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अमेरिका: काबुल धमाकों ने सीआईए की योजना पर फेरा पानी, फिर से आतंकरोधी मिशन का किया रुख 

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अफगानिस्तान से वापसी के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए आतंकरोधी अभियानों के बजाय रूस-चीन जैसे देशों के साइबर हमलों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना में थी। पर काबुल धमाकों ने इस पर पानी फेर दिया है।

खुफिया अधिकारियों के मुताबिक, एजेंसी के लंबे समय तक जटिल आतंकवादी मिशनों का रुख करने के आसार बढ़ गए हैं। उनका कहना है अधिकारी अफगानिस्तान से उभरने वाले खतरों से निपटने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसके लिए मध्य एशिया में नए बेस बनाने के लिए मंथन हो रहा है।

यह सोचा जा रहा है कि सैन्य और कूटनीतिक मौजूदगी के बिना गुप्तचर अधिकारी किस तरह संपर्क सूत्रों का तंत्र चला सकते हैं। यह योजना भी है कि अफगानिस्तान व आसपास के क्षेत्रों में कहां से ड्रोन स्ट्राइक हो सकती है।

एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी का कहना है सीआईए का अफगानिस्तान में बिना सेना के आगे कोई भी मिशन बहुत छोटा होगा। जिसमें वांटेड आतंकी गुटों का पता लगाकर हमले किए जाएंगे। यह हमले अफगानिस्तान के बाहर से भी किए जा सकते हैं।

जमीनी नेटवर्क हुआ कमजोर 
हालांकि, सीआईए के लिए ऐसे मिशन काफी चुनौतीपूर्ण होंगे। क्योंकि अमेरिकी वापसी से उसका जमीनी नेटवर्क काफी कमजोर हो गया है। वहीं पाकिस्तान जैसे है अविश्वसनीय सहयोगी से भी निपटना होगा। जिसके दोहरे रवैये से जूझते हुए अमेरिकी अधिकारी हताश हो गए हैं।

विस्तार

अफगानिस्तान से वापसी के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए आतंकरोधी अभियानों के बजाय रूस-चीन जैसे देशों के साइबर हमलों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना में थी। पर काबुल धमाकों ने इस पर पानी फेर दिया है।

खुफिया अधिकारियों के मुताबिक, एजेंसी के लंबे समय तक जटिल आतंकवादी मिशनों का रुख करने के आसार बढ़ गए हैं। उनका कहना है अधिकारी अफगानिस्तान से उभरने वाले खतरों से निपटने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसके लिए मध्य एशिया में नए बेस बनाने के लिए मंथन हो रहा है।

यह सोचा जा रहा है कि सैन्य और कूटनीतिक मौजूदगी के बिना गुप्तचर अधिकारी किस तरह संपर्क सूत्रों का तंत्र चला सकते हैं। यह योजना भी है कि अफगानिस्तान व आसपास के क्षेत्रों में कहां से ड्रोन स्ट्राइक हो सकती है।

एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी का कहना है सीआईए का अफगानिस्तान में बिना सेना के आगे कोई भी मिशन बहुत छोटा होगा। जिसमें वांटेड आतंकी गुटों का पता लगाकर हमले किए जाएंगे। यह हमले अफगानिस्तान के बाहर से भी किए जा सकते हैं।

जमीनी नेटवर्क हुआ कमजोर 

हालांकि, सीआईए के लिए ऐसे मिशन काफी चुनौतीपूर्ण होंगे। क्योंकि अमेरिकी वापसी से उसका जमीनी नेटवर्क काफी कमजोर हो गया है। वहीं पाकिस्तान जैसे है अविश्वसनीय सहयोगी से भी निपटना होगा। जिसके दोहरे रवैये से जूझते हुए अमेरिकी अधिकारी हताश हो गए हैं।

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