई ने अक्तूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए वास्तविक वृद्धि दर के अपने अनुमान को 9.5 फीसदी पर कायम रखा था। साथ ही वृद्धि दर दूसरी तिमाही में 7.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।

जीडीपी अब भी 3.2 लाख करोड़ पीछे

एसबीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अप्रैल-मई में पूर्ण लॉकडाउन और जून-सितंबर में आंशिक पाबंदियों की वजह से 2020-21 की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी को सालाना आधार पर 11.4 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी थी। इसके बाद 2021-22 में अर्थव्यवस्था सुधार की ओर बढ़ी, जिससे चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 8.2 लाख करोड़ रुपये की वास्तविक भरपाई हुई। इस तरह, जीडीपी के कोरोना पूर्व स्तर पर पहुंचने के लिए अब भी 3.2 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है।  

राज्यों के कर्ज पर आरबीआई ने जताई चिंता

आरबीआई ने राज्यों के बढ़ते कर्ज पर चिंता जताते हुए कहा कि जीडीपी के मुकाबले कर्ज का अनुपात मार्च, 2020 तक 31 फीसदी रहने का अनुमान है। यह 2022-23 तक हासिल किए जाने वाले 20 फीसदी के लक्ष्य से चिंताजनक रूप से अधिक है।

केंद्रीय बैंक अपने सालाना प्रकाशन में कहा कि महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के कारण राज्य सरकारों को कर्ज संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने की जरूरत है।

15वें वित्त आयोग ने आशंका जताई है कि 2022-23 में राज्यों का कर्ज 33.3 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच जाएगा। धीरे-धीरे इसमें कमी आएगी और 2025-26 तक यह 32.6 फीसदी पर आ जाएगा।

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