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आईएचएस मार्किट का दावा : सेवा क्षेत्र तीसरे महीने भी सुस्त, जुलाई में 45.4 रहा पीएमआई
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Thu, 05 Aug 2021 05:55 AM IST
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आईएचएस मार्किट का दावा, गिरावट के बावजूद उद्योगों मेें पहली बार जगी वृद्धि की उम्मीद
सर्वे के अनुसार, अप्रैल में सेवा क्षेत्र का पीएमआई 54 था। दूसरी लहर के बाद मई में यह गिरकर 46.4 और जून में 41.2 पहुंच गया। जुलाई में थोड़ा सुधार आया, लेकिन सूचकांक अभी 50 से नीचे है। यह क्षेत्र में गिरावट को दर्शाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है।
लिहाजा आर्थिक सुधारों की गति बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन जरूरी है। आईएचएस मार्किट की सह-निदेशक (आर्थिक) पॉलियाना डी लीमा ने कहा, मांग में कमी, नए ऑर्डर में गिरावट और रोजगार घटने से सेवा क्षेत्र लगातार दबाव में है। हालांकि, कंपनियों को इस साल पहली बार कारोबार में वृद्धि की उम्मीद जगी है।
अगले 12 महीने बेहतर होने की उम्मीद
लीमा ने कहा, कंपनियों को पूरी उम्मीद है कि तेज टीकाकरण और सावधानी से महामारी पर काफी हद तक काबू पा लिया जाएगा। अगले 12 महीने कारोबार और सेवा क्षेत्र के विस्तार के लिए बेहतर होंगे। जुलाई तक रोजगार के मौके कम रहे और लगातार आठवें महीने गिरावट दिखी। इस दौरान निजी क्षेत्र की गतिविधियों में भी सुस्ती रही, जिससे घरेलू और वैश्विक बाजार में श्रम की मांग में कमी आई।
महंगाई और वित्तीय संकट बरकरार
लीमा के अनुसार, सेवा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के सामने असल समस्या महंगाई और वित्तीय दबाव है। ईंधन, चिकित्सा उपकरण और कच्चे माल के दाम बढ़ने से कंपनियों की उत्पादन लागत में इजाफा हुआ है। अगर उनकी कमाई पर असर पड़ता है, तो नए रोजगार में भी कमी आएगी। विनिर्माण क्षेत्र में तेजी है, लेकिन सेवा क्षेत्र की सुस्ती की वजह से जुलाई में संयुक्त पीएमआई 49.2 रहा। यह जून के 43.1 से ज्यादा है, लेकिन 50 से नीचे रहने के कारण गिरावट के दायरे में रहा।
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आईएचएस मार्किट का दावा, गिरावट के बावजूद उद्योगों मेें पहली बार जगी वृद्धि की उम्मीद
सर्वे के अनुसार, अप्रैल में सेवा क्षेत्र का पीएमआई 54 था। दूसरी लहर के बाद मई में यह गिरकर 46.4 और जून में 41.2 पहुंच गया। जुलाई में थोड़ा सुधार आया, लेकिन सूचकांक अभी 50 से नीचे है। यह क्षेत्र में गिरावट को दर्शाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है।
लिहाजा आर्थिक सुधारों की गति बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन जरूरी है। आईएचएस मार्किट की सह-निदेशक (आर्थिक) पॉलियाना डी लीमा ने कहा, मांग में कमी, नए ऑर्डर में गिरावट और रोजगार घटने से सेवा क्षेत्र लगातार दबाव में है। हालांकि, कंपनियों को इस साल पहली बार कारोबार में वृद्धि की उम्मीद जगी है।
अगले 12 महीने बेहतर होने की उम्मीद
लीमा ने कहा, कंपनियों को पूरी उम्मीद है कि तेज टीकाकरण और सावधानी से महामारी पर काफी हद तक काबू पा लिया जाएगा। अगले 12 महीने कारोबार और सेवा क्षेत्र के विस्तार के लिए बेहतर होंगे। जुलाई तक रोजगार के मौके कम रहे और लगातार आठवें महीने गिरावट दिखी। इस दौरान निजी क्षेत्र की गतिविधियों में भी सुस्ती रही, जिससे घरेलू और वैश्विक बाजार में श्रम की मांग में कमी आई।
महंगाई और वित्तीय संकट बरकरार
लीमा के अनुसार, सेवा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के सामने असल समस्या महंगाई और वित्तीय दबाव है। ईंधन, चिकित्सा उपकरण और कच्चे माल के दाम बढ़ने से कंपनियों की उत्पादन लागत में इजाफा हुआ है। अगर उनकी कमाई पर असर पड़ता है, तो नए रोजगार में भी कमी आएगी। विनिर्माण क्षेत्र में तेजी है, लेकिन सेवा क्षेत्र की सुस्ती की वजह से जुलाई में संयुक्त पीएमआई 49.2 रहा। यह जून के 43.1 से ज्यादा है, लेकिन 50 से नीचे रहने के कारण गिरावट के दायरे में रहा।