अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 15 Jan 2022 03:27 AM IST
सार
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत में आरोप प्रथम दृष्टया धारा-498 ए के तहत किसी अपराध का खुलासा नहीं करते हैं।
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विस्तार
शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए की हैं। धारा-498ए एक महिला के साथ पति या पति के रिश्तेदारों की क्रूरता को संदर्भित करता है। इस मामले में एक महिला ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कराया था।
मामले में हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा अमेरिका लौटने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। वह अमेरिका में कार्यरत है। हाईकोर्ट ने देश छोड़ने के लिए व्यक्ति की प्रार्थना को खारिज कर दिया था क्योंकि वह धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी, आपराधिक विश्वासघात, चोट पहुंचाने आदि के मामले में अपने बड़े भाई और माता-पिता के साथ आरोपी है।
बहू ने गहनों का विवरण नहीं दिया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा शिकायतकर्ता (बहू) ने उन गहनों का कोई विवरण नहीं दिया है जो कथित तौर पर उसकी सास और देवर ने लिए थे। याचिकाकर्ता के पास कोई आभूषण पड़ा है या नहीं, इस बारे में भी कोई चर्चा नहीं हुई है। केवल एक सामान्य आरोप है कि सभी अभियुक्तों ने शिकायतकर्ता बहू के जीवन को बर्बाद कर दिया है।
याचिकाकर्ता को हिरासत में लेना गलत
शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यह समझ में नहीं आता कि याचिकाकर्ता को भारत में कैसे और क्यों हिरासत में लिया जाना चाहिए था।
हमारी राय में, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कुरुक्षेत्र ने अपीलकर्ता को न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने का निर्देश देने में गलती की। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत में आरोप प्रथम दृष्टया धारा-498 ए के तहत किसी अपराध का खुलासा नहीं करते हैं।