डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
– फोटो : पीटीआई
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से एक टेलीफोन वार्ता के दौरान रूस व चीन को सम्मिलित करते हुए हथियार नियंत्रण की इच्छा पर जोर दिया। यह जानकारी व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान में दी गई। यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने की 75वीं सालगिरह के मौके पर हुई ट्रंप-पुतिन की इस वार्ता के दौरान मौजूदा कोरोना वायरस से निपटने पर भी चर्चा की गई।
बयान के मुताबिक, ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने दोबारा कहा कि अमेरिका प्रभावी हथियार नियंत्रण को लेकर प्रतिबद्ध है जिसमें रूस के साथ-साथ चीन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अमेरिका हथियारों की महंगी दौड़ से बचने के लिए भविष्य में चर्चा के लिए तत्पर है। फरवरी में समाप्त हो रहे वाशिंगटन और मॉस्को के बीच हथियार नियंत्रण संधि के स्थान पर नए समझौते किए ट्रंप बार बार इस बात पर बहस करते रहे हैं कि चीन को रूस और अमेरिका के साथ आना चाहिए।
इस समझौते के तहत रूस और अमेरिका 1550 से अधिक परमाणु हथियार तैनात नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही इस समझौते ने भूमि और पनडुब्बी आधारित मिसाइलों और बॉम्बर को भी सीमित कर दिया था। एक अनुमान के मुताबिक चीन के पास करीब 300 परमाणु हथियार हैं और वह ट्रंप के प्रस्ताव को यह कहते हुए लगातार नकारता आया है कि उसके परमाणु हथियार केवल सुरक्षा के लिए हैं और उनसे कोई खतरा नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से एक टेलीफोन वार्ता के दौरान रूस व चीन को सम्मिलित करते हुए हथियार नियंत्रण की इच्छा पर जोर दिया। यह जानकारी व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान में दी गई। यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने की 75वीं सालगिरह के मौके पर हुई ट्रंप-पुतिन की इस वार्ता के दौरान मौजूदा कोरोना वायरस से निपटने पर भी चर्चा की गई।
बयान के मुताबिक, ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने दोबारा कहा कि अमेरिका प्रभावी हथियार नियंत्रण को लेकर प्रतिबद्ध है जिसमें रूस के साथ-साथ चीन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अमेरिका हथियारों की महंगी दौड़ से बचने के लिए भविष्य में चर्चा के लिए तत्पर है। फरवरी में समाप्त हो रहे वाशिंगटन और मॉस्को के बीच हथियार नियंत्रण संधि के स्थान पर नए समझौते किए ट्रंप बार बार इस बात पर बहस करते रहे हैं कि चीन को रूस और अमेरिका के साथ आना चाहिए।
इस समझौते के तहत रूस और अमेरिका 1550 से अधिक परमाणु हथियार तैनात नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही इस समझौते ने भूमि और पनडुब्बी आधारित मिसाइलों और बॉम्बर को भी सीमित कर दिया था। एक अनुमान के मुताबिक चीन के पास करीब 300 परमाणु हथियार हैं और वह ट्रंप के प्रस्ताव को यह कहते हुए लगातार नकारता आया है कि उसके परमाणु हथियार केवल सुरक्षा के लिए हैं और उनसे कोई खतरा नहीं है।
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