सार
भाजपा छोड़ने वाले नेताओं के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा, ‘‘भाजपा के दिन अब खत्म हो गए हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि वे सिर्फ बोलते हैं और कुछ नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि वे लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे हैं।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने शनिवार को कहा कि कई नेता चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर अन्य पार्टियों में शामिल हो रहे हैं क्योंकि वे ‘तानाशाही’ से तंग आ चुके हैं।
शिंदे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में कांग्रेस को कुछ वर्गों से वोट मिलेगा। उन्होंने हालांकि इस सवाल को अधिक तवज्जो नहीं दी कि सत्तारूढ़ भाजपा छोड़ने वाले नेता कांग्रेस की बजाय समाजवादी पार्टी (सपा) को क्यों पसंद कर रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया पंजाब दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई थी। कथित सुरक्षा चूक के बाद प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बारे में पूछे जाने पर, शिंदे ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक हुई थी। उन्हें (प्रधानमंत्री और उनके सुरक्षा कर्मियों को) समारोह में (पंजाब में) जाने से पहले विभिन्न एजेंसियों से पूछना चाहिए था। खुफिया जानकारी 24 घंटे पहले उपलब्ध होती है…वे वहां कैसे गए? अब, वे कांग्रेस पर राजनीति का आरोप लगा रहे हैं।’’
शिंदे ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के कुछ नेता कांग्रेस में नहीं बल्कि सपा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस पार्टी में शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में कुछ वर्गों से वोट मिलेंगे। चूंकि वे भाजपा में ‘तानाशाही’ से तंग आ चुके हैं, इसलिए वे उत्तर प्रदेश में अन्य पार्टियों में शामिल हो रहे हैं।’’
भाजपा छोड़ने वाले नेताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के दिन अब खत्म हो गए हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि वे सिर्फ बोलते हैं और कुछ नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि वे लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे हैं।’’
शिंदे ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने वाले किसानों को ‘‘खालिस्तानी’’ कहना गलत है। एक साल से अधिक समय के बाद पिछले दिसंबर में वापस ले लिए गए किसानों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, “ये किसान अन्याय का विरोध कर रहे थे। उनके मुद्दों को पहले हल किया जाना चाहिए था, लेकिन सरकार के पास ऐसा करने की इच्छाशक्ति की कमी थी।”