एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 19 Aug 2021 12:44 AM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
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अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने फेडरल रिजर्व और अन्य अमेरिकी बैंकों द्वारा प्रतिबंधित नकद भंडार को तालिबान के हाथों जाने से रोकने के लिए ये कदम उठाए हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अमेरिका में अफगान सरकार के सेंट्रल बैंक की कोई भी संपत्ति तालिबान के लिए उपलब्ध नहीं होगी और यह संपत्ति वित्त मंत्रालय की प्रतिबंधित सूची में रहेगी।
तालिबान पर अमेरिकी प्रतिबंध का अर्थ है कि अब वह किसी भी फंड का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। हालांकि, इसे लेकर वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस बीच, व्हाइट हाउस ने कहा- हमें उम्मीद नहीं है कि तालिबान ने अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान को दिए जिन हथियारों पर कब्जा कर लिया है उन्हें वह लौटाएगा।
बाइडन नहीं चाहते कि अमेरिका किसी युद्ध में ‘लड़े और मरे’ : सुलिवन
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी संबंधी राष्ट्रपति के फैसले का बचाव करते हुए देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा, बाइडन नहीं चाहते कि अमेरिका किसी युद्ध में लड़े और मरे।
बाइडन का मानना है कि ताजिकिस्तान या पाकिस्तान या ईरान के पास अमेरिकी सेना की मौजूदगी बनाए रखने के लिए देश को युद्ध में लड़ने और मरने की जरूरत नहीं है।
अमेरिका की योजना 31 अगस्त तक सभी सैनिकों को वापस बुलाने की है। सुलिवन ने कहा, हम इससे सहमत नहीं होंगे कि अमेरिकी सैनिकों को ताजिकिस्तान के पास मौजूदगी बनाए रखने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए कहना सही है।
अफगान शरणार्थियों को पनाह नहीं देना चाहता उज्बेकिस्तान
तालिबान के डर से देश छोड़कर भागने की जुगत में लोगों को लेकर पड़ोसी देश उज्बेकिस्तान चिंतित है। उसे डर है कि उज्बेकिस्तान में हजारों अफगान शरणार्थियों की बाढ़ आ सकती है। हाल के महीनों में उज्बेकिस्तान के वीजा के लिए आवेदन देने वाले अफगान नागरिकों ने बताया कि मध्य एशियाई देश कोरोना वायरस की चिंताओं का हवाला देते हुए अफगान नागरिकों को वीजा देने से इनकार कर रहा है।