न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Fri, 19 Nov 2021 12:56 PM IST
सार
करीब सालभर से चल रहे आंदोलन के आगे आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और तीनों कानूनों को रद्द करने का फैसला करना पड़ा, लेकिन क्या एलान कर देने भर से कानून निरस्त हो गया? तो ऐसा बिलकुल नहीं है। इसके लिए संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरना होता है।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत
– फोटो : ANI
ख़बर सुनें
विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के मौके पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान क्या किया कि किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। कहीं पर किसानों ने मिठाइयां बांटी तो कई जगहों पर जलेबी बांटकर खुशियां मनाईं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले एक साल से ही आंदोलन कर रहे थे। अन्नदाताओं के आगे सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा, लेकिन क्या पीएम मोदी की घोषणा करने भर से कृषि कानून निरस्त हो गए? तो ऐसा नहीं है। कानून निरस्त करने की एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है। इसके लिए संसद में सरकार को संवैधानिक प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। आखिर क्या है वह प्रक्रिया? आइए विस्तार से समझते हैं…
क्या है प्रक्रिया?
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप की मानें तो जो भी संशोधन होता है, उसे कानून मंत्रालय संबंधित मंत्रालय को भेजता है। इस मामले में कृषि मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद उस संबंधित मंत्रालय के मंत्री संसद में बिल पेश करेंगे। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए भी सरकार को संसद में बिल पेश करना होगा। सुभाष कश्यप बताते हैं कि संसद में बिल पेश होने के बाद उस पर बहस होगी और फिर वोटिंग।