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अमेरिकन इंस्टीट्यूट के खगोलविदों ने किया खुलासा: चुंबकीय क्षेत्र के टूटने और जुड़ने से जुड़ा है ब्लैकहोल से निकली लपटों का रहस्य

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सार

अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के फ्लैटिरॉन इंस्टीट्यूट के डॉ. बार्ट रिपेर्दा और उनकी टीम ने सुपरकंप्यूटिंग क्लस्टर का उपयोग कर ब्लैकहोल के इवेंट होराइजन (वह रेखा जहां पृथ्वी और आकाश मिलते प्रतीत होते हैं।) की विस्तृत तस्वीर बनाई।

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खगोलविदों ने ‘सुपरकंप्यूटर सिमुलेशन’ के जरिये ब्लैकहोल से निकलने वाली लपटों का रहस्य जानने में सफलता पाई है। ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है कि ब्लैकहोल से निकलने वाली तेज लपटें एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र के बनने और टूटने की गतिविधि है। हालांकि, इनसे संबंधित कई बातें अभी तक पता नहीं चल पाई हैं, जिसमें विशालकाय ब्लैकहोल की उत्पत्ति का रहस्य भी शामिल है।

अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के फ्लैटिरॉन इंस्टीट्यूट के डॉ. बार्ट रिपेर्दा और उनकी टीम ने सुपरकंप्यूटिंग क्लस्टर का उपयोग कर ब्लैकहोल के इवेंट होराइजन (वह रेखा जहां पृथ्वी और आकाश मिलते प्रतीत होते हैं।) की विस्तृत तस्वीर बनाई। उन्होंने कहा, इस तरह की भौतिकी में चुंबकीय क्षेत्र की अप्रत्याशित रूप से बहुत बड़ी भूमिका होती है। लेकिन उससे भी ज्यादा संवेदनशील भूमिका ज्वालाओं के विकास में होती है। ऐसी ज्वालाएं तब बनती हैं, जब चुंबकीय क्षेत्र टूटता और फिर से जुड़ता है।

इस दौरान अति आवेशित फोटोन की प्रक्रियाओं में चुंबकीय ऊर्जा निकलती है और कुछ फोटोन ब्लैकहोल के क्षितिज में चले जाते हैं, जबकि दूसरे बाहरी अंतरिक्ष में ज्वाला के रूप में निकल जाते हैं। हालांकि, सिमुलेशन में दर्शाया गया है कि चुंबकीय क्षेत्र के संबंध के टूटने और बनने की प्रक्रिया पिछले विभेदनों में दिखाई नहीं देती थी। पहले संचयन चक्र में जमा पदार्थ ब्लैकहोल के ध्रुवों की ओर जाता है। इसके चुंबकीय क्षेत्र की रेखाओं पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है जो पदार्थ के साथ चलती हैं। इस दौरान कुछ  चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं टूट जाती हैं और अन्य क्षेत्र की रेखाओं से जुड़ जाती है। कभी-कभी पदार्थ या तो ब्लैकहोल के अंदर ही गिर जाता है या फिर बाहरी क्षेत्र में गिर जाता है। यहीं पर लपटें उत्पन्न होती हैं।

क्या है कंप्यूटर सिमुलेशन?
कंप्यूटर सिमुलेशन एक कंप्यूटर पर किए गए गणितीय मॉडलिंग की ऐसी प्रक्रिया जिसे वास्तविक दुनिया या भौतिक प्रणाली के व्यवहार या परिणाम की भविष्यवाणी करने के लिए बनाया गया है। इसकी मदद से गणितीय मॉडलों की विश्वसनीयता का निर्धारण उनके परिणामों की वास्तविक दुनिया के उन परिणामों से तुलना करके किया जा सकता है, जिनका वे अनुमान लगाते हैं। कंप्यूटर सिमुलेशन भौतिकी, खगोल भौतिकी, जलवायु विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और निर्माण में कई प्राकृतिक प्रणालियों के गणितीय मॉडलिंग के लिए एक उपयोगी उपकरण है।

क्यों अहम हैं ब्लैकहोल?
ब्लैकहोल अविश्वसनीय रूप से सघन होते हैं, गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत है कि प्रकाश सहित, उनसे कुछ भी बच नहीं सकता है। यह बड़े सितारों के खत्म होने और उनके कोर के ढह जाने के बाद बनते हैं। खगोलविदों का मानना है कि इसके अध्ययन से सितारों के खत्म होने के तरीकों के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है। ब्लैकहोल के द्रव्यमान को मापकर सितारों के अंतिम क्षणों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा सकती है। 

फरवरी 2021 में भारतीय खगोलविदों ने किया था दावा 
फरवरी, 2021 में भारतीय खगोलविदों ने एक विशाल ब्लैकहोल ‘बीएल लैकेर्टे’ से अत्यधिक रोशनी दिखाई देने का दावा किया था। इस तरह का विश्लेषण ब्रह्मांड की उत्पत्ति के विभिन्न चरणों के रहस्यों को सुलझाने और विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मदद कर सकता है। बीएल लैकेर्टे एक करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह सर्वाधिक प्रमुख 50 ब्लैकहोल में शामिल है। यह उन तीन-चार ब्लैक होल में शामिल है, जिसके बारे में खगोलविदों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह, ‘होल अर्थ ब्लेजर टेलीस्कोप’ (डब्ल्यूईबीटी) ने आग की लपटों से निकलते प्रकाश का पूर्वानुमान लगाया था। 

विस्तार

खगोलविदों ने ‘सुपरकंप्यूटर सिमुलेशन’ के जरिये ब्लैकहोल से निकलने वाली लपटों का रहस्य जानने में सफलता पाई है। ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है कि ब्लैकहोल से निकलने वाली तेज लपटें एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र के बनने और टूटने की गतिविधि है। हालांकि, इनसे संबंधित कई बातें अभी तक पता नहीं चल पाई हैं, जिसमें विशालकाय ब्लैकहोल की उत्पत्ति का रहस्य भी शामिल है।

अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के फ्लैटिरॉन इंस्टीट्यूट के डॉ. बार्ट रिपेर्दा और उनकी टीम ने सुपरकंप्यूटिंग क्लस्टर का उपयोग कर ब्लैकहोल के इवेंट होराइजन (वह रेखा जहां पृथ्वी और आकाश मिलते प्रतीत होते हैं।) की विस्तृत तस्वीर बनाई। उन्होंने कहा, इस तरह की भौतिकी में चुंबकीय क्षेत्र की अप्रत्याशित रूप से बहुत बड़ी भूमिका होती है। लेकिन उससे भी ज्यादा संवेदनशील भूमिका ज्वालाओं के विकास में होती है। ऐसी ज्वालाएं तब बनती हैं, जब चुंबकीय क्षेत्र टूटता और फिर से जुड़ता है।

इस दौरान अति आवेशित फोटोन की प्रक्रियाओं में चुंबकीय ऊर्जा निकलती है और कुछ फोटोन ब्लैकहोल के क्षितिज में चले जाते हैं, जबकि दूसरे बाहरी अंतरिक्ष में ज्वाला के रूप में निकल जाते हैं। हालांकि, सिमुलेशन में दर्शाया गया है कि चुंबकीय क्षेत्र के संबंध के टूटने और बनने की प्रक्रिया पिछले विभेदनों में दिखाई नहीं देती थी। पहले संचयन चक्र में जमा पदार्थ ब्लैकहोल के ध्रुवों की ओर जाता है। इसके चुंबकीय क्षेत्र की रेखाओं पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है जो पदार्थ के साथ चलती हैं। इस दौरान कुछ  चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं टूट जाती हैं और अन्य क्षेत्र की रेखाओं से जुड़ जाती है। कभी-कभी पदार्थ या तो ब्लैकहोल के अंदर ही गिर जाता है या फिर बाहरी क्षेत्र में गिर जाता है। यहीं पर लपटें उत्पन्न होती हैं।

क्या है कंप्यूटर सिमुलेशन?

कंप्यूटर सिमुलेशन एक कंप्यूटर पर किए गए गणितीय मॉडलिंग की ऐसी प्रक्रिया जिसे वास्तविक दुनिया या भौतिक प्रणाली के व्यवहार या परिणाम की भविष्यवाणी करने के लिए बनाया गया है। इसकी मदद से गणितीय मॉडलों की विश्वसनीयता का निर्धारण उनके परिणामों की वास्तविक दुनिया के उन परिणामों से तुलना करके किया जा सकता है, जिनका वे अनुमान लगाते हैं। कंप्यूटर सिमुलेशन भौतिकी, खगोल भौतिकी, जलवायु विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और निर्माण में कई प्राकृतिक प्रणालियों के गणितीय मॉडलिंग के लिए एक उपयोगी उपकरण है।

क्यों अहम हैं ब्लैकहोल?

ब्लैकहोल अविश्वसनीय रूप से सघन होते हैं, गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत है कि प्रकाश सहित, उनसे कुछ भी बच नहीं सकता है। यह बड़े सितारों के खत्म होने और उनके कोर के ढह जाने के बाद बनते हैं। खगोलविदों का मानना है कि इसके अध्ययन से सितारों के खत्म होने के तरीकों के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है। ब्लैकहोल के द्रव्यमान को मापकर सितारों के अंतिम क्षणों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा सकती है। 

फरवरी 2021 में भारतीय खगोलविदों ने किया था दावा 

फरवरी, 2021 में भारतीय खगोलविदों ने एक विशाल ब्लैकहोल ‘बीएल लैकेर्टे’ से अत्यधिक रोशनी दिखाई देने का दावा किया था। इस तरह का विश्लेषण ब्रह्मांड की उत्पत्ति के विभिन्न चरणों के रहस्यों को सुलझाने और विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मदद कर सकता है। बीएल लैकेर्टे एक करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह सर्वाधिक प्रमुख 50 ब्लैकहोल में शामिल है। यह उन तीन-चार ब्लैक होल में शामिल है, जिसके बारे में खगोलविदों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह, ‘होल अर्थ ब्लेजर टेलीस्कोप’ (डब्ल्यूईबीटी) ने आग की लपटों से निकलते प्रकाश का पूर्वानुमान लगाया था। 

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