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अफगानिस्तान: अफगान सरकार ने दिया सत्ता में भागीदारी का न्योता, तालिबान ने ठुकराया
एजेंसी, काबुल
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 13 Aug 2021 03:02 AM IST
अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी
– फोटो : सोशल मीडिया
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अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार ने बृहस्पतिवार को तालिबान को उस समय शांति प्रस्ताव दिया, जब विद्रोही लड़ाकों ने काबुल से महज 150 किलोमीटर दूर सामरिक अहमियत वाली प्रांतीय राजधानी गजनी पर भी नियंत्रण कर लिया। अब देश के दो तिहाई हिस्से पर तालिबान का नियंत्रण हो चुका है। अल जजीरा टीवी चैनल ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि दोहा में गनी सरकार के प्रतिनिधि ने कतर को मध्यस्थ बनाकर हिंसा रोकने के लिए तालिबान को सत्ता में भागीदारी का प्रस्ताव दिया है। हालांकि अफगानिस्तान सरकार के प्रवक्ता से इस रिपोर्ट की पुष्टि करने के लिए संपर्क नहीं हो सका।
उधर, तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद से जब इस प्रस्ताव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही। साथ ही ऐसी सरकार के साथ सत्ता के बंटवारे को खारिज भी किया, जिसके अधिकार को तालिबान ने स्वीकार ही नहीं किया है। मुजाहिद ने कहा, हम ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम काबुल प्रशासन के साथ भागीदारी नहीं चाहते। हम इनके साथ न तो एक भी दिन रह सकते हैं और न ही काम कर सकते हैं।
विस्तार
अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार ने बृहस्पतिवार को तालिबान को उस समय शांति प्रस्ताव दिया, जब विद्रोही लड़ाकों ने काबुल से महज 150 किलोमीटर दूर सामरिक अहमियत वाली प्रांतीय राजधानी गजनी पर भी नियंत्रण कर लिया। अब देश के दो तिहाई हिस्से पर तालिबान का नियंत्रण हो चुका है। अल जजीरा टीवी चैनल ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि दोहा में गनी सरकार के प्रतिनिधि ने कतर को मध्यस्थ बनाकर हिंसा रोकने के लिए तालिबान को सत्ता में भागीदारी का प्रस्ताव दिया है। हालांकि अफगानिस्तान सरकार के प्रवक्ता से इस रिपोर्ट की पुष्टि करने के लिए संपर्क नहीं हो सका।
उधर, तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद से जब इस प्रस्ताव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही। साथ ही ऐसी सरकार के साथ सत्ता के बंटवारे को खारिज भी किया, जिसके अधिकार को तालिबान ने स्वीकार ही नहीं किया है। मुजाहिद ने कहा, हम ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम काबुल प्रशासन के साथ भागीदारी नहीं चाहते। हम इनके साथ न तो एक भी दिन रह सकते हैं और न ही काम कर सकते हैं।