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आपके लिए: एक जनवरी से डिलीवरी के लिए टैक्स वसूलेंगे जोमैटो-स्विगी, जानिए इससे ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?

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बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ‌डिंपल अलावाधी
Updated Sat, 18 Sep 2021 10:39 AM IST

सार

जीएसटी परिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि जोमैटो और स्विगी जैसी फूड डिलीवरी एप एक जनवरी 2022 से पांच फीसदी जीएसटी वसूलेंगी। आइए जानते है इससे ग्राहकों के लिए ऑनलाइन खाना मंगाना महंगा होगा या नहीं।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में 17 सितंबर 2021 को हुई जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इन्हीं में से एक फैसला था ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर। जीएसटी परिषद ने फैसला किया है कि स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म कर प्रशासन में आसानी के लिए रेस्तरां के बजाय ग्राहकों से कर एकत्र किया जाएगा। यानी अब आपके लिए जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी एप से खीने-पीने की चीजें मंगाना महंगा होगा। 

किस तारीख से कितना लगेगा टैक्स?
जीएसटी बैठक में जोमैटो, स्विगी और अन्य फूड डिलीवरी एप की सेवाओं पर एक जनवरी 2022 से पांच फीसदी जीएसटी वसूलने का निर्णय किया गया है। वस्तु एवं सेवा कर परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला ने कहा कि, ‘स्विगी जैसे फूड डिलीवरी ऑपरेटर, जो रेस्तरां से ऑर्डर लेते हैं और ग्राहकों को डिलीवर करते हैं, वे अब जिस जगह पर खाना डिलीवर करेंगे, वहां से टैक्स वसूलेंगे।’ 

ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा असर 
राजस्व सचिन तरुण बजाज ने कहा कि इससे ग्राहकों पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनसे अतिरिक्त टैक्स नहीं वसूला जाएगा और न ही किसी नए टैक्स की घोषणा की गई है। पहले कर रेस्तरां द्वारा देय था, अब रेस्तरां के बजाय, कर एग्रीगेटर द्वारा देय होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि फूड डिलिवरी ऐप स्वैगी आदि से खाना मंगाने पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की कोई बात नहीं है। ये ऐप वही टैक्स वसूलेंगे जो रेस्टोरेंट कारोबार पर लगता है। उन्होंने बताया कि इस सेवा से मिलने वाले टैक्स सही तरीके से सरकार को मिले, इसके प्रावधान किए गए हैं।

पैनल ने दिया था सुझाव 
2019-20 और 2020-21 में दो हजार करोड़ रुपये के जीएसटी घाटे का अनुमान लगाते हुए, फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की थी कि फूड एग्रीगेटर्स को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के रूप में वर्गीकृत किया जाए और संबंधित रेस्तरां की ओर से जीएसटी का भुगतान किया जाए। कई रेस्तरां जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ पंजीकृत भी नहीं हैं। रेट फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया था कि यह बदलाव एक जनवरी 2022 से प्रभावी हो सकता है।

विस्तार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में 17 सितंबर 2021 को हुई जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इन्हीं में से एक फैसला था ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर। जीएसटी परिषद ने फैसला किया है कि स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म कर प्रशासन में आसानी के लिए रेस्तरां के बजाय ग्राहकों से कर एकत्र किया जाएगा। यानी अब आपके लिए जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी एप से खीने-पीने की चीजें मंगाना महंगा होगा। 

किस तारीख से कितना लगेगा टैक्स?

जीएसटी बैठक में जोमैटो, स्विगी और अन्य फूड डिलीवरी एप की सेवाओं पर एक जनवरी 2022 से पांच फीसदी जीएसटी वसूलने का निर्णय किया गया है। वस्तु एवं सेवा कर परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला ने कहा कि, ‘स्विगी जैसे फूड डिलीवरी ऑपरेटर, जो रेस्तरां से ऑर्डर लेते हैं और ग्राहकों को डिलीवर करते हैं, वे अब जिस जगह पर खाना डिलीवर करेंगे, वहां से टैक्स वसूलेंगे।’ 

ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा असर 

राजस्व सचिन तरुण बजाज ने कहा कि इससे ग्राहकों पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनसे अतिरिक्त टैक्स नहीं वसूला जाएगा और न ही किसी नए टैक्स की घोषणा की गई है। पहले कर रेस्तरां द्वारा देय था, अब रेस्तरां के बजाय, कर एग्रीगेटर द्वारा देय होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि फूड डिलिवरी ऐप स्वैगी आदि से खाना मंगाने पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की कोई बात नहीं है। ये ऐप वही टैक्स वसूलेंगे जो रेस्टोरेंट कारोबार पर लगता है। उन्होंने बताया कि इस सेवा से मिलने वाले टैक्स सही तरीके से सरकार को मिले, इसके प्रावधान किए गए हैं।

पैनल ने दिया था सुझाव 

2019-20 और 2020-21 में दो हजार करोड़ रुपये के जीएसटी घाटे का अनुमान लगाते हुए, फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की थी कि फूड एग्रीगेटर्स को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के रूप में वर्गीकृत किया जाए और संबंधित रेस्तरां की ओर से जीएसटी का भुगतान किया जाए। कई रेस्तरां जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ पंजीकृत भी नहीं हैं। रेट फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया था कि यह बदलाव एक जनवरी 2022 से प्रभावी हो सकता है।

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